ध्रुपद समारोह: ध्रुपद शैली के संरक्षण और संवर्धन

ध्रुपद समारोह: ध्रुपद शैली के संरक्षण और संवर्धन

केन्द्रीय इस्पात एवं खनन मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि ध्रुपद शैली के संरक्षण और संवर्धन के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने ग्वालियर में ध्रुपद समारोह की शुरूआत की है। श्री नरेन्द्र सिंह तोमर आज ग्वालियर में तीन दिवसीय ध्रुपद समारोह का शुभारंभ कर रहे थे।

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के सहयोग से आयोजित ध्रुपद समारोह में दुनियाभर में विख्यात ब्रम्हनाद के शीर्षस्थ साधक अपनी स्वर लहरियाँ बिखेर रहे हैं। समारोह की अध्यक्षता महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह ने की।

श्री तोमर ने कहा कि संगीत हमारे देश में केवल मनोरंजन भर का साधन नहीं अपितु परम आनंद और ईश्वर प्राप्ति का साधन भी है। इस बात को मध्यप्रदेश सरकार ने भलीभाँति समझा है और संगीत के नए साधकों को तैयार करने के लिये ग्वालियर में पहले महाराजा मानसिंह के नाम से संगीत एवं कला विश्वविद्यालय और ध्रुपद केन्द्र की स्थापना की है। यह समारोह अब हर वर्ष आयोजित किया जायेगा।

श्रीमती माया सिंह ने कहा कि राजा मानसिंह ध्रुपद गायन के प्रणेता माने जाते हैं। उन्हीं के नाम से सरकार ने यह समारोह शुरू किया है। श्रीमती माया सिंह ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये पूरी शिद्दत के साथ प्रयासरत है। महापौर श्री विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि राजा मानसिंह का शास्त्रीय संगीत क्षेत्र में अतुलनीय योगदान रहा है।

ध्रुपद समारोह में विधायकगण श्री नारायण सिंह कुशवाह व श्री भारत सिंह कुशवाह, पूर्व महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता, जीवाजी विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, संत कृपाल सिंह, महाराजा मानसिंह तोमर सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष श्री राकेश सिंह जादौन आदि उपस्थित थे।

ध्रुपद गायकी के क्षेत्र में दुनियाभर में विख्यात डागर परिवार में जन्मे लब्ध प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक पद्मश्री उस्ताद वासिफ उद्दीन डागर ने जब भावों को गहराई में समेटकर अपनी सुरीली तान छेड़ी तो बारिश से सर्द हुई फिजाओं में गर्माहट दौड़ गई। उस्ताद वासिफ उद्दीन डागर ने अलाप, मध्य लय आलाप, द्रुत लय आलाप के उपरांत राग-श्री‘ में बंदिश प्रस्तुत की। इसके बोल थे चहुँ ओर होरी खेलें राधा जी‘

समारोह में पं. पुष्पराज कोष्ठि ने सुर-बहार से संगीत रस की सरिता बहा दी। सुविख्यात बीनकार उस्ताद जिया मोहिउद्दीन डागर व उस्ताद जिया फरीदउद्दीन डागर से शिक्षा प्राप्त पं. पुष्पराज कोष्ठि ने श्रृंगारिक प्रकृति के राग झिंझोटी‘ में वादन किया।

ख्यातिनाम ख्याल गायक उदय भवालकर ने अपने गायन की शुरूआत राग जोग में नाद भेद सो-यारो‘ बंदिश के गायन के साथ किया।

प्रलय श्रीवास्तव

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