- September 26, 2016
निंदनीय– मरी हुई गाय को उठाने से इन्कार -गर्भवती महिला तक पर हमला—सुश्री मायावती
ऊना के बर्बर दलित काण्ड व हैदराबाद के दलित स्कालर श्री रोहित वेमुला के पीड़ित परिवारों को अब तक समुचित व संतोषजनक न्याय नहीं मिला:
नई दिल्ली, 26 सितम्बर, 2016: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने गुजरात के बांसकाँठा ज़िले के अमीरगढ़ गाँव में मरे हुये गाय को हटाने का काम करने से इन्कार करने पर दलित परिवार के लोगों पर जानलेवा हमला करने व परिवार की गर्भवती महिला को भी उत्पीड़न का शिकार बनाने की घटना की तीव्र निन्दा करते हुये कहा कि ख़ासकर भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह व स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य के भाजपा-शासित प्रदेश गुजरात में गोहत्या व गोरक्षा के नाम पर एवं इससे जुड़ी जातिवादी घटनाओं का सिलसिला आखिर कभी थमेगा भी कि नहीं?
सुश्री मायावती जी ने आज जारी एक बयान में कहा कि गुजरात के बांसकाँठा ज़िले के अंतर्गत मोटा करजा गाँव में शनिवार को घटित यह घटना अत्यन्त ही दुःखद व निन्दनीय है। पीड़ित परिवार ने उस गाँव में मृत एक गाय को हटाने का काम करने से इन्कार कर दिया था । जिसके कारण दलित परिवार के लोगों के घर में घुसकर उनके साथ मारपीट की गयी, जातिवादी अपशब्द कहे गये एवं परिवार की गर्भवती महिला तक को भी पेट में मारा गया।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि ’गोरक्षा’ के नाम पर बर्बर दलित काण्ड के परिणामस्वरूप ख़ासकर गुजरात के दलित समाज के लोग आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ जीवन व्यतीत करने के लिये जारी अपने संघर्ष के क्रम में विशेषकर मृत गायों आदि को उठाने का काम बन्द कर रखा है। उनका इस प्रकार का संघर्ष व बलिदान निश्चय ही आगे चलकर उनका व उनके परिवार के भविष्य को संवारने में सहायक होगा, ऐसी प्रबल संभावना है।
दलित उत्पीड़नों से जुड़ी घटनाओं के सम्बन्ध में समुचित व सन्तोषजनक कानूनी कार्रवाई नहीं करना भी यह दर्शाता है कि भाजपा का नया-नया उभरा ’दलित प्रेम’ वास्तव में मात्र दिखावा व छलावा है तथा इसका राजनैतिक व चुनावी उद्देश्य है।
सुश्री मायावती जी ने गुजरात सरकार से माँग की है कि वह दलितों द्वारा वहाँ जारी उनके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के संघर्ष का सम्मान करें और उनको सुरक्षा प्रदान करने की संवैधानिक ज़िम्मेदारी को निभाने के साथ-साथ दलित परिवार पर हुये जुल्म-ज्यादतियों व उत्पीड़न के मुख्य दोषियों के ख़िलाफ सख़्त क़ानूनी कार्रवाई करें ताकि ऐसी घटनाओं को आगे होने से रोका जा सके।
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