पंचायती राज व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका

पंचायती राज व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका

शिमला  –   भारत में वैदिक काल से ही सामाजिक प्रबन्धन, न्याय और प्रशासन में पंचायती राज व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ग्राम पंचायतों के महत्व पर बल देते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गाॅंधी ने पंचायती राज को भारतीय राजनीतिक प्रणाली की नींव कहा था।

हिमाचल सरकार, गांधी जी की अवधारणा के अनुरूप लोकतांत्रिक प्रणाली की इस मूल कड़ी को अधिक सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके दृष्टिगत पंचायती राज संस्थाओं को विभिन्न प्रशासकीय तथा वित्तीय शक्तियों के हस्तांतरण के साथ-साथ राज्य के अन्य सम्बद्ध विभागों की शक्तियां, कार्य एवं उत्तरदायित्व संविधान के प्रावधानानुसार दिए गए हैं।

प्रदेश सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं तथा पंचायती राज विभाग के लिए वर्ष 2015-16 में 414 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। हाइटेक होती पंचायतें पंचायती राज संस्थाओं के कार्यों को सुचारू एवं प्रभावी बनाने के साथ-साथ इनके कार्यों में पारदर्शिता तथा जबावदेही लाने के लिए सभी पंचायतों का पूर्ण कम्पयूटरीकरण किया गया है।

कम्प्यूट्रीकरण से लेखों तथा अभिलेखों के रख-रखाव में भी मदद मिली है। ‘मिशन मोड प्रोजेक्ट’ के अन्तर्गत अद्ययतन साफ्टवेयर एप्लीकेशनों को पंचायती राज संस्थाओं में लागू किया गया है, जिसके संचालन के लिए कर्मियों को पंचायती राज संस्थान, मशोबरा में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। प्रोजेक्ट के अन्तर्गत सहायक प्रोग्रामर के 13 स्वीकृत पदों में से 12 पद भरे जा चुके हैं तथा कम्प्यूटर ओपरेटर के 79 पदों में से 75 पदों को भरा गया है।

किन्नौर जिला की सभी पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ने के लिए प्रत्येक पंचायत में वी-सैट लगाने के लिए वर्ष 2014-15 में 31.40 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई है। प्रदेश सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत में सचिव अथवा पंचायत सहायक की उपलब्धता सुनिश्चित बनाने के लिए पंचायत सहायकों के 400 रिक्त पदों को भरने का निर्णय लिया है, ताकि ग्राम स्तर पर विभिन्न सेवाओं को और प्रभावी तरीके से कार्यान्वित किया जा सके।

345 स्वीकृत पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है, जिसमें 280 पद हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के माध्यम से तथा 65 पद खेल कोटे इत्यादि से भरे जा रहे हैं। पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए करोडों रुपये का प्रावधन विगत अढ़ाई वर्षों में प्रदेश को 13वें वित्तायोग के अन्तर्गत पंचायती राज संस्थानों के सृदुढ़ीकरण के लिए 391.39 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है।

वर्ष 2012-13 में 86.14 करोड़ रुपये, वर्ष 2013-14 में 153.47 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2014-15 में 151.78 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं। वर्ष 2015-16 में प्रदेश सरकार राज्य बजट से पंचायतों को 109 करोड़ रुपये की राशि जारी करेगी। इसके अतिरिक्त, इस अवधि के दौरान 14वें वित्तायोग की संस्तुतियों के अनुरूप पंचायतों को 195 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे।

राज्य वित्तायोग द्वारा दिसम्बर, 2012 से अब तक पंचायती राज संस्थाओं के लिए 215.48 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है, जिसे पंचायत पदाधिकारियों के मानदेय, पंचायती राज संस्थाओं के कर्मचारियों के मानदेय व यात्रा अथवा दैनिक भत्ता, कार्यालय व्यय तथा पंचायत घरों के निर्माण व अपवर्धन पर व्यय किया गया है।

पंचायत घरों के नव निर्माण के लिए वर्ष 2014-15 में 50 ग्राम पंचायतों को 3.75 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान मशोबरा में बनने वाले राज्य पंचायत स्रोत केन्द्र के लिए वर्ष 2013-14 में 1.25 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है। पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण पर गत अढ़ाई वर्षों में लगभग साढ़े चार करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की गई है।

पिछड़ा क्षेत्र अनुदान योजना के अंतर्गत चम्बा और सिरमौर जिलों में गत अढ़ाई वर्षों में केद्रीय पंचायती राज विभाग से 69.95 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है, जिसके तहत 5588 कार्य स्वीकृत किए गए हैं। पदाधिकारियों व कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी प्रदेश सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के पदाधिकारियों व कर्मचारियों के मानदेय में बढ़ोतरी की है। सरकार द्वारा जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को प्रतिमाह क्रमशः 6500 रुपये तथा 4500 रुपये, ग्राम पंचायत के प्रधान व उप प्रधान को हर महीने क्रमशः 2100 रुपये व 1800 रुपये मानदेय प्रदान किया जा रहा है।

जिला परिषद और पंचायत समिति के सदस्यों को क्रमशः 2400 रुपये व 2100 रुपये मानदेय प्रदान किया जा रहा है। ग्राम पंचायत के सदस्यों को महीने में अधिकतम दो बैठकों में भाग लेने के लिए प्रति बैठक 200 रुपये प्रदान किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायतों में कार्यरत पंचायत सहायकों के मानदेय को 5910 रुपये से बढ़ाकर 7000 रुपये प्रतिमाह किया गया है। सिलाई अध्यापिकाओं के मानदेय को 1600 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये और पंचायत चैकीदारों के मानदेय को 1650 रुपये से बढ़ाकर 1800 रुपये प्रतिमाह किया गया है।

पंचायती राज संस्थाओं को उनके दिन प्रतिदिन के कार्यों को सुचारू एवं प्रभावी तरीके से निष्पादित करने के लिए कन्ष्ठि अभियन्ता, कनिष्ठ आशुलिपिक इत्यादि के पद स्वीकृत किए गए हैं। इसके अलावा, पंचायती राज संस्थाओं में नियुक्त एक सहायक अभियन्ता, 15 कनिष्ठ अभियन्ता, 6 कनिष्ठ आशुलिपिक तथा एक कनिष्ठ लेखापाल की सेवाओं को नियमित किया गया है।

महिला ग्राम सभाओं का आयोजन महिलाओं और बच्चों से सम्बन्धित मामलों और पंचायत के समग्र विकास से सम्बद्ध मामलों पर विचार विमर्श के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित बनाने के दृष्टिगत हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम 1994 में प्रत्येक ग्राम सभा में दो महिला ग्राम सभाओं के आयोजन का प्रावधान किया गया है। महिला ग्राम सभा की पहली बैठक हर वर्ष 8 मार्च को तथा दूसरी सितम्बर माह के प्रथम रविवार को आयोजित की जाएगी।

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