न्याय आपके द्वार अभियान—27 वर्ष बाद सही नाम और 2 1 साल बाद भूमि हक

न्याय आपके द्वार अभियान—27 वर्ष बाद सही नाम और 2 1 साल बाद  भूमि हक

जयपुर———– जयपुर जिले की फागी तहसील के तहत ग्राम पंचायत गोहन्दी में बुधवार को आयोजित राजस्व लोक अदालत-न्याय आपके द्वार शिविर में शिविर प्रभारी एवं उपखण्ड अधिकारी श्री सावन कुमार के साथ राजस्व विभाग की टीम और गांव के मौजिज लोगों की समजाइश एवं प्रयासों से वर्षों से अटके कई मामलों का मौके पर समाधान करते हुए लोगों को राहत प्रदान की गई।

शिविर में जहां एक और शांति देवी को 27 वषोर्ं बाद सही नाम मिला, वहीं कृष्ण कुमार को 21 वर्ष बाद उसके हक की भूमि प्राप्त हुई और ग्राम कारवां के 9 लोगों के बीच ढाई दशक से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप करते हुए 43 बीघा 7 बिस्वा भूमि का खाता विभाजन कर बराबर बटवारा किया गया।

शांति देवी को 27 वर्ष बाद मिला सही नाम

फागी तहसील में गुलाबपुरा निवासी शांतिदेवी पत्नी लक्ष्मण जाट ने गोहन्दी के राजस्व लोक अदालत-न्याय आपके द्वार शिविर में शिविर प्रभारी के समक्ष उपस्थित होकर बताया कि उसने 9 जनवरी, 1991 को गुलाबपुरा में रजिस्ट्री के द्वारा भूमि खरीदी थी।

खरीद के पश्चात राजस्व रिकॉर्ड में इन्द्राज के समय गलती से उसका नाम शांति देवी की जगह शायर देवी दर्ज हो गया। इसके बाद 1991 से वह अपना नाम दुरूस्त कराने के लिए कई चक्कर काटती रही है। शांति देवी ने बताया कि उसने जनवरी 2017 में उपखण्ड न्यायालय, फागी में उपस्थित होकर रिकॉर्ड में अपना नाम शायर देवी से शांति देवी में परिवर्तित करने के लिए दावा प्रस्तुत किया था।

उपखण्ड अधिकारी श्री सावन कुमार ने गोहन्दी के न्याय आपके द्वार शिविर में आमजन की उपस्थिति में जांच के पश्चात राजस्व रिकॉर्ड में उसका वास्तविक नाम शांति देवी दर्ज करते हुए ‘एंट्री’ करने के आदेश दिये तो वह खुशी से झूम उठी। शांति देवी को 27 साल बाद सही नाम मिलने से कैम्प में मौजूद लोगों को भी प्रसन्नता हुई और उन्होंने राज्य सरकार के इस महत्वाकांक्षी अभियान को सार्थक बताते हुए सभी का आभार जताया। इस प्रकरण में जग्गा राम पुत्र छीतर, रामेश्वर पुत्र जीवण तथा लक्ष्मण पुत्र नारायण ने गवाह के रूप में अपने शपथ पत्र प्रस्तुत किये।

कृष्ण को 21 साल बाद मिला भूमि का हक

जयपुर जिले की फागी तहसील में रायथल निवासी कृष्ण कुमार मीना पुत्र लाला राम ने बुधवार को गोहन्दी में आयोजित राजस्व लोक अदालत-न्याय आपके द्वार शिविर में शिविर प्रभारी के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर बताया कि उसके पिता लालाराम पुत्र लादूराम का वर्ष 1997 में देहावसान हो जाने के बाद से उसे अपने हिस्से की भूमि का हक प्राप्त नहीं हो पाया है।

