• July 5, 2018

आईटीआई पासआऊट बच्चों को स्वरोजगार के लिए ऋण योजनाओं में तरजीह : प्रधान सचिव सुधीर राजपाल

आईटीआई पासआऊट बच्चों को स्वरोजगार के लिए ऋण योजनाओं में तरजीह : प्रधान सचिव सुधीर राजपाल

झज्जर———– विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के प्रधान सचिव सुधीर राजपाल ने कहा कि मुद्रा, स्टैंड अप इंडिया, डीआरआई आदि ऋण योजनाओं से आईटीआई से पासआऊट युवाओं को फोकस पर रखना चाहिए। यह युवा शिक्षित होने के साथ-साथ तकनीकी रूप से भी कुशल होते है। ऐसे में तकनीकी संस्थानों में इन योजनाओं को लेकर विशेष शिविर लगाए जाने चाहिए।
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उन्होंने यह बात गुरूवार को झज्जर में लघु सचिवालय स्थित कांफ्रेंस हॉल में परिवर्तन कार्यक्रम के तहत बादली खण्ड में केंद्र व हरियाणा सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियांवयन की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को कही।

सुधीर राजपाल ने व्यायामशालाओं को एक्टिवेट करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ युवा क्लबों को भी सक्रिय बनाए। साथ ही बादली खण्ड के गांवों में युवा क्लबों को सक्रिय कराने के लिए कबड्डी व अन्य खेलों की प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के भी निर्देश दिए।

उन्होंने बादली क्षेत्र में ड्रंक एंड ड्राइव तथा ओवर स्पीड के मामलों के भी चालान की स्थिति का अवलोकन किया। यातायात प्रबंधन को लेकर उन्होंने बादली के प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक लाइट लगवाने के भी निर्देश दिए।

श्री सुधीर राजपाल ने बादली खंड में योजनावार अधिकारियों से चर्चा करते हुए क्रियांवयन के दौरान लोगों के फीडबैक के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने पार्क एवं व्यायामशाला के साथ-साथ ओपन जिम, सार्वजनिक शौचालय, युवा क्लबों की सक्रियता, स्वच्छ भारत मिशन, वित्तीय सेवाएं, किसानों की आय दोगुनी करना, स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, स्वच्छ भारत, भीड़-भाड़ से मुक्त बाजार, युवाओं के जुड़ाव, वायु प्रदूषण में कटौती, प्रमाण पत्र जारी करना, पुलिस से संबंधित विषय, अधिकारियों की ओर से की गई पहल आदि विषयों से संबंधित योजनाओं की समीक्षा की।

उल्लेखनीय है कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियांवयन के लिए राज्य के चयनित खंडों में प्रशासनिक सचिव स्तर के अधिकारी समीक्षा करेंगे। किसी योजना के क्रियांवयन में जमीनी अनुभव का मूल्यांकन बेहद आवश्यक होता है।

समीक्षा बैठक में डीआरआई ऋण, मुद्रा, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, माइक्रो इरिगेशन, गैर ऋणी किसानों द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रीमियम का भुगतान, मधु मक्खी पालन-मत्स्य पालन-मशरूम व संबंधित गतिविधियां, किसान उत्पादक संघों (एफपीओ) का गठन, ढेंचा खेती को प्रोत्साहन, स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित समय पर स्टाफ की उपस्थिति के लिए बायोमीट्रिक सिस्टम का प्रयोग, सार्वभौमिक प्रतिरक्षण, एफआरयू सुधार, प्रति डिलीवरी पर आधारभूत सुविधाएं, बेसहारा पशुओं से मुक्ति, ठोस कचरा एकत्रिकरण, जनसुविधाएं, ग्रीन पार्क, सक्षम योजना, प्लेसमेंट, यूथ क्लबों को सक्रिय बनाना, स्कूलों व समुदायों को खेलों से जोडऩा, पराली जलाने की प्रवृति पर रोक, वायु गुणवत्ता की निगरानी, कूड़ा जलाना, जाति प्रमाण पत्र, अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग ए व बी श्रेणी के विद्यार्थियों की संख्या, आवास प्रमाण पत्र, जिला सड़क सुरक्षा कमेटी की बैठक आदि मामलों पर विभागवार फीडबैक लिया गया।

इस अवसर पर एडीसी सुशील सारवान, एसडीएम झज्जर रोहित यादव, सीटीएम एवं एसडीएम बेरी अश्विनी कुमार, डीएसपी हंसराज, डीडीपीओ हरि सिंह श्योराण, बीडीपीओ बादली परमिंदर सिंह, लीड बैंक मैनेजर प्रेम सिंह सहित विभिन्न विभागों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

********************** पोक्सो एक्ट जागरुकता कार्यशाला ****************

उपायुक्त सोनल गोयल ने कहा कि बच्चों को अच्छे व बुरे स्पर्श के प्रति पहचान के लिए घर से ही मार्गदर्शन मिलना चाहिए। साथ ही जिला के सभी राजकीय विद्यालय के शिक्षक भी इस विषय पर पूरी तरह संवेदनशील बने और बच्चों को इस विषय के प्रति जागरूक बनाए। उन्होंने यह बात लघु सचिवालय परिसर स्थित संवाद भवन में आयोजित तीन दिवसीय बाल यौन शोषण एवं स्कूलों में सुरक्षा व पोक्सो एक्ट के प्रति जागरुकता विषय पर आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ करने के उपरांत प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए कही।

महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई तथा जिला प्रशासन की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में शिक्षकों, संबंधित कर्मचारियों व अधिकारियों को पोक्सो एक्ट व बच्चों के साथ सदव्यवहार आदि की विशेषज्ञ व मुंबई की गैर सरकारी संस्था अर्पण की ओर से जागरूक किया जाएगा।

श्रीमती सोनल गोयल ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से जिला में एक ऐसी मानव श्रृंखला तैयार होगी जिसका समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। बच्चों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार के प्रति समाज को भी समझना होगा। गुरूग्राम और दिल्ली के स्कूलों में बच्चों के साथ हाल में घटित हिंसक घटनाओं में भी यही तथ्य सामने आया था। ऐसे में हमारी कोशिश हो कि जिला में बच्चों के प्रति एक संवेदी परिवेश का निर्माण हो और ऐसी घटनाओं की पुनरावृति न हो।

उपायुक्त ने कहा कि जिला बाल संरक्षण इकाई के माध्यम से पोक्सो एक्ट के प्रति जिला में जागरुकता बढ़ी है लेकिन इसका प्रसार अधिक होना चाहिए। इस कार्यशाला के उपरांत सभी प्रतिभागी इस विषय को आगे बढ़ाए। उन्होंने कहा कि निजी स्कूलों में मनोवैज्ञानिक व काउंसलर के माध्यम से बच्चों को जागरूक किया जाता है लेकिन राजकीय स्कूलों के संदर्भ में यह भूमिका शिक्षकों को निभानी होगी। कार्यशाला में उपायुक्त ने पोक्सो एक्ट से संबंधित जागरुकता प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया और विषय से संबंधित चर्चा में भी भागीदारी की।

इस अवसर पर जिला सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी नीरज कुमार, सीएमजीजीए निषिता बनर्जी, जिला बाल संरक्षण अधिकारी लतिका, बाल संरक्षण अधिकारी अनु, अर्पण संस्था की प्रतिनिधि दीपाली व सूरज आदि उपस्थित रहे।

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