• November 4, 2015

राजस्थान में टेक्सटाईल पार्को और वस्त्र उद्योगों के लिए केन्द्र पर्यावरणीय मंजूरी दिलवाने में मदद करेें – उद्योग मंत्री

राजस्थान में टेक्सटाईल पार्को और वस्त्र उद्योगों के लिए केन्द्र पर्यावरणीय मंजूरी दिलवाने में मदद करेें –  उद्योग मंत्री

जयपुर -उद्योग मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि वह राज्य में टेक्सटाईल पार्को की स्थापना और वस्त्र उद्योगों के लिए वांछित पर्यावरणीय स्वीकृति दिलवाने में अपेक्षित सहयोग करें।
श्री खींवसर बुधवार को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में केन्द्रीय वस्त्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में आयोजित राज्यों के वस्त्र मंत्रियों के वार्षिक सम्मलेन में राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार ने राज्य के लिए छह टेक्सटाईल पार्को की मंजूरी प्रदान की थी जिनमें से चार पार्को की स्थापना की जा चुकी है और उनमें कार्य भी हो रहा है, लेकिन दो टेक्सटाईल पार्क अभी तक केन्द्र से पर्यावरणीय स्वीकृति के अभाव से शुरू नही हो पा रहे हैं।
श्री खींवसर ने बताया कि विश्व प्रसिद्घ सांगानेरी प्रिंट उद्योग से जुड़े सांगानेर के साथ ही वस्त्र उद्योग के हब माने-जाने वाले बालोतरा एवं पाली आदि के टेक्सटाईल उद्योगों को भी पर्यावरणीय मंजूरी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने बताया कि केन्द्रीय वस्त्र राज्यमंत्री नेे इस समस्या के समाधान के लिए राज्य को सामान्य प्रवाह उपचार सयंत्र  की मंजूरी प्रदान करवा कर वस्त्र उद्योग से जुड़े हजारों लोगों की मदद की हैं। इस सयंत्र के लिए भारत सरकार 50 प्रतिशत मदद कर रही है। शेष 25 प्रतिशत की राज्य सरकार और 25 प्रतिशत सम्बंधित उद्यमियों द्वारा दिया जा रहा है।
श्री खींवसर ने बताया कि राज्य की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे की पहल पर टेक्सटाईल उद्योग को राज्य के आठ प्रमुख वरीयता उद्योगों में शामिल कर प्राथमिकता दी जा रही है और आगामी “रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप समिट’ में भी इस क्षेत्र में अच्छा निवेश आने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि “राजस्थान निवेश प्रोत्साहन नीति-2014′ के अन्तर्गत राज्य में टेक्सटाईल उद्योग को कई प्रकार की छूट एवं रियायतें दी जा रही हैं।
श्री खींवसर ने बताया कि राजस्थान का हस्तशिल्प सारी दुनियां में मशहूर है, विशेषकर राजस्थान की परम्परागत साडिय़ों आदि की बहुरंगी डिजाईनें देश-विदेश में पसंद की जाती है। रेगिस्तान बहुल पश्चिम राजस्थान की भेड़ों एवं ऊंटों की ऊन और बालों से बनने वाली शॉले, दरियां आदि ने विश्वभर में अपनी अलग पहचान बनाई है। इसी प्रकार राजस्थान में कपड़ों पर कांच और सितारों की कारीगरी भी काफी मशहूर है।
उन्होंने बताया कि टेक्सटाईल उद्योग की प्रगति में राजस्थान प्रारंभ से ही अहमं भूमिका निभाता आया है और देश के साथ ही विश्व बाजार में भारतीय वस्त्रों को पहचान दिलाने में राजस्थान का सदैव अपूर्व योगदान रहा है। वस्त्र उद्योग से जुड़े देश के अधिकतर उद्योगपति राजस्थान मूल से है।
श्री खींवसर ने बताया कि केन्द्र सरकार की मदद से प्रति वर्ष जयपुर में विश्व स्तर की “वस्त्र प्रदर्शनी” का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने केन्द्रीय राज्यमंत्री को आगामी प्रदर्शनी के शुभारंभ समारोह में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया। श्री खींवसर ने बताया कि वर्तमान में केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के 4500 बुनकरों को प्रशिक्षण के लिए 10 हजार रूपये प्रति बुनकर उपलब्ध करवाया जा रहा है और राज्य सरकार भी उन्हें 3300 प्रति बुनकर प्रदान कर रही है। उन्होंने बुनकरों की संख्या बढ़ाने का आग्रह किया।
उन्होंने बताया कि राज्य में एक पॉवर लूम सेंटर की मंजूरी भी दी गई है जिसके लिए 100 हैक्टेयर भूमि का आवंटन किया जा चुका है। श्री खींवसर ने बताया कि मुख्यमंत्री इन केन्द्रों को “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में विकसित करना चाहती है ताकि राज्य के बुनकरों को परम्परागत डिजाईनों के साथ-साथ आधुनिक तकनिकी और कौशल विकास का लाभ भी मिल सकें। उन्होंने इसके लिए केन्द्र से अतिरिक्त सहायता दिलवाने का आग्रह भी किया।
सम्मेलन में केन्द्रीय वस्त्र राज्यमंत्री ने वस्त्र मंत्रालय की नई उन्नत वेबसाईट और मोबाईल एप्लीकेशन का शुभारंभ भी किया। इस मौके पर केन्द्रीय वस्त्र सचिव श्री एम.के. पांडा भी मौजूद थे।
श्री खींवसर ने केन्द्रीय वस्त्र राज्यमंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार तथा सम्मेलन में उपस्थित राज्यों के सभी मंत्रियों को जयपुर में आगामी 19-20 नवम्बर को आयोजित होने वाले रिसर्जेंट राजस्थान पार्टनरशिप समिट में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया। उन्होने बताया कि इस समिट से राजस्थान में बडी मात्रा में निवेश आने की सम्भावना हैं।

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