अपने प्रार्थना पत्र में उसने अवगत कराया कि पिताजी के स्वर्गवास के बाद उनकी माता के कहीं और नाते जाने के कारण मेरे पिता की भूमि का हस्तान्तरण मेरे नाम नहीं किया जा रहा है। इस पर शिविर प्रभारी एवं फागी के उपखण्ड अधिकारी श्री सावन कुमार ने तहसीलदार से प्रकरण की जांच कराई।

जांच में पाया गया कि लादूराम पुत्र पुस्साराम के देहान्त के बाद उनके 8 जायज वारिस थे, जिनमें से एक वारिस लालाराम का देहावसान होने के बाद उसकी पत्नी कहीं और नाते चली गई। नाते के बाद लादूराम के शेष समस्त वारिसांग में पारिवारिक सहमति से लालाराम पुत्र लादूराम के एकमात्र जायज वारिस कृष्ण कुमार को लालाराम के हिस्से की भूमि देने पर अपनी सहमति दे दी थी, किन्तु लालाराम की पत्नी जो कि अन्य जगह नाते जा चुकी थी, इससे उक्त राजीनामे से सहमत नहीं थी और अपना हिस्सा मांग रही थी।

गोहन्दी में न्याय आपके द्वार शिविर के दौरान दिवंगत लालाराम की पत्नी से ग्राम पंचायत की सरपंच एवं उपस्थित अन्य मौजिज ग्रामीणजनों ने समजाइश की तो वह खुशी-खुशी अपना हिस्सा अपने बेटे कृष्ण कुमार के नाम करने पर सशपथ सहमत हो गई। इस प्रकार कृष्ण कुमार पुत्र लालाराम को 21 वर्ष बाद उसके हिस्से की भूमि का प्राप्त हो गया।

शिविर में इस प्रकार त्वरित कार्यवाही होने पर कृष्ण कुमार सहित वहां मौजूद ग्रामीणों में खुशी की लहर दौड़ गई और सभी ने राजस्व लोक अदालत-न्याय आपके द्वार अभियान के आयोजन के लिए राज्य सरकार का आभार जताया।

करीब ढाई दशक बाद विवाद का निपटारा

गोहन्दी के शिविर में फागी तहसील में पटवार सर्किल हीरापुरा के गांव कारवां में दो पक्षों, कानाराम पुत्र गोविन्दराम, सोहनराम पुत्र गोविन्दराम, देशराज पुत्र महादेव, लक्ष्मण पुत्र रघुनाथ, भूरा पुत्र सुखदेव, लाला पुत्र सुखदेव व जीवण पुत्र गोविन्दराम बनाम राम चन्द्र पुत्र सूरजमल व जगदीश पुत्र गोविन्दराम का 43 बीघा 7 बिस्वा भूमि को लेकर करीब ढाई दशको से विवाद चला आ रहा था। गोहन्दी में उपखण्ड अधिकारी फागी के न्यायालय में उपस्थित होकर इन लोगों ने मौके पर कब्जाकाश्त के अनुसार बंटवारा कराने की गुजारिश की।

मौके पर उपखण्ड अधिकारी श्री सावन कुमार, बैंच एवं सलाहकार समिति के सदस्यों तथा अन्य मौजिज लोगो ने उपस्थित प्रतिवादी पक्षकार रामचन्द्र पुत्र सूरजमल तथा जगदीश पुत्र गोविन्द राम निवासी शिराणी से आपसी सहमति से विवाद का निपटारा करने की समझाईश की।

इसके परिणामस्वरूप वे प्रकरण में राजीनामे के लिए सहमत हो गये। और इस प्रकार कई वर्षों से चले आ रहे विवाद का मौके पर ही चन्द पलों में निस्तारण हो गया।

शिविर प्रभारी ने राजीनामे के माध्यम से पक्षकारों की खातेदारी भूमि को कब्जे के अनुसार खाता विभाजन किये जाने के आदेश पारित किये और शिविर में इसका राजस्व रिकॉर्ड में अमलदरामद भी कर दिया गया।

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