• November 11, 2021

100 साल पहले चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति

100 साल पहले चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति

नई दिल्ली—(कमल कुमार)— वाराणसी से करीब 100 साल पहले चोरी हुई मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति आज कनाडा से भारत वापस आ गई है। कनाडा सरकार ने इस बेशकीमती मूर्ति को भारत को सौंप दिया है। 15 नवंबर को इस मूर्ति को वाराणसी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने मूर्ति को उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा और नीलकंठ तिवारी को सौंप दिया है।

इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री लेखी ने कहा कि एक समय था जब भारत की परंपराएं टूटे हुए घड़े के समान रिसरिस कर देश के बाहर जा रही थी और आज उसको मरम्मत और मजबूत करके वापस संजोने का काम हो रहा है। मां अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से वापस लाकर केन्द्र सरकार ने इसको उत्तर प्रदेश सरकार को सौंप दिया है।

नेशनल गैलरी आफ माडर्न आर्ट नई दिल्ली में आयोजित माता अन्नपूर्णा की पूजा और अनुष्ठान का कार्यक्रम होने के बाद यहां से काशी विश्वनाथ मंदिर स्थित कारीडोर में ईशान कोण पर स्थापित की जाएगी। मूर्ति को 15 नवंबर को वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाबा दरबार क्षेत्र में आगवानी कर स्थापित करेंगे। यह मूर्ति वाराणसी में बाबतपुर से कचहरी, अंधरापुल, मलदहिया, कमच्छा,भेलूपुर होते हुए दुर्गा मंदिर (दुर्गाकुंड) में रखी जाएगी। यहां से दूसरे दिन लंका और सोनारपुरा, मदनपुरा, गोदौलिया, ज्ञानवापी होते हुए बाबा दरबार में 15 नवंबर को पहुंचेगी।

बता दें कि 100 साल पहले, 1913 के करीब वाराणसी से मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति को चुराकर देश से बाहर भेज दिया गया था। विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा करीब 900 वर्ष पुरानी है। जिसे एक सदी पहले वर्ष 1913 में चुराकर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेच दिया गया था, जो कनाडा की मैकेंजी आर्ट गैलरी द्वारा प्रशासित विश्वविद्यालय को प्राप्त हुई है, तब से यह प्रतिमा वहीं रखी हुई थी।

हाल ही में विश्वविद्यालय को पता चला की मूर्ति को गलत तरीक से हासिल किया गया था, जो नैतिक अधिग्रहण के वर्तमान सिद्धांतों के अनुरूप नहीं था। जिसके बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने भारत के सांस्कृतिक खजाने को वापस करने का फैसला किया। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने जब इस संबंध में कनाडा स्थित भारतीय उच्चायोग से संपर्क किया, तो वहां के अधिकारियों ने खुशी जाहिर करते हुए प्रतिमा को वापस भारत लाने के प्रयास तेज कर दिए। इसके बाद बीते 19 नवंबर को एक आभासी कार्यक्रम में रेजिना विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ थॉमस चेस ने देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा को भारत को सौंप दिया गया।

Related post

धोखाधड़ी, जालसाजी व जान से मारने की धमकी  : मुख्यमंत्री महोदय का  पत्र सलग्न :

धोखाधड़ी, जालसाजी व जान से मारने की धमकी : मुख्यमंत्री महोदय का पत्र सलग्न :

रमाकांत उपाध्याय (आरा )—– प्रार्थी के जमीन के साथ हुई कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी, जालसाजी…
क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है?

क्या भारत एक स्वस्थ युवाओं का देश भी है?

डॉक्टर नीलम महेंद्र : वर्तमान  भारत जिसके विषय में हम गर्व से कहते हैं कि यह…
नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

नेहरू से हमें जो सीखना चाहिए

कल्पना पांडे————-इतने सालों बाद हमे शर्म से ये स्वीकार कर लेना चाहिए कि धार्मिक आडंबरों, पाखंड…

Leave a Reply