8 से 19 अप्रैल तक भोपाल के गौहर महल में ‘राष्ट्रीय खादी उत्सव’

8 से 19 अप्रैल तक भोपाल के गौहर महल में  ‘राष्ट्रीय खादी उत्सव’

प्रलय श्रीवास्तव————————–  खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा 8 से 19 अप्रैल तक भोपाल के गौहर महल में ‘राष्ट्रीय खादी उत्सव’ मनाया जायेगा। उत्सव में देश एवं प्रदेश की खादी-ग्रामोद्योग से संबंधित संस्थाएँ, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्यमी और स्व-सहायता समूह भाग लेंगे। उत्सव का शुभारंभ 8 अप्रैल को शाम 7 बजे कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री सुश्री कुसुम महदेले करेंगी। बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुरेश आर्य एवं उपाध्यक्ष श्री रघुनंदन शर्मा विशेष अतिथि होंगे।

उत्सव में विभिन्न प्रांत के विशेष खादी उत्पादों को प्रदर्शित किया जायेगा। इसमें पश्चिम बंगाल की कोसा मटका, कटिया मसलिन खादी, राजस्थान की सूती/आर्गेनिक, गुजरात का पोली वस्त्र/सूती खादी, उत्तरप्रदेश की सूती, उपकार खादी, छत्तीसगढ़ का कोसा टसर, बिहार की मसलिन, असम एवं त्रिपुरा के केन उत्पाद, कर्नाटक से राष्ट्रीय ध्वज और मध्यप्रदेश से मलबरी सिल्क, सूती/उपकार खादी और पोली वस्त्र उपलब्ध रहेंगे। इन उत्पादों में विशेष रूप से खादी वस्त्र, खादी, सिल्क साड़ियाँ, ड्रेस मटेरियल, कुर्ते-पायजामे, जैकेट, दरी, गमछा, टॉवेल, लुंगी, धोती, सलवार-सूट, शार्ट कुर्त्ते, ड्रेस मटेरियल और अन्य सामग्री प्रदर्शनी-सह-विक्रय के लिए उपलब्ध रहेगी। ‘कबीरा’ खादी ब्राण्ड के विभिन्न ड्रेस मटेरियल के साथ ही स्व-सहायता समूहों द्वारा ‘विंध्या वैली’ ब्राण्ड के उत्पादित मसाले, शेम्पू, अगरबत्ती, शहद, सरसों का तेल इत्यादि भी उपलब्ध रहेंगे। उत्सव में सिल्क साड़ी एवं खादी-वस्त्र तथा विंध्या वैली उत्पादों पर 20 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जायेगा।

बोर्ड की प्रबंध संचालक श्रीमती रेनू तिवारी ने बताया कि उत्सव का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में उत्पादित रंगाई-बुनाई एवं इससे जुड़ी कला को प्रदर्शित करना है। खादी को यूनिक डिजाइन में लाया जा रहा है। बाजार के वर्तमान स्वरूप के अनुरूप खादी-वस्त्रों पर हेंड एवं लेटेस्ट ब्लॉक प्रिंट का कार्य करवाया जा रहा है।

खादी-ग्रामोद्योग के बेनर तले जिस सामग्री का उत्पादन होता है, उन सभी का आम-जनता से परिचय करवाया जायेगा। कत्तिनों-बुनकरों की पहचान स्थापित करवाने के साथ-साथ खादी को घर-घर तथा आमजन तक पहुँचाने की कवायद भी की जा रही है। बिक्री बढ़ाना भी इस उत्सव का एक प्रमुख उद्देश्य है ताकि इस क्षेत्र में कार्यरत कत्तिन, बुनकर, कामगारों की आय में वृद्धि हो और उन्हें निरंतर रोजगार मिले।

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