पीएमकेएसवाई तथा एआईबीपी के अंतर्गत 99 चिन्हित परियोजनाओं के लिये रोड मैप तैयार

पीएमकेएसवाई तथा एआईबीपी के अंतर्गत 99 चिन्हित परियोजनाओं के लिये रोड मैप तैयार

पेसूका———केंद्र ने पीएमकेएसवाई तथा एआईबीपी के अंतर्गत 99 चिन्हित परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए रोड मैप तैयार किया है। इनमें से 23 परियोजनाओं (प्राथमिकता-1) को 2016-17 तक पूरा करने के लिए चिन्हित किया गया है और 31 अन्य परियोजनाओं (प्राथमिकता-2) को 2017-18 तक पूरा करने के लिए चिन्हित किया गया है। शेष 45 परियोजनाएं (प्राथमिकता-3) दिसंबर, 2019 तक पूरी करने के लिए चिन्‍हित की गई हैं।

पीएमकेएसवाई तथा एआईबीपी के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा 3274 करोड़ रुपये जारी किये गए हैं। नाबार्ड ने आंध्र प्रदेश की पोलावरम सिंचाई परियोजना के लिए 1981 करोड़ रुपये, महाराष्‍ट्र को 830 करोड़ रुपये तथा गुजरात को 463 करोड़ रुपये विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता के रूप में जारी किया है।

एआईबीपी की 99 परियोजनाओं में से 26 परियोजनाएं महाराष्‍ट्र में, 8 आंध्र प्रदेश में और एक गुजरात के है। महाराष्‍ट्र की 7 परियोजनाएं-वाघुर, बवनथाड़ी (आईएस), निचलादुधना, तिल्‍लारी, निचलावर्धा, निचलापंजारा तथा नंदूर मधेश्‍वर, प्राथमिकता- 1 श्रेणी की परियोजनाएं हैं।

शेष 19 परियोजनाएं (गोसीखुर्द एनपी), ऊपरीपेनगंगा, बेमला, तराली, घोम, बालकबाड़ी, अर्जुन, उपरीकुंडलिका, अरूणा, कृष्‍णा कोयाना लिफ्ट, गडनदी, गुंगरगांव, संगोला, शाखा नहर, खड़गपूर्णा, वर्ना, मोरना (गुरेघर), निचलीपेघी, वांग परियोजना, नरदवे (महामदवाड़ी) तथा (कुदाली) प्राथमिकता – 3 श्रेणी की हैं। महाराष्‍ट्र के राज्‍य हिस्‍से के 10711 करोड़ रुपये तथा वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान राज्‍य के हिस्‍से के 2099.47 करोड़ रुपये की मंजूरी मंत्रालय मिशन द्वारा 23 परियोजनाओं के लिए दी गई है और इसे 15.12.2016 को नाबार्ड को भेज दिया गया।

आंध्र प्रदेश में सभी 8 परियोजनाएं प्राथमिकता- 2 श्रेणी की है। ये परियोजनाएं हैं- गुंडलकम्‍मा, ताड़ीपुड़ी एलआईएस, थोटापल्‍ली, ताराकरम, तीरता सगराम, मुसुकमिली, पुष्‍कर एलआईएस, येराकलवा, तथा मद्दीगेड़ा हैं।

गुजरात में एक मात्र परियोजना सरदार सरोवर है और यह प्राथमिकता- 3 श्रेणी की परियोजना है। इस परियोजना के 2018 तक पूरी होने की संभावना है और इसकी लक्षित सिंचाई क्षमाता 1792 हजार हेक्‍टेयर क्षेत्र है।

नाबार्ड द्वारा 21.10.16 को केंद्रीय सहायता का 1500 करोड़ रूपये का पहला भाग जारी की किया गया, जबकि 500 करोड़ रुपये का दूसरा भाग 26.12.16 को जारी किया गया।
पीएमकेएसवाई- एआईबीपी के अंतर्गत प्राथमकताओं सहित परियोजनाओं को लागू करने संबंधी विषयों पर छत्‍तीसगढ़ के जल संसाधन मंत्री श्री बृज मोहन अग्रवाल की अध्‍यक्षता में बनी समिति द्वारा विचार किया गया। संबंधित राज्‍यों द्वारा समिति को दी गई जानकारी के अनुसार 99 परियोजनाओं को 2019-20 तक पूरा करने के लिए चिन्‍हित किया गया है।

परियोजनाओें के अधूरा रह जाने का प्रमुख कारण संबंधित राज्‍य सरकारों द्वारा धन का उचित प्रावधान न करना है। इसके परिणामस्‍वरूप इन परियोजनाओं का बड़ा धन पड़ा रह गया और परियोजना लाभ हासिल नहीं किया जा सका। यह चिंता का विषय है और राष्‍ट्रीय विषय पर इसका समाधान निकालने की आवश्‍यकता है।

सभी चिन्‍हित 99 परियोजनाओं को पूरा करने पर 31342 करोड़ रुपये के अनुमानित सीए के साथ 77595 करोड़ रूपये (48546 करोड़ रुपये परियोजना कार्यों के लिए तथा 29049 करोड़ रुपये सीएडी कार्यों के लिए) की आवश्‍यकता है। इन परियोजनाओं का उपयोग 76.03 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र में होगा।

2015-16 से 2019-20 (स्‍वीकृत परिव्‍यय के अनुसार) में परिव्‍यय की राशि 11060 करोड़ रुपये रखी गई है, इसमें से 2327.82 करोड़ रुपये एमएमआई परियोजनाओं को जारी किए गए। शेष 8732.18 करोड़ रुपये बजट के माध्‍यम से उपलब्‍ध कराया जाएगा। 99 परियोजनाओं को पूरा करने के लिए प्रावधान से अधिक धन की आवश्‍यकता है।

वित्‍त मंत्री ने 2016 के अपने बजट भाषण में नाबार्ड में 20,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पूंजी के साथ समर्पित दीर्घावधि सिंचाई कोष (एलटीआईएफ) बनाने की घोषणा की थी। 2016-17 के दौरान 12517 करोड़ रुपये बजटीय संसाधनों तथा बाजार ऋण से दिए गए हैं।

बजट बाधाओं को ध्‍यान में रखते हुए वार्षिक आवश्‍यकताओं के अनुसार केंदीय भाग/सहायता ऋण लेने का निर्णय किया गया है और इस ऋण का भुगतान 3 वर्षों की रियायत अवधि के साथ 15 वर्षों में किया जाएगा। राज्‍य सरकारें जरूरत पड़ने पर राज्‍य हिस्‍से से नाबार्ड से उधार ले सकती हैं।

केंद्रीय स्‍तर पर योजना को मिशन मोड में लागू करने की स्‍वीकृति दी गई है और एक मिशन बनाया गया है, जिसके निदेशक जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में अपर सचिव/विशेष सचिव होंगे।

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