- September 21, 2021
76% पैरेंट्स अपने बच्चों को वापस स्कूल भेजने के लिए तैयार हैं : लीड सर्वे
दिल्ली—–: लगभग 18 महीनों बाद राज्य सरकारें चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन के नियमों में छूट दे रही हैं और स्कूल दोबारा खुल रहे हैं। इस बीच प्रमुख एडटेक (एजुकेशन टेक्नोलॉजी) कंपनी लीड ने पेरेंट्स के साथ एक सर्वे किया है, ताकि बच्चों को वापस स्कूल भेजने पर उनके विचार समझे जा सकें।
इस सर्वे के परिणाम बताते हैं कि जवाब देने वालों में से 59% को लगता है कि महामारी के कारण उनके बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हुआ है और दिल्ली में 76% पेरेंट्स अपने बच्चों को वापस स्कूल भेजना चाहते हैं। उनका मानना है कि स्कूलों के दोबारा खुलने से ही स्कूल का पूरा अनुभव मिलना संभव है।
यह सर्वे मेट्रो और नॉन-मेट्रो शहरों में रहने वाले उन 10500 पेरेंट्स के बीच हुआ था, जिनके बच्चे कक्षा 1 से लेकर 10 में पढ़ते हैं।
लीड का सर्वे बताता है कि अपने बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, 22% पेरेंट्स के लिये स्कूल स्टाफ का वैक्सीनेशन सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसके अलावा, 55% मेट्रो पेरेंट्स ने सामाजिक दूरी को सबसे महत्वपूर्ण माना, जिसके बाद स्वास्थ्यरक्षा सुविधाओं की बारी थी (54%)। इधर नॉन-मेट्रो पेरेंट्स ने कहा कि खेलों और सामाजिक दूरी का महत्व बराबर है (52%)।
पेरेंट्स ने महामारी के दौरान बच्चों और खुद के सामने आई चुनौतियों पर बात की और याद किया कि शुरूआती दिनों में वे कैसे ‘वर्क फ्रॉम होम’ और ‘स्कूल फ्रॉम होम’ के बीच ताल-मेल बिठाते थे। अध्ययन में पाया गया कि 47% मेट्रो पेरेंट्स ने अपने बच्चों के स्कूल में हर दिन 3 से 4 घंटे बिताये, जबकि ऐसा करने वाले नॉन-मेट्रो पेरेंट्स 44% थे। इसके आगे, सर्वे ने बताया कि अधिकांश पेरेंट्स (63%) को लगता है कि फिजिकल क्लासरूम में होने से बच्चों की सामाजिक पारस्परिक क्रिया बेहतर होती है।
लीड के को-फाउंडर और सीईओ सुमीत मेहता ने कहा, “पिछला डेढ़ साल टीचर्स, प्रिंसिपल्स, स्कूलों और सबसे महत्वपूर्ण, स्टूडेंट्स के लिये आसान नहीं रहा है। सबसे कम आय वाले परिवारों के बच्चों को डाटा और डिवाइसेस तक पहुँच नहीं होने के कारण पढ़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। हमारा सर्वे स्पष्ट रूप से दिखाता है कि दिल्ली में 76% पेरेंट्स अपने बच्चों को वापस स्कूल भेजना चाहते हैं। तो, आइये हम पेरेंट्स की बात सुनें और जो 24% लोग तैयार नहीं हैं, उनके लिये ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था करें। स्कूलों को अनिवार्य उपयोगिता माना जाना चाहिये और पेरेंट्स अपने बच्चों को सकारात्मक और खुले दिमाग से वापस स्कूल भेजें। आइये, हम सभी जरूरी सावधानियाँ बरतते हुए और सुरक्षा के उपायों को अपनाकर स्कूल में बच्चों के स्वागत की तैयारी करें।”
नॉन-मेट्रो पेरेंट्स के बीच ज्यादा असंतोष
नॉन-मेट्रो में केवल 40% पेरेंट्स ने कहा कि उनके बच्चे ने पर्सनल कंप्यूटर पर पढ़ाई की थी, जबकि लगभग 60% मेट्रो पेरेंट्स ने बताया कि उनका बच्चा लॉकडाउन का एक साल बीतने के बाद भी कंप्यूटर/लैपटॉप पर पढ़ता रहा। नॉन-मेट्रो के ज्यादातर स्टूडेंट्स ने स्मार्टफोन के जरिये स्कूल अटेंड किये, जिससे पेरेंट्स को अक्सर चिंता हुई।
डाटा यह भी बताता है कि भविष्य के लिये स्किलसेट्स के मामले में बच्चों के वर्चुअल पढ़ाई के माहौल से मेट्रो पेरेंट्स की तुलना में नॉन-मेट्रो पेरेंट्स ज्यादा चिंतित थे। 53% मेट्रो पेरेंट्स ने प्रॉबलम सॉल्विंग और लॉजिकल रीजनिंग को सबसे महत्वपूर्ण स्किल माना, जबकि ऐसा मानने वाले नॉन-मेट्रो पेरेंट्स 47% थे। इसी प्रकार 50% से ज्यादा मेट्रो पेरेंट्स ने डिजिटल साक्षरता को महत्वपूर्ण स्किल माना, जबकि ऐसा मानने वाले नॉन-मेट्रो पेरेंट्स केवल 45% थे। पेशेवर मौके और कुशलताएं, आचार-सम्बंधी और नैतिक श्रवण, और कोडिंग तथा कंप्यूटेशनल स्किल्स उन अन्य कुशलताओं में से कुछ थे, जिन्हें मेट्रो पेरेंट्स ने महत्वपूर्ण माना।
चिंताओं के कुछ आम कारण
मेट्रो और नॉन-मेट्रो, दोनों तरह के 70% पेरेंट्स ने कहा कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई से जुड़े थे, लेकिन इस पढ़ाई से जुड़ने वाली ‘माताओं’ की सहभागिता मेट्रो शहरों में ज्यादा (21%) थी, जबकि नॉन-मेट्रो में 18%, यानि कम थी। इससे पता चलता है कि उस दौरान खासतौर से कामकाजी महिलाओं की जिम्मेदारियाँ बढ़ गई थीं।
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