वन विहार और सतपुड़ा रिजर्व: कान्हा में 66 से बढ़कर 600 हुए बारासिंघा

वन विहार और सतपुड़ा रिजर्व: कान्हा में 66 से बढ़कर 600 हुए बारासिंघा

विश्व की सबसे ज्यादा संकट में आयी वन्य-प्राणी प्रजातियों में से एक हार्डग्राउन्ड बारासिंघा का सफल पुनर्स्थापन कर कान्हा टायगर रिजर्व ने वैश्विक वन्य-प्राणी संरक्षण जगत में सफलता की नई इबारत लिख दी है। विशेषज्ञों, चिकित्सकों और तकनीशियनों की टीम के साथ कान्हा प्रबंधन ने पहली बार बिना ट्रेन्क्यूलाइजर की मदद के 7 जनवरी, 2015 को वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल को 7 बारासिंघा और 4 एवं 15 मार्च, 2015 को 8-8 हार्डग्राउन्ड बारासिंघा सतपुड़ा टायगर रिजर्व भेजे थे। यह वन्य प्राणी जो आज न केवल जीवित और सुरक्षित हैं, बल्कि नये वातावरण में रच-बस भी गये हैं। आज विश्व में मात्र कान्हा टायगर रिजर्व ही एकमात्र स्थान है, जहाँ हार्डग्राउन्ड बारासिंघा (सर्वस ड्यूवाउसेली ब्रेंडरी) बचे हैं। अन्यत्र भी इनकी आबादी बढ़ाने और कभी किसी महामारी के चलते इनके अस्तित्व पर कोई संकट न आये, इस उद्देश्य से मध्यप्रदेश वन विभाग ने यह शिफ्टिंग की है।

विश्व में बारासिंघा की कुल तीन उप-प्रजातियाँ भारत एवं नेपाल में पायी जाती हैं। भारत में ये कान्हा टाइगर रिजर्व, दुधवा एवं काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं मनास राष्ट्रीय उद्यान तक सीमित हो गई है। बढ़ती कृषि भूमि और शिकारियों के कारण इनकी संख्या में तेजी से कमी हो गई थी। वर्ष 1938 में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और आसपास लगभग 3000 बारासिंघा थे। इसके बाद इनकी संख्या में लगातार कमी आती गयी। वर्ष 1953 के आकलन में 551 और 1970 में मात्र 66 बारासिंघा कान्हा टायगर रिजर्व में बचे थे।

कान्हा प्रबंधन के अथक प्रयासों से आज यहाँ लगभग 600 बारासिंघा हो गये हैं और आपेक्षिक तौर पर सुरक्षित भी हो गये हैं। स्माल पापुलेशन बायोलॉजी के अनुसार छोटी जैव-संख्या पर अनेक प्रकार के प्रतिकूल जेनेटिक एवं पर्यावरणीय कारक कार्य करते रहते हैं। अत: इनका लगातार प्रभावकारी प्रबंधन एवं अनुश्रवण जरूरी है। कुछ जानवरों की मृत्यु भी पूरी जैव-संख्या को लम्बे समय तक प्रभावित कर सकती है। कान्हा प्रबंधन द्वारा बारासिंघा संरक्षण के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इनमें एन्‍क्लोजर का निर्माण, आवास-स्थलों का लगातार विकास कार्य, जल विकास, दलदली क्षेत्रों का निर्माण, कुछ बारासिंघों का उनके ऐतिहासिक रहवास (सूपखार परिक्षेत्र) में परिगमन तथा राष्ट्रीय उद्यान की पूरी जैव-संख्या का रोज अनुश्रवण इत्यादि शामिल है।

यही कारण है कान्हा टायगर रिजर्व में बारासिंघा का पुर्नस्थापन विश्व की वन्य-प्राणी संरक्षण की कुछ चुनी हुई सफलता की कहानियों में से एक है।

सुनीता दुबे

Related post

जनवरी 2024 में 1,41,817 कॉल : कन्वर्जेंस कार्यक्रम के तहत 1000 से अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी

जनवरी 2024 में 1,41,817 कॉल : कन्वर्जेंस कार्यक्रम के तहत 1000 से अधिक कंपनियों के साथ…

 PIB Delhi—एक महत्वपूर्ण सुधार में, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने शिकायतों के समाधान में तेजी लाने…
‘‘सहकारिता सबकी समृद्धि का निर्माण’’ : संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 : प्रधानमंत्री

‘‘सहकारिता सबकी समृद्धि का निर्माण’’ : संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 : प्रधानमंत्री

 PIB Delhi:——— प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 25 नवंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में दोपहर…

Leave a Reply