- August 24, 2021
“अपमानजनक मिसाल”
नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट के स्किन टू स्किन फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने लीगल सर्विसेज कमेटी को आदेश दिया कि वो दोनों मामलों में बच्ची से छेड़छोड़ के आरोपियों की तरफ से पैरवी करे.सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी सिद्धार्थ दवे से इस केस में मदद करने को कहा है.
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अदालत में कहा कि अगर कल कोई व्यक्ति सर्जिकल दस्ताने की एक जोड़ी पहनता है और एक महिला के शरीर से छेड़छोड़ करता है, तो उसे इस फैसले के अनुसार यौन उत्पीड़न के लिए दंडित नहीं किया जाएगा।
बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला एक “अपमानजनक मिसाल” है . सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में शामिल दोनों मामलों के आरोपियों की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ है.
जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि नोटिस भेजने के बावजूद आरोपियों ने पक्ष नहीं रखा इसलिए सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी उनकी पैरवी करे. अब मामले की सुनवाई 14 सितंबर को होगी सुनवाई.
27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले के तहत आरोपी को बरी करने पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि बिना कपड़े उतारे बच्चे के स्तन टटोलने से पोक्सो एक्ट की धारा 8 के अर्थ में यौन उत्पीड़न नहीं होता.
इस दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि निर्णय ‘अभूतपूर्व’ है और ‘एक खतरनाक मिसाल कायम करने की संभावना है.
अदालत ने एजी को निर्णय को चुनौती देने के लिए उचित याचिका दायर करने का निर्देश दिया था.अदालत ने आरोपी को बरी करने पर रोक लगा दी थी.