- August 15, 2016
70वें स्वतंत्रता दिवस : ‘कमजोरों पर हो रहे हमलों से सख्ती से निपटना होगा :- राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
नई दिल्ली : (ज़ी मीडिया )——————- 70वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश को संबोधित करते हुए रविवार को कहा कि हमारे राष्ट्रीय चरित्र के विरुद्ध कमजोर वर्गों पर हुए हमले पथ भ्रष्टता है, जिससे सख्ती से निपटने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि न्याय, स्वतंत्रता, भाईचारा लोकतंत्र के स्तम्भ हैं। लोकतंत्र का अर्थ केवल समय-समय पर सरकार को चुनना नहीं है।
राष्ट्रपति ने विभाजनकारी राजनीतिक एजेंडे एवं मूखर्तापूर्ण प्रयासों से संस्थागत उपहास एवं संवैधानिक विध्वंस के प्रति सचेत किया।
उन्होंने कहा, ‘कमजोरों पर हो रहे हमलों से सख्ती से निपटना होगा। देश का संविधान सर्वोपरि है।’
राष्ट्रपति ने कहा – हमारे संस्थापकों द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और भाईचारे के चार स्तंभों पर निर्मित लोकतंत्र के सशक्त ढांचे ने आंतरिक और बाहरी समेत अनेक जोखिम सहे हैं और यह मजबूती से आगे बढ़ा है।’
देश के कुछ हिस्सों में दलितों पर हुए हमलों की पृष्ठभूमि में प्रणब मुखर्जी ने कहा, ‘पिछले चार वर्षो में, मैंने कुछ अशांत, विघटनकारी और असहिष्णु शक्तियों को सिर उठाते हुए देखा है।
हमारे राष्ट्रीय चरित्र के विरुद्ध कमजोर वर्गों पर हुए हमले पथभ्रष्टता है, जिससे सख्ती से निपटने की आवश्यकता है।’
उन्होंने कहा कि हमारे समाज और शासन तंत्र की सामूहिक समझ ने मुझे यह विश्वास दिलाया है कि ऐसे तत्वों को निष्क्रिय कर दिया जाएगा और भारत की शानदार विकास गाथा बिना रुकावट के आगे बढ़ती रहेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और हिफाजत देश और समाज की खुशहाली सुनिश्चित करती है।
महिलायों, बच्चों के प्रति हिंसा की प्रत्येक घटना सभ्यता की आत्मा पर घाव कर देती है। यदि हम इस कर्तव्य में विफल रहते हैं तो हम एक सभ्य समाज नहीं कहला सकते।
राष्ट्रपति ने वस्तु और सेवा कर लागू करने के लिए संविधान संशोधन बिल का पारित होना देश के लोकतांत्रिक की परिपक्वता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि समूहों और व्यक्तियों द्वारा विभाजनकारी राजनीतिक इरादे वाले व्यवधान, रुकावट और मूर्खतापूर्ण प्रयास से संस्थागत उपहास और संवैधानिक विध्वंस के अलावा कुछ हासिल नहीं होता है।
परिचर्चा भंग होने से सार्वजनिक संवाद में त्रुटियां ही बढ़ती हैं।
उन्होंने कहा, ‘देश तभी विकास करेगा, जब समूचा भारत विकास करेगा।
पिछड़े लोगों को विकास की प्रक्रिया में शामिल करना होगा। आहत और भटके लोगों को मुख्यधारा में वापस लाना होगा।’
वैश्विक आतंकवाद का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘विश्व में उन आतंकवादी गतिविधियों में तेजी आई है जिनकी जड़ें धर्म के आधार पर लोगों को कट्टर बनाने में छिपी हुई हैं। ये ताकतें धर्म के नाम पर निर्दोष लोगों की हत्या के अलावा भौगोलिक सीमाओं को बदलने की धमकी भी दे रही हैं जो विश्व शांति के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।’
उन्होंने कहा कि ऐसे समूहों की अमानवीय, मूर्खतापूर्ण और बर्बरतापूर्ण कार्यप्रणाली हाल ही में फ्रांस, बेल्जियम, नाइजीरिया, केन्या और हमारे निकट अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में दिखाई दी है। ये ताकतें अब सम्पूर्ण राष्ट्र समूह के प्रति एक खतरा पैदा कर रही हैं। विश्व को बिना शर्त और एक स्वर में इनका मुकाबला करना होगा