- March 15, 2022
2022-23 का बजट–औद्योगिक एवं एमएसएमई के विकास के लिए अपार संभावनाएं
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि विधानसभा में प्रस्तुत किया गया 2022-23 का बजट प्रदेश के सर्वांगीण विकास एवं विशेष रूप से मध्यप्रदेश के औद्योगिक एवं एमएसएमई के विकास के लिए अपार संभावनाएं लेकर आया है। कई वर्षों से राज्य के सकल मूलधन में उद्योग का योगदान विपरीत परिस्थितियों में भी बढ़ता रहा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मुख्यमंत्री निवास पर मंत्रीगण और विधायकों से बजट पर चर्चा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के सभी क्षेत्रों में संतुलित विकास करने का बजट में प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की विशेष प्राथमिकता रोजगार के अवसर बढ़ाने पर है। भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए मध्यप्रदेश का योगदान बेहतर होगा। इसके लिए पूरी मेहनत से कार्य योजना तैयार की गई है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार का स्वरोजगार पर भी विशेष फोकस है। अब तक 28 लाख 64 हजार व्यक्तियों को स्वरोजगार के लिए 14 हजार 556 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया गया है। मध्यप्रदेश राज्य नीति एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुर्वेदी और प्रमुख सचिव वित्त श्री मनोज गोविल ने बजट में किए गए विभिन्न प्रावधानों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि विधान सभा में प्रस्तुत बजट के द्वारा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को प्रदेश में प्रचलित करने एवं उनके विकास करने का कार्य किया जा रहा है। इस बजट से पूर्व भी इन सभी नीतियों पर प्रदेश ने अपनी पूर्ण क्षमता के साथ अभी तक कार्य किया है। इसी का परिणाम है कि हाल ही में एनएसओ (नेशनल स्टेटिस्टीकल ऑर्गानाइजेशन) की रिपोर्ट में 19.4 प्रतिशत की प्रगति दर के साथ मध्यप्रदेश को देश में सबसे तेजी से विकसित होता हुआ राज्य बताया गया है और यह प्रदेश द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सही दिशा का द्योतक है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पूंजीगत परिव्यय को बढ़ाने के लिए प्रदेश में प्रयास किए जा रहे हैं। अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने के लिए पूंजीगत परिव्यय बढ़ाना जरुरी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के बावजूद भी हम पूंजीगत परिव्यय बढ़ाते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कौशल उन्नयन भी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में रोजगार के लिए बैकलॉग, संविदा एवं सभी शासकीय भर्तियां चालू हैं। अगले साल तक लगभग एक लाख भर्ती की जाएंगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के मापदंडों की सीमा के अंदर ही राज्य सरकार ने अपनी क्षमता के अनुरूप ही ऋण लिया है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बजट में प्रदेश के औद्योगिक विकास एवं आर्थिक गतिविधियों के संवर्धन का नया रोडमैप रखा है। कृषि में मध्यप्रदेश की असीम सफलता के बाद सरकार का ध्यान गाय, गांव और किसान के साथ सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों पर आना एक शुभ संदेश है। यह रोजगार सृजन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग भी है। वर्ष 2022-23 के पूंजीगत व्यय के बजट अनुमान को लगभग 21 प्रतिशत बढ़ाकर कुल 48 हजार 800 करोड़ करने का प्रावधान प्रस्तावित किया गया है। पुनरीक्षित अनुमान के अनुसार भारत सरकार की विशेष केंद्रीय सहायता योजना के अंतर्गत पूंजीगत कार्यों के लिए प्रदेश को इस वर्ष 1167 करोड़ की राशि प्राप्त हो चुकी है। केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 में योजना आकार को 10 गुना बढ़ाकर वर्ष 2022-23 में एक लाख करोड़ कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सरकार के इस कदम से दीर्घकालिक आर्थिक परिसंपत्तियों के नियोजन का रास्ता प्रशस्त होगा, उत्पादन क्षमताओं का विकास होगा एवं कार्य दक्षता बढ़ेगी और कई वर्षों तक राजस्व प्राप्ति के साधन सुलभ हो सकेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 21865 करोड़ रूपये की लागत की 381 परियोजनाओं के निवेश प्रस्तावों को सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है। इनके क्रियान्वयन से लगभग 60 हजार व्यक्तियों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का निरंतर प्रयास है कि ऐसे निवेश से प्रदेश में रोजगार के नये अवसर सृजित हों तथा प्रदेश का संतुलित आर्थिक विकास हो। सरकार उद्योग स्थापित करने के लिए रियायती दर पर भूमि उपलब्ध करा रही है एवं प्रक्रियाओं को सहज किया गया है। 30 दिवस में अपना उद्योग प्रारंभ करने की सुविधा प्रदान करने एवं इस सुविधा को लोक सेवा गारंटी अधिनियम की परिधि में लाए जाने के लिए कार्यवाही प्रक्रिया प्रारंभ किया जाना उत्साहवर्धन संकेत है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बजट में सरकार द्वारा की गई घोषणाओं से एक उन्नत एवं विशाल औद्योगिक अधोसंरचना दिखाई देती है। संतुलित विकास के लिए नवीन औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना चाहे वह बुंदेलखंड और विंध्य हो, ग्वालियर चंबल हो, मध्य भारत हो, महाकौशल हो या निमाड़ मालवा सभी अंचलों में सिंचाई की योजनाएं, पेयजल की व्यवस्था, बिजली पहुंचाना, सड़कों का जाल बिछाना, औद्योगिक क्षेत्रों का विकास, मेडिकल कॉलेज एवं अन्य स्वास्थ्य संस्थान स्थापित करना, सीएम राइज़ स्कूल प्रारंभ करना आईटीआई चालू करना, उच्च शिक्षा की व्यवस्था करना आदि की योजनाएं संचालित की हैं। सरकार ने पूरी संवेदनशीलता के साथ इस क्षेत्र के विकास कार्यों को प्राथमिकता दी है।