कुष्ठ से घबराए नहीं बल्कि निःसंकोच आगे आकर अपना इलाज करवाएं -मुख्यमंत्री

कुष्ठ से घबराए नहीं बल्कि निःसंकोच आगे आकर अपना इलाज करवाएं  -मुख्यमंत्री

रायपुर –राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम को छत्तीसगढ़ में उत्साहजनक सफलता मिल रही है। इस कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान के फलस्वरूप छत्तीसगढ़ में कुष्ठ रोग की प्रसार दर में भी लगतार गिरावट आ रही है। विगत लगभग एक दशक में राज्य में प्रत्येक दस हजार की जनसंख्या पर कुष्ठ रोग का प्रसार 3.60 से घटकर 2.90 रह गया है। यह बहु औषधि उपचार प्रणाली (एम.डी.टी.) का चमत्कार है। वर्ष 2005 से 2015 के बीच इस अवधि में कुष्ठ के लगभग 61 हजार मरीजों को बहु औषधि प्रणाली का उपचार दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ में भी इन दिनों कुष्ठ निवारण पखवाड़ा मनाया जा रहा है। यह पखवाड़ा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर 30 जनवरी से शुरू हुआ है और इस महीने की 13 तारीख तक चलेगा। कुष्ठ रोग के बारे में समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करने के लिए जन-जागरण इस पखवाड़े का मुख्य उद्देश्य है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और स्वास्थ्य मंत्री श्री अजय चन्द्राकर ने सभी लोगों से कुष्ठ निवारण पखवाड़े के कार्यक्रमों में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने, इस बीमारी के लक्षणों और उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त करने की अपील की है।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज यहां जारी अपील में कहा है कि चिकित्सा विज्ञान के आधुनिक आविष्कार बहु औषधि उपचार प्रणाली (एम.डी.टी.) कुष्ठ पीड़ितों के लिए वरदान साबित हो रही है। लोगों को इस बीमारी से घबराना नहीं चाहिए, बल्कि इसके लक्षणों को पहचान कर निःसंकोच आगे आकर सरकारी अस्पतालों में अपना इलाज करवाना चाहिए। सभी शासकीय अस्पतालों में इस बीमारी का निःशुल्क इलाज किया जा रहा है। बहु औषधि उपचार पद्धति में कुष्ठ के संक्रामक मरीज एक वर्ष के भीतर और असंक्रामक मरीज छह महीने के भीतर रोगमुक्त हो जाते हैं। उपचार शुरू होते ही अर्थात औषधि की खुराक लेना शुरू करते ही मरीज को संक्रमण से छुटकारा मिल जाता है।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य में वर्ष 2015 में कुष्ठ रोग के आठ हजार 220  मरीज पाए  गये । इसमें आठ हजार 257 वयस्क और 590 अवयस्क शामिल है। इनमें से सात हजार सात 704 मरीज इलाज के लिए चिन्हाकिंत कर बहु औषधि उपचार (एम.डी.टी.) दिया जा रहा है।  कुष्ठ पखवाड़ा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जिला और विकासखण्ड स्तर पर जागरूकता रैली निकाली जा रही है।  इसके अलावा कुष्ठ पीड़ित मरीजों को चप्पलें एवं सेल्फ सुरक्षा किट निःशुल्क वितरित किए जा रहे है।

बहुद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, मितानिनों द्वारा घर-घर जाकर कुष्ठ के मरीजों की पहचान की जा रही है। कष्ठ रोग की पुष्टि होने पर उन्हें तत्काल एमडीटी उपचार दिया जा रहा है। वहीं कृष्ठ विकृति वाले मरीजों को आसीएस आपरेशन से लाभान्वित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री अजय चन्द्राकर ने विगत दिनों स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में  प्रदेश में वृहद स्तर पर अभियान चलाकर कुष्ठ मुक्ति के लिए ठोस कदम उठाने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए थे।

अधिकारियों ने बताया कि कुष्ठ माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रा नामक जीवाणु के कारण फैलता है। कुष्ठ रोग फैलने का मुख्य कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना है। प्रदूषण व गंदगी के कारण कुष्ठ का लेप्रोसी नामक  जीवाणु शरीर के रोगों से  लड़ने वाले बैक्टैरिया को निष्क्रिय कर देता है। इससे शरीर में दाग होने लगते है। शरीर की नसों में अकड़न होने लगती है।

अधिकारियों ने कुष्ठ के लक्षणों के बारे में बताया कि पलको का बन्द न कर पाना, सून्नपन और सूखापन के कारण शरीर अंगों में दरार और जख्म का होना, लकवाग्रस्त मांसपेशियों के कारण उंगलियां टेड़ी हो जाना, हांथ की उंगलियों की पकड़ कमजोर हो जाना, गरम खाना या वस्तुओं का पता नहीं लग पाना आदि कुष्ठ रोग के लक्षण है। ऐसे मरीजों का पहचान कर जल-तेल उपचार की सलाह देना चाहिए। उन्हें एमसीआर चप्पल, सेल्फ सुरक्षा किट दिया जाना चाहिए आंखों के बचाव के निए सलाह और निर्धारित मापदंड के अुनसार चयन कर कुष्ठ शल्यक्रिया(आरसीएस) किया जाए।

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