• August 16, 2017

सर छोटूराम ने लड़ी किसान, गरीब और मेहनतकश की लड़ाई: खेल रत्न अभय चौटाला

सर छोटूराम ने लड़ी किसान, गरीब और मेहनतकश की लड़ाई: खेल रत्न अभय चौटाला

झज्जर:-रिपोर्ट गौरव शर्मा —————इनेलो नेता खेल रत्न अभय चौटाला ने कहा कि दीनबंधु छोटूराम प्रत्येक किसान के प्रेरणास्रोत रहेंगे। उन्होंने ऐसे समय किसान, गरीब और मेहनतकश की लड़ाई लड़ी जब इस वर्ग की बात करना आसान नहीं था। वे बुधवार को गांव में आयोजित दीनबंधु सर छोटूराम इनेलो पार्टी कार्यकर्ता समारोह के मौके पर सर छोटूराम धर्मशाला में जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। गांव पहुंचने पर पर चौटाला का फूलमालाओं से स्वागत किया गया

इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा कि सर छोटूराम ने जात-पात, धर्म और सरहद से ऊपर उठकर हर किसान-मजदूर वर्ग की लड़ाई लड़ी। मुझे इस बात की भी बेहद खुशी है कि मातनहेल से भी सर छोटूराम जी का जुड़ाव रहा। झज्जर के स्कूल में भी उन्होंने शिक्षा हासिल की।

अभय चौटाला ने बताया कि दीनबंधु सर छोटूराम गरीब, मजदूरों व किसानों के सच्चे हिमायती और मददगार थे। वे बचपन से ही इस बात को लेकर चिंतित रहते थे कि कैसे इन वर्गो का उत्थान किया जाए जिससे इनका जीवन सफल व उज्जवल बन सके। इनेलो नेता अभय चौटालाकहा कि हम सभी को सर छोटूराम के जीवन व आदर्शो से प्रेरणा लेकर समाज के उत्थान के लिए हमेशा तत्पर रहने का संकल्प लेना चाहिए।

अभय चौटाला ने सर छोटूराम के शैक्षणिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने कठिनाईयों के बावजूद उच्च से उच्च शिक्षा ग्रहण की और जीवन की सुख सुविधाओं को त्याग कर पूरी उम्र समाज उत्थान के लिए कार्य किए। अभय चौटाला ने कहा कि सर छोटूराम भाखड़ा बांध के निर्माण, कर्जा माफी कानून, साहूकार पंजीकरण एक्ट, गिरवी जमीन की मुफ्त वापसी एक्ट, कृषि मंडी एक्ट व व्यवसाय श्रमिक एक्ट जैसे कठिन कानूनों को पास करवाने के साथ-साथ शिक्षा जैसे जरूरी क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय योगदान दिया, जिनको कभी भुलाया नहीं जा सकता। अभय चौटाला ने कहा सर छोटूराम ने 1913 में जाट संस्था की नींव रखने में अहम भूमिका अदा की जिनकी बदौलत आज जाट शिक्षण संस्थाओं को उत्तर भारत की सबसे बड़ी शिक्षण संस्थाओं के रूप में जाना जाता है। अभय चौटाला ने कहा कि गरीब मजदूरों व किसानों को कानून बना कर नियमों के तहत साहूकारों के चंगुल से मुक्त करवाया, जिससे आज यह वर्ग साधन सम्पन्न बन रहे है। सर छोटूराम ने इन वर्गो को ऊपर उठाने के लिए 1915 में जाट गजट नामक समाचार पत्र भी निका

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