बैटरी चलित ट्रायसायकिल से दिव्यांगों में नई रफ्तार

बैटरी चलित ट्रायसायकिल से   दिव्यांगों में नई रफ्तार

छत्तीसगढ—————– राजनांदगांव जिले के दिव्यांग विजय कुमार साहू की जिन्दगी को राज्य शासन द्वारा मिली बैटरी चलित ट्रायसायकिल से नई रफ्तार मिल गई है। श्री साहू अब  इस बैटरी चलित ट्राईसायकिल से  इलेक्ट्रिशियन के अपने हुनर को आसानी से अपने और अपने परिवार   की सुख-सुविधा और समृद्धि के लिए भरपूर उपयोग कर पा रहे हैं।

विकासखंड खैरागढ़ के ग्राम आल्हा नवांगांव से 7 से 8 किलो मीटर दूर बिजली से चलने वाले उपकरणों की मरम्मत करने की दुकान में जाना हो या आस-पास के गांव में किसी का पंखा, किसी का कुलर सुधारना हो, ये सब काम दिव्यांग श्री विजय कुमार साहू अब आसानी से पहले से आधे समय में पूरा कर पा रहे हैं।

दिव्यांगता को अपनी ताकत बनाकर इलेक्ट्रिशियन के हुनर से सफलता और खुशहाली की मंजिल पाने में राज्य शासन द्वारा दी गई बैटरी चलित ट्रायसायकिल महत्वपूर्ण सीढ़ी की भूमिका निभा रही है। ट्रायसायकिल प्रदान कर जिन्दगी को सरल और आसान बनाने पर दिव्यांग श्री विजय कुमार साहू ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित शासन-प्रशासन