• November 4, 2021

DTO अजय ठाकुर पर छापेमारी शुरू : 11 बैंक अकाउंट,90 लाख रुपए ,

DTO अजय ठाकुर  पर छापेमारी शुरू : 11 बैंक अकाउंट,90 लाख रुपए ,

पटना —- DTO अजय ठाकुर के ऊपर विजिलेंस ने अपना शिकंजा कस दिया है। पटना में इनके दो ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी गई है। राजधानी के एसके पुरी थाना के तहत सरदार पटेल पथ स्थित हरि राधा अपार्टमेंट के C-303 में अजय ठाकुर अपने परिवार के साथ रहते हैं। निगरानी की एक टीम इस फ्लैट को खंगाल रही है।

निगरानी की छापेमारी में अजय ठाकुर और उनकी पत्नी के नाम से कुल 11 बैंक अकाउंट मिले हैं, जिसमें 90 लाख रुपए कैश जमा है। इसमें 30 लाख रुपए उनकी पत्नी के अकाउंट से मिले। इसके अलावा 22 LIC की पॉलिसी मिली है। इसमें कुल 60 लाख रुपए अजय ठाकुर ने इंवेस्ट कर रखा है। फ्लैट से 4.50 लाख रुपए की सोने-चांदी की ज्वेलरी, 1 लाख रुपया कैश भी मिला। अजय ठाकुर के ठिकानों पर निगरानी की कार्रवाई अभी भी जारी है।

सरकारी नौकरी में रहते हुए अजय ठाकुर ने करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति खुद के और परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम पर बना रखी है। छापेमारी के दौरान निगरानी टीम को कुल तीन जगहों पर फ्लैट, घर और जमीन खरीदने के सबूत मिले हैं। इनके हायर एजुकेशन के लिए इनके बच्चे विदेश में रह रहे हैं। इस पर खर्च किए गए रुपयों का भी डिटेल निगरानी की टीम खंगाल रही है। इस पूरे कार्रवाई में चौंकाने वाली बात यह है कि हर साल सरकार के पास जमा किए जाने वाले संपत्ति के ब्यौरे में अजय ठाकुर ने काफी कुछ छिपाया है।

अजय ठाकुर के खिलाफ निगरानी थाना में आय से अधिक संपत्ति की FIR दर्ज हो चुकी है। इन पर काली कमाई के जरिए सरकारी आय से 92 लाख रुपए की अधिक संपत्ति अर्जित करने का गंभीर आरोप है। निगरानी मुख्यालय के अनुसार, DSP की अगुवाई में इनके ठिकानों को सर्च किया जा रहा है। भ्रष्टाचार में लिप्त रहने और अपने पद का दुरुपयोग करने की वजह से राज्य सरकार ने इन्हें सस्पेंड कर दिया था। अजय ठाकुर जहानाबाद और उससे पहले पटना में DTO रह चुके हैं।

कोरोनाकाल से पहले 2019 में भी इनके ऊपर गंभीर आरोप लगा था। उस वक्त ये पटना के DTO थे। इन्होंने केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के आदेशों की अनदेखी करते हुए BS-3 और 4 की गाड़ियों का बैकलॉग के जरिए रजिस्ट्रेशन किया था। इस मामले के सामने आने के बाद इनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था, पर अजय ठाकुर ने सरकार के सवालों का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा था। इसके बाद इन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। उस दौरान इनकी पोस्टिंग जहानाबाद में थी। उस मामले के बाद से ही सरकार के आदेश पर इनकी काली कमाई और किए गए भ्रष्टाचार के मामलों को पता कर रही थी।

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