• April 11, 2018

बाल रक्षक अभियान —प्रबुद्ध समाज आगे आए : सोनल गोयल

बाल रक्षक अभियान —प्रबुद्ध समाज आगे आए : सोनल गोयल

झज्जर——-बच्चों के प्रति यौन उत्पीडऩ और यौन शोषण जैसे जघन्य अपराधों की पूर्ण रोकथाम के लिए कानून के साथ-साथ प्रबुद्ध समाज को भी अहम जिम्मेवारी निभानी होगी तभी हम बाल रक्षक की सही भूमिका अदा कर पाएंगे।
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उपायुक्त सोनल गोयल ने बाल सरंक्षण इकाई झज्जर की ओर से शुरू किए गए बाल रक्षक अभियान की तृतीय वर्कशॉप का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि बाल अवस्था में यौन शोषण या यौन उत्पीडऩ का शिकार होने से बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास पर विपरित प्रभाव पड़ता है। हमें जागरूकता के माध्यम से अपने घर व सार्वजनिक स्थानों पर ऐसा माहौल तैयार करना होगा कि बच्चे यौन उत्पीडऩ,यौन शोषण, यौन अपराध का शिकार न हो।

उपायुक्त ने जिला बाल सरंक्षण इकाई को सामाजिक संस्थाओं को भागीदार बनाते हुए सघनतता से जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को गुड टच व बैड टच, सार्वजनिक स्थानों व अनजान व्यक्ति से संपर्क करने में सावधानी बरतने के बारे निरंतर जागरूकता की जरूरत होती है।

उन्होंने कहा कि जिला में बच्चों को जघन्य अपराधों से बचाने की मुहिम शुरू की गई है। इस मुहिम का नाम बाल रक्षक रखा गया है। जिला प्रशासन का प्रयास है कि बाल रक्षक मुहिम में समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए बच्चों को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराया जाए।

उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पोक्सो एक्ट-2012 बनाया गया है। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है.

पोक्सो अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामलेे पंजीकृत किए जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है, इस धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से सात साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।

इस एक्ट को बनाना इसलिए भी जरूरी था क्योंकि बच्चे बहुत ही मासूम होते हैं और आसानी से लोगों के बहकावे में आ जाते हैं. कई बार तो बच्चे डर के कारण उनके साथ हुए शोषण को माता पिता को बताते भी नही है।

उपायुक्त सोनल गोयल ने कहा कि पोक्सो एक्ट से संबंधित सभी विभागों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि इस एक्ट को प्रभावी तरीके से लागू करें ताकि समाज में सकारात्मक संदेश जाए। उन्होंने बताया कि पोक्सो एक्ट के तहत कानूनी कार्यवाही के साथ पीडि़त बच्चे व पेरेंटस की काउंसिलिंग, चिकित्सा सुविधाएं भी देने का प्रावधान है ताकि बच्चा फिर से अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन व्यतीत कर सके।

बाल रक्षक वर्कशॉप में जिला बाल सरंक्षण अधिकारी लतिका ने उपायुक्त को जानकारी देते हुए बताया कि अभियान के तहत अभियान के तहत 305 जागरूकता शिविर आयोजित किए गए हैं। पोक्सो एक्ट के अंतर्गत 71 मामले दर्ज है इनमें से आठ को सजा दिलवाई जा चुकी है बाकि का माननीय अदालतों में ट्रायल चल रहा है।

उपायुक्त ने कहा कि माननीय अदालतों में चल रहे मुकदमों में प्रभावी ढ़ंग से पैरवी की जाए ताकि दोषी सजा से बच न पाए। वर्कशाप में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, पुलिस अधिकारियों, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों को पोक्सो एक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

इस अवसर पर जिला बाल कल्याण अधिकारी सुरेखा हुड्डा, बाल संरक्षण इकाई से कार्यक्रम अधिकारी विकास वर्मा, अन्नू, सुनील सहित अन्य सदस्यगण मौजूद रहे।

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