• November 11, 2019

100 कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार

100 कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार

नयी दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) केंद्र सरकार के करीब 100 कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन दायर करने की मंजूरी के लिए चार माह से अधिक का इंतजार कर रहा है. इनमें कई भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी हैं.

नियमों के तहत भ्रष्टाचार के आरोपी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन के लिए चार महीने में मंजूरी दी जानी होती है. सीवीसी के अनुसार, उसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) तथा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दायर करने की मंजूरी मिलने में देरी हो रही है.

सीवीसी के ताजा आंकड़ों के अनुसार, कुल 51 मामलों में कम से कम 97 अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाया जाना है. इनमें से सबसे अधिक आठ मामले भ्रष्टाचार रोधक मामलों में नोडल प्राधिकरण कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के पास लंबित हैं. इसी तरह कॉरपोरेशन बैंक के पास भी आठ मामले लंबित हैं.

सीवीसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार से छह अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की मंजूरी नहीं मिली है. इसी तरह दो-दो ऐसे मामले रक्षा मंत्रालय रेल मंत्रालय, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, राजस्व विभाग, पंजाब नेशनल बैक और जम्मू-कश्मीर सरकार के पास लंबित हैं. एक-एक मामला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग), केनरा बैंक, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय और लोकसभा के पास लंबित है. सीवीसी के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु की सरकारों ने भी चार महीने के निर्धारित समय में कथित रूप से भ्रष्टाचार में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति नहीं दी है.

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