प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नागरिक उड्डयन नीति पर अनौपचारिक बैठक का लेखा जोखा नहीं : – सूचना का अधिकार

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नागरिक  उड्डयन नीति पर अनौपचारिक बैठक का लेखा जोखा नहीं : – सूचना का अधिकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नागरिक  उड्डयन नीति पर केंद्रीय मंत्रियों की हुई एक महत्त्वपूर्ण बैठक का लेखा-जोखा केंद्र सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। खबरों के अनुसार इस बैठक में सरकार ने अपनी नागरिक उड्डयन नीति का भविष्य तय किया था। सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस बैठक  का कोई ब्योरा नहीं है, क्योंकि यह एक अनौपचारिक बैठक थी। 14 अक्टूबर को आए इस जवाब में कहा गया, ’25 अगस्त 2015 को हुई बैठक औपचारिक नहीं थी, इसलिए कोई एजेंडा भी नहीं था और सूक्ष्म बातों पर चर्चा नहीं हुई थी।’

इस साल 25 अगस्त को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में यह बैठक हुई थी। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली, सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, नागरिक उड्डïयन मंत्री अशोक गजपति राजू और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री महेश शर्मा भी शामिल थे। बैठक में नागरिक उड्डïयन सचिव आर एन चौबे ने नागरिक उड्डयन नीति के मसौदे पर प्रधानमंत्री के समक्ष एक प्रस्तुति रखी थी। ऐसी खबरें थीं कि यह बैठक लगभग तीन घंटे तक चली थी।

बैठक में फैसला हुआ कि मुख्य मुद्दों पर कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा के नेतृत्व में सचिवों का एक पैनल तैयार किया जाएगा, लेकिन इस प्रस्ताव पर कोई सहमति नहीं बन पाई। चार महीने बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अपनी पुरानी नागरिक उड्डयन मसौदा नीति नए सिरे से लिखने का फैसला किया। अभी तक यह मसौदा नीति सार्वजनिक नहीं हुई है।

आरटीआई के  तहत मिले जवाब में कहा गया है, ‘जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें क्षेत्रीय जुड़ाव, 5/20 नियम, द्विपक्षीय यातायात अधिकार, कूट साझा समझौता, रख-रखाव, मरम्मत और सेवा में बदलाव, उड्डïयन क्षेत्र को प्रभावित करने वाले मुद्दों, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आदि पर चर्चा हुई।’

चौबे को इस संबंध में भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया। पिछले कुछ समय में ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रधानमंत्री ने देश की नागरिक उड्डयन नीति तय करने के लिए खुद बैठक की अध्यक्षता की हो। इसके साथ ही मसौदा नीति तैयार करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने एक अलग तरीका अपनाया। नीति पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया आमंत्रित करने से पहले मंत्रालय ने अंतर-मंत्रालय विमर्श करने का फैसला किया। आम तौर पर मसौदा नीति पहले सार्वजनिक की जाती है और फिर प्राप्त सुझावों और आपत्तियों के आधार पर सरकार इस पर रुख स्पष्टï करती है। इसके बाद मसौदा अंतर-मंत्रालय विमर्श के लिए भेजा जाता है।

नागरिक उड्डयन जिन चुनौतियों से जूझ रही है, उनमें कई मुद्दों पर प्रधानमंत्री द्वारा अपनाए रुख को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। मिसाल के तौर पर विदेशी उड़ान के लिए शर्तों, जिसे 5/20 नियम भी कहा जाता है, पर बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर प्रकाशित की थी कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय को व्यापक विर्मश करने को कहा था।

सूत्रों ने इस समाचार पत्र को बताया था कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय मसौदा उड्डयन नीति में विदेशी उड़ान पर उपलब्ध सभी चार विकल्पों का जिक्र करेगा। इस समय अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर उड़ान सेवा देना के लिए किसी विमानन कंपनी को 5 साल का अनुभव और उसके बेड़े में 20 विमान होने चाहिए। इस मुद्दे ने घरेलू विमानन उद्योग को विभाजित कर दिया है।

मौजूदा विमानन कंपनियां मौजूदा नियम में किसी तरह के बदलाव का साफ विरोध कर रही हैं जबकि नई कंपनियां इसकी जगह नए नियम तैयार किए जाने के पक्ष में हैं। ऐसी खबरें थी कि बैठक में कई कड़े फैसले लिए गए थे। इनमें एक था यात्रा टिकट पर 2 प्रतिशत उपकर का प्रावधान, जिसका इस्तेमाल क्षेत्रीय मार्गों पर वायबलिटी गैप फंंडिंग प्रदान करना था। ऐसी भी खबरें थीं कि प्रधानमंत्री ने बैठक में ‘ओपन स्काई’ नीति अपनाने पर अपनी सहमति दे दी थी।

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