- August 16, 2015
BCCI से सदस्य बनने के लिये नियमावली तलब – उच्च न्यायालय
मा० उच्च न्यायालय ने BCCI के पास जो भी दस्तावेज है व सभी एक हप्ते के अंदर पेश करे।
ग्रामीण क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा फिर से बीसीसीआई के खिलाफ उच्च न्यायालय औरंगाबाद खंडपीठ में ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों के लिये स्वतंत्र रुप में टीम बनाने और सदस्यता कि मांग को लेकर ता० 13-08-2015 यचिका नं०7088 – 15 पर सुनवाई हुई है । मा० उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि BCCI के खिलाफ जो भी दस्तावेज है एक हप्ते के अंदर पेश करें।
इसकी अगली सुनवाई 20-08-2015 को मुकरर कि गई है.
रणजी टीम में ग्रामीण खिलाड़ियों को लेने के लिए औरंगाबाद कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिस पर संज्ञान लेते हुये मा० उच्च न्याायालय ने बीसीसीआई को ऑर्डर ता० 09 जुलाई 2014 जारी किया था । जबाब देते हुए BCCI ने लिखा है कि ग्रामीण क्रिकेट एसोसिएशन सदस्य नही है.
मा० उच्च न्यायालय ने बीसीसीआई को ग्रामीण क्रिकेट एसोसिएशन की सदस्यता के लिये नियमावली प्रस्तुत करने के लिये कहा था.
उक्ति जानकारी देते हुये याचिकाकर्ता ग्रामीण संगठन के सचिव लवकुमार जाधव व उनके वकील एड० प्रशांत सूर्यवंशी ने बताया कि खंडपीठ ने बीसीसीआई को ऑर्डर जारी कर दिया था लेकिन BCCI ने उचित निर्णय नही लिया।
इसलिये ग्रामीण क्रिकेट एसोसिएशन फिर से मा० उच्च न्यायालय में ता० 07-07-2015 वाद मागंने गये ग्रामीण क्रिकेट एसोसिएशन ने बताया कि एसोसिएशन की स्थापना 13 अप्रैल 2004 को हुई थी जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं को उजागर करने के लिए विगत 10 वर्षों से लगातार तहसील जिला राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर स्पकर्धायें आयोजित की जा रही हैं। संस्थापक ने अव तक 13 प्रदेशों में 27 हजार से ज्यादा खिलाड़ी तैयार किये हैं।
उन्होंने जानकारी देते हुये कहा कि जिसतरह बीसीसीआई रणजी की शहरी टीमों के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में लेती रही है उसी तरह से ग्रामीण टीमों के खिलाड़ियों को भी राष्ट्रीय टीम में लेना चाहिये। इस संबंध में पहले संस्था द्वारा बीसीसीआई से कई बार पत्र व्यरवहार किया गया मगर अभी तक बीसीसीआई की ओर से कोई संज्ञान नहीं लिया गया ।
बीसीसीआई के व्यवहार से क्षुब्ध होकर संस्था ने न्यायालय की शरण ली है। नये उदीयमान ग्रामीण खिलाड़ियों के भविष्य की खातिर न्यायालय ही एक रास्ता शेष रह जाता है।