जलवायु परिवर्तन एवं स्मार्ट कृषि तकनीक

जलवायु परिवर्तन एवं स्मार्ट कृषि तकनीक

जलवायु परिवर्तन के इस दौर में कृषि वैज्ञानिक खेती को और अधिक समृद्ध बनाने के तरीकों तथा किसानों के हित में उठाये जाने वाले कदमों पर राज्य सरकार को उचित सलाह दें। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर में “जलवायु परिवर्तन एवं स्मार्ट कृषि तकनीक” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कही। अध्यक्षता केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने की।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि गत तीन-चार वर्ष में प्रदेश के मौसम में भारी बदलाव महसूस किया जा रहा है। असमय ओला एवं बारिश के कारण फसलों को नुकसान हुआ है, जो भविष्य के लिये चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सर्वे में आगामी 15 वर्ष में भू-तल के तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस वृद्धि की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस वृद्धि का विपरीत प्रभाव मानव जीवन और फसलों के उत्पादन पर पड़ेगा। अगर यह वृद्धि इसी प्रकार जारी रही तो वर्ष 2050 तक गेहूँ उत्पादन में 50 प्रतिशत, पान में 17 प्रतिशत और मक्का उत्पादन में 6 प्रतिशत कमी का अनुमान लगाया जा रहा है। इन परिस्थितियों में शोध करने की आवश्यकता है।

श्री चौहान ने बताया कि राज्य सरकार क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर की ओर अग्रसर है। इसके लिये 100 गाँव का चयन कर एग्रो क्लाइमेटिक जोन बनाने पर विचार कर रही है। प्रदेश में कुल 1100 गाँव को इससे जोड़ा जायेगा। चयनित गाँवों में मौसम अनुमान एसएमएस के माध्यम से कृषि सलाह, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, लेजर रेवलिंग, ऑन फार्म वाटर मेनेजमेंट, एग्रो फारेस्ट्री, पशु प्रबंधन, बीज एवं चारा प्रबंधन जैसी गतिविधियाँ संचालित की जायेंगी।

मुख्यमंत्री ने 24 करोड़ की लागत से कृषि विश्वविद्यालय में बनाए गए सीड टेक्नोलॉजी सेंटर का लोकार्पण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में बनाए जाने वाले एडवांस बायो-टेक्नोलॉजिकल सेंटर का शिलान्यास भी किया।

कुलपति डॉ. ए.के. सिंह एवं संचालक अनुसंधान सेवाएँ डॉ.एच.एस. यादव ने संगोष्ठी के उद्देश्यों की जानकारी दी।

संगोष्ठी में महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह, महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर, सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद, अपर मुख्य सचिव श्री आर.के. स्वाईं, प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा, कृषि विश्वविद्यालय के डीन श्री एस.एस. तोमर सहित अन्य कृषि वैज्ञानिक एवं कृषक उपस्थित थे।

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