• September 21, 2016

स्वामी प्रसाद मौर्या भाजपा के लिये खोदा पहाड़ और निकली चुहिया:- सुश्री मायावती

स्वामी प्रसाद मौर्या  भाजपा के लिये खोदा पहाड़ और निकली चुहिया:- सुश्री मायावती

भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ बी.एस.पी. सरकार ने तुरन्त ही सख़्त क़ानूनी कार्रवाई की, मंत्रियों को बर्ख़ास्त किया व सी.बी.आई. जाँच का आदेश दिया, भाजपा सरकार की तरह ललित मोदी व विजय माल्या की तरह भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिये विदेश नहीं भगा दिया था.

नई दिल्ली, 21 सितम्बर, 2016: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती ने कहा कि पिछले कई महीनों से रात-दिन की मेहनत व पूरे प्रदेश भर मेें लोगों को विधानसभा आमचुनाव में टिकट दिलवाने का आश्वासन देने के साथ-साथ किसी प्रकार से साख बचाने को ध्यान में रखकर स्वयं भाजपा द्वारा अपने समर्थकों की भीड़ जुटाने के बावजूद भी बी.एस.पी. के बागी स्वामी प्रसाद मौर्य का आज लखनऊ में आयोजित बहु-प्रचारित कार्यक्रम बुरी तरह से फ्लाप रहा अर्थात् भाजपा खुद अभिशप्त है कि ‘‘खोदा पहाड़ और निकली चुहिया।‘‘1

सुश्री मायावती ने आज जारी एक बयान में कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य का आज का प्रोग्राम वैसे ही बुरी तरह से विफल रहा है जैसाकि कुछ दिन पूर्व बागी जुगुल किशोर का दलित आयोजन रहा है, जिसमें भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह की शिरकत के कारण भाजपा ने भीड़ जुटाने की पूरी ताकत लगायी थी।

निजी व पारिवारिक स्वार्थ में बी.एस.पी. से बगावत करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने आज के प्रोग्राम को सफल बनाने के क्रम में बी.एस.पी. मूवमेन्ट के जन्मदाता व संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी के नाम का भी पोस्टरों व बैनरों के माध्यम से वैसा ही गलत इस्तेमाल किया, जैसा पहले कांग्रेस पार्टी आदि ने मान्यवर के भाई आदि को आगे करके इस्तेमाल किया था, फिर भी मान्यवर श्री कांशीराम जी के अनुयायी व समर्थक हकीकत को समझते हुये बागियों के बहकावे में थोड़ा भी नहीं आये, जिसके लिये उन सबका आभार बी.एस.पी. प्रकट करती है।

बी.एस.पी. प्रमुख सुश्री मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में शीघ्र ही विधानसभा के लिये होने वाले आमचुनाव के मद्देनजर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व वैसे ही तिकड़म व पैतरेबाजी कर रहा है जैसाकि उसने पहले दिल्ली, फिर बिहार और फिर उसके बाद बंगाल व दक्षिणी राज्यों में हुये विधानसभा आमचुनाव में की थी, लेकिन हर जगह उसे मुँह की खानी पड़ी, क्योंकि भाजपा व आर.एस.एस. का स्वभाव अर्थात् चाल, चरित्र व चेहरा कहीं से भी जनहित व जनकल्याण से मेल नहीं खाता है अर्थात् आर.एस.एस. भाजपा का स्वभाव कभी भी दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम व ईसाई समाज हितैषी नहीं रहा है।

यही कारण है कि भाजपा व आर.एस.एस. की नीतियाँ, गरीब, मजदूर, किसान विरोधी व धन्नासेठों की समर्थक रही है, जो आज भी इनकी सरकारों में पूरी तरह से जारी है। खासकर दलितों व पिछड़ों के सम्बन्ध में इनका यह कहना है कि इनके लिये दल में कहीं, दिल में जगह है यह एक जबर्दस्त छलावा के सिवाय कुछ भी नहीं है और इसे प्रभावित करने के लिये स्वयं इनके इतिहास साक्षी है।

