• May 12, 2022

सभी राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के सम्मेलन

सभी राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के सम्मेलन

नई दिल्ली (पीआईबी)——– अपने संबोधन में, मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील चंद्रा ने कहा कि इस तरह के सम्मेलन एक दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करने और उनसे सीखने का एक उत्कृष्ट मंच होते हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी के बीच हुए इन पांच राज्यों के चुनाव अनुकरणीय थे और अतीत में इस तरह का कोई उदाहरण या संदर्भ नहीं मिलता। इन असाधारण परिस्थितियों में वास्तविक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने, डिजिटल प्रचार को बढ़ावा देने और महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ स्थिति की साप्ताहिक समीक्षा करने जैसे असाधारण उपायों की जरूरत पड़ी।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री चंद्रा ने पंजीकरण से लेकर मतदान तक की पूरी चुनावी प्रक्रिया के दौरान मतदाताओं के लिए विभिन्न सेवाओं को लगातार उन्नत करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने विस्तार से उल्लेख करते हुए कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी राज्यों में भारत निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधि हैं। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि वे सभी हितधारकों के लिए सुलभ और उपलब्ध हों। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के जरिए मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से प्रणालीगत सुधार और मतदाताओं की सुविधा में सुधार के लिए भारत निर्वाचन आयोग को नियमित रूप से फीडबैक प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से दुनिया को चुनाव प्रबंधन से जुड़ी अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं और नवाचारों से अवगत कराने के लिए अपने संपर्क और संचार को मजबूत करने का आग्रह किया।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार को नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए बधाई दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत निर्वाचन आयोग उनके नेतृत्व में नई ऊंचाइयां प्राप्त करेगा।

चुनाव निर्वाचन तथा नामित मुख्य निर्वाचन आयुक्त श्री राजीव कुमार ने मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि संविधान द्वारा प्रदान किए गए अधिदेशों के माध्यम से निर्वाचन आयोग ने प्रत्येक मतदाता के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष, सुलभ एवं सहभागी तरीके से चुनाव सुनिश्चित करने के लिए एक बेहद मजबूत आंतरिक तंत्र एवं व्यवस्था का विकास किया है। पिछले सात दशकों की विरासत के साथ, भारत निर्वाचन आयोग ने दुनिया के अन्य लोकतंत्रों के लिए अनुकरणीय, जीवंत एवं पारदर्शी प्रक्रियाएं स्थापित की हैं। महामारी के बीच बिहार में पहली बार चुनाव कराने से लेकर पांच राज्यों में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों तक के अपने अनुभव बताते हुए, उन्होंने कहा कि यात्रा यह कई तरह की चुनौतियों और सीख से भरी रही। उन्होंने कहा कि इस अभूतपूर्व परिस्थिति में तेजी से निर्णय लेने और गलत धारणाओं से निपटने की जरूरत पड़ी। उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से श्री चंद्रा के कार्यकाल के दौरान शुरू किए गए सुधारों की यात्रा को आगे बढ़ाने का आग्रह किया ताकि चुनाव प्रक्रियाओं को और अधिक सुव्यवस्थित बनाया जा सके।

अपने संबोधन के दौरान, श्री कुमार ने कहा कि जहां चुनाव प्रणाली की पहुंच और पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का व्यापक पैमाने पर उपयोग किया गया है, वहीं निर्वाचन आयोग ने तीन महत्वपूर्ण हितधारकों – मतदाताओं, राजनीतिक दलों और चुनाव प्रबंधन अधिकारियों – पर ध्यान केंद्रित करते हुए संपूर्ण आईटी बुनियादी ढांचे को सुव्यवस्थित किया है। उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से नवीनतम प्रगति के अनुरूप ढलने के लिए आईटी कर्मियों के प्रशिक्षण सहित अपने आईटी सिस्टम को मजबूत करने का आग्रह किया।

निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चंद्र पाण्‍डे ने अपने संबोधन में आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स व्यवस्था सहित अगले कुछ महीनों के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के एजेंडे पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को अपेक्षाकृत कम बोझ वाली इस अवधि का उपयोग मतदाता सूची को अद्यतन करने, मतदान केंद्रों पर बुनियादी ढांचे का उन्नयन करने, ईवीएम-वीवीपीएटी के भंडारण एवं रखरखाव और अधिकारियों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण करने सहित चुनाव प्रणाली की मूलभूत विशेषताओं को मजबूत तथा उन्नत करने के लिए करना चाहिए। उन्होंने मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को मतदाताओं से बेहतर तरीके से जुड़ने के लिए नवीन स्वीप रणनीतियों को लागू करने के लिए भी कहा।

श्री पांडे ने महामारी के कठिन एवं चुनौतीपूर्ण समय के दौरान विधानसभा चुनावों को संचालित करने में मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुशील चंद्रा के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि महामारी के दौरान भारत में चुनावों के संचालन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।

अपने स्वागत भाषण में, महासचिव श्री उमेश सिन्हा ने कहा कि यह सम्मेलन हमारे लिए अपने पिछले अनुभवों और नई सीख को साझा करने का एक माध्यम है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के इस व्यवस्था का एक अभिन्न अंग बन जाने के साथ महामारी के दौरान हाल में हुए चुनावों ने पूरी दुनिया में चुनावों के संचालन की प्रक्रिया में एक व्यापक बदलाव ला दिया है।

इस सम्मेलन के दौरान, आयोग ने आज ईसीआई की पत्रिका ‘माई वोट मैटर्स’ के नवीनतम अंक का विमोचन किया। इस त्रैमासिक पत्रिका के ताजा अंक में 2022 में पांच चुनाव वाले राज्यों द्वारा की गई पहल एवं प्रयासों और जमीन से जुड़ी चुनावी कहानियों से संबंधित कई लेख शामिल हैं। ई लिंक:

आयोग ने इलेक्शन स्टैटिस्टिक्स पॉकेट बुक का भी विमोचन किया। इस पुस्तिका में प्रस्तुत आंकड़े 2017 से लेकर 2021 के दौरान देश द्वारा तय की गई चुनावी यात्रा के बारे में रोचक जानकारी देते हैं। इसमें इस अवधि के दौरान सभी आम चुनावों और राज्यसभा एवं विधान परिषदों के चुनावों से जुड़े मुख्य अंश शामिल हैं। इलेक्शन स्टैटिस्टिक्स पॉकेट बुक 2014 से भारत निर्वाचन आयोग का एक नियमित प्रकाशन है जोकि भारतीय चुनावों पर डेटा को सरलीकृत रूप में प्रस्तुत करता है।

‘माई वोट मैटर्स’ और इलेक्शन स्टैटिस्टिक्स पॉकेट बुक के साथ – साथ, आयोग ने 1957 से 1977 के बीच हुए दूसरे से सातवें आम चुनावों की पुनर्मुद्रित नैरेटिव रिपोर्ट भी जारी की। यह नैरेटिव रिपोर्ट एक व्यापक दस्तावेज है जिसमें भारतीय चुनावों को स्वतंत्र, निष्पक्ष, सहभागी और समावेशी बनाने के आयोग के सभी अथक प्रयासों को दर्ज किया गया है।

चुनाव वाले पांच राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने हाल ही में हुए राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान अपने अनुभवों, सीख और अपनाए गए नवीन उपायों के बारे में एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी।

इस सम्मेलन में सभी राज्यों/केंद्र -शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, वरिष्ठ डीईसी, डीईसी, डीजी और आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। दूसरे दिन बख्तावरपुर में नए एकीकृत चुनाव परिसर के दौरे के साथ-साथ व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी (स्वीप) रणनीति पर अलग से एक चर्चा भी निर्धारित है।

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