• December 7, 2021

रूस भारत को जमीन से हवा में मार करने वालीं एस-400 मिसाइलों की सप्लाई

रूस भारत को जमीन से हवा में मार करने वालीं एस-400 मिसाइलों की सप्लाई

DW.COM—————–भारत ने पुष्टि की है कि इस महीने रूस भारत को जमीन से हवा में मार करने वालीं एस-400 मिसाइलों की सप्लाई शुरू कर देगा. इस समझौते को लेकर अमेरिका ने आपत्ति भी जताई है और भारत पर प्रतिबंधों की तलवार लटक रही है.

पुतिन के दौरे पर दोनों देशों ने रक्षा तकनीक में सहयोग के लिए दस साल लंबा एक समझौता किया और तेल के लिए एक साल लंबा समझौता हुआ है. 2020 के आरंभ में पूरी दुनिया में कोरोनावायरस महामारी के फैलने के बाद व्लादीमीर पुतिन की यह दूसरी विदेश यात्रा थी. पुतिन जी-20 की बैठक और ग्लासगो के जलवायु सम्मेलन तक में नहीं गए थे. उन्होंने इसी साल जून में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से स्विट्जरलैंड में मुलाकात की थी.

संयुक्त राज्य अमेरिका

हथियारों के सौदागर के रूप में सबसे आगे चलने वाले अमेरिका ने अपनी बढ़त और ज्यादा कर ली है. बीते पांच सालों में दुनिया में बेचे गए कुल हथियारों का करीब एक तिहाई हिस्सा यानी करीब 34 फीसदी अकेले अमेरिका ने बेचे. अमेरिकी हथियार कम से कम 98 देशों को बेचे जाते हैं. इनमें बड़ा हिस्सा युद्धक और परिवहन विमानों का है.

उसके बाद वह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही व्यक्तिगत रूप से मिले हैं. नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद पुतिन ने कहा, “हम भारत को एक बड़ी ताकत मानते हैं, एक मित्र देश और वक्त पर आजमाया हुआ एक दोस्त.”

हथियारों पर समझौते

रूस लंबे समय से भारत को हथियारों की सप्लाई करता रहा है. एस-400 मिसाइलों की सप्लाई को भारतीय सेना को आधुनिक बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने दोनों पक्षों की बैठक के बाद कहा, “सप्लाई इस महीने शुरू हो गई है और जारी रहेगी.”

2018 में हुआ यह समझौता पांच अरब डॉलर से भी ज्यादा का है लेकिन इस पर अमेरिका की नाराजगी की तलवार लटक रही है. अमेरिका ने ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (CAATSA) नामक कानून के तहत इस समझौते को आपत्तिजनक माना है. हालांकि पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है.

इधर रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेश्कोव ने सोमवार को मीडिया को बताया, “हमारे भारतीय दोस्तों ने स्पष्ट कहा है कि वे एक संप्रभु देश हैं और किससे हथियार खरीदने हैं व कौन भारत का साझीदार होगा, इसका फैसला वे खुद करेंगे.”

पुतिन के इस दौरे पर बातचीत ऊर्जा और हथियारों तक ही सीमित रही. एक समझौते के तहत रूसी कंपनी रोसनेफ्ट भारत को 20 लाख टन तेल सप्लआई करेगी. इसके अलावा दस साल लंबे रक्षा समझौते के तहत दोनों देशों ने मिलकर एके-203 राइफल बनाने का फैसला किया है.

आकार के अनुसार सबसे बड़े देश

क्लाशनिकोव बनाने वाली कंपनी ने कहा कि भारत में बनाई जा रही छह लाख एके-203 राइफल भारतीय सेना को दी जाएंगी. कंपनी के जनरल डायरेक्टर व्लादीमीर लेपिन ने कहा, “हम आधुनिक एके-203 राइफलों के उत्पादन के लिए अगले कुछ महीनों में ही तैयार होंगे.”

रूस और अमेरिका के बीच भारत
शीत युद्ध के दौरान भारत को सोवियत संघ का करीबी माना जाता था. उस ऐतिहासिक करीबियों की आंच अब भी बची हुई है. हालांकि सोवियत संघ के विघटन के बाद भारत की अमेरिका के साथ नजदीकियां बढ़ी हैं. इस लिहाज से विशेषज्ञ मानते हैं कि पुतिन का भारत दौरा प्रतीकात्मक रूप से काफी अहम है.

नई दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन के नंदन उन्नीकृष्णन कहते हैं, “भारत-रूस संबंधों को लेकर बहुत सारी अटकलें लगाई जाती रही हैं. इस बारे में बहुत संदेह रहे हैं कि रूस की चीन के साथ और भारत की अमेरिका के साथ नजदीकियों का इन संबंधों पर क्या असर पड़ेगा. इस दौरे ने उन सारी अटकलों को शांत कर दिया है.”

रूसी एस-400 मिसाइल क्यों है खास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ साझा बयान जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोनों देश बहुत तेजी से एक दूसरे के करीब आए हैं. उन्होंने कहा, “वक्त के साथ हमारे देशों के संबंध लगातार मजबूत होते गए हैं.”

भारत और चीन के बीच संबंध पिछले समय से लगातार खराब हो रहे हैं. अमेरिका भी चीन के जवाब में भारत का साथ लेना चाहता है. इसलिए चार देशों के संगठन क्वॉड सिक्यॉरिटी डायलॉग को भी मजबूत किया जा रहा है, जिसमें भारत और अमेरिका के अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.

उधर चीन और रूस की करीबियों से भारतीय पक्ष में हलचल रहती है. लेकिन ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में पढाने वालीं टाटियाना बेलूसोवा कहती हैं कि इस क्षेत्र में रूस का प्रभाव सीमित है. वह कहती हैं, “चीन के साथ उसके मजबूत संबंधों और चीन के क्षेत्रीय हितों के खिलाफ कोई कार्रवाई ना करने की मंशा के चलते रूस का इस क्षेत्र में ज्यादा प्रभाव नहीं है.”

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