बी.एस.पी. की सरकार का रिकार्ड काफी शानदार व बेहतरीन रहा है, जिसको पूरा देश जानता है और यही बी.एस.पी. की पूँजी है, जिसके बल पर ही बी.एस.पी. यहाँ के लोगों की पहली व ख़ास पसन्द बनी हुई है, जो भाजपा की परेशानी व समस्या की असली वजह है।

भाजपा नेतृत्व का अंध-मोदी प्रेम उसे बी.एस.पी. के ख़िलाफ ग़लत व अनर्गल बयानबाज़ी करने को मजबूर कर रहा है। भाजपा नेतृत्व को मालूम है कि बी.एस.पी. के हाथों भाजपा की हार का साफ मतलब है देश मे मोदी व भाजपा युग के अन्त की शुरूआत।

सुश्री मायावती ने कहा कि अन्य बातों के साथ-साथ भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह का यह बयान दुष्प्रचार व जातिगत तौर पर पूरी तरह से वरगलाने वाला है कि बी.एस.पी. को गुजरात में दलित उत्पीड़न की चिन्ता है और यहाँ की सपा सरकार में होने वाले दलित उत्पीड़न की नहीं।

उन्होंने कहा कि बी.एस.पी. अकेले दलित ही नहीं बल्कि इस सपा सरकार में सर्वसमाज के साथ होने वाली जुल्म-ज्यादती व उत्पीड़न के ख़िलाफ हर स्तर पर कड़ा संघर्ष लगातार पिछले लगभग साढ़े चार वर्षों से करती चली आ रही है। इस मामले में भाजपा का अपना रिकार्ड क्या रहता है, इसकी समीक्षा करने के लिए भाजपा नेतृत्व को व उसकी केन्द्र की सरकार को थोड़ा समय अवश्य निकालना चाहिये? अगर यह काम पहले किया होता तो आज उत्तर प्रदेश में सपा सरकार में जो लोगों का काफी ज्यादा बुरा हाल है, वह शायद इतना बुरा कभी नहीं होता।

बी.एस.पी. के शासनकाल में किसी भी समाज के लोगों के खिलाफ होने वाली जातिवादी व अन्य जुल्म-ज्यादती एवं उत्पीड़न के खिलाफ जो सख़्त क़ानूनी कार्रवाई की जाती है वह आज भी देश में एक मिसाल है। यही कारण था कि लोगों को सरकार व शासन-व्यवस्था में नया विश्वास पैदा हुआ था।

भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों से सख़्ती से निपटने के मामले में भी बी.एस.पी. का रिकार्ड अनुकरणीय रहा है। ऐसे मामलों के प्रकाश में आते ही मंत्रियों की बर्ख़ास्तगी व सम्बन्धित मामले की जाँच सी.बी.आई. को सौंपने आदि में तत्परता यह साबित करता है कि बी.एस.पी. भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों से निपटने के मामले में काफी सख़्त रही है।

भ्रष्टाचार से निपटने के मामले में कुछ दावा करने का नैतिक अधिकार अब ना तो भाजपा के पास है और ना ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के पास, क्योंकि ललित मोदी काण्ड, व्यापम खूनी घोटाला, विजय माल्या का किंग फिशर घोटाला, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि भाजपा शासित राज्यों में हुये बड़े-बड़े घोटाले भाजपा के दामन पर वैसे ही दाग है जैसे कांग्रेस पार्टी के ऊपर अनेकों घोटालों के दाग हैं।

एक दलित की बेटी अच्छे बंगले में रहे यह जातिवादी मानसिकता रखने वाली भाजपा व इसके शीर्ष नेतृत्व श्री अमित शाह को हज़म नहीं हो पा रहा है। उनके भाषण से यह भी स्पष्ट होता है।

बी.एस.पी. केन्द्रीय कार्यालय
4, गुरूद्वारा राकाबगंज रोड,
नई दिल्ली – 110001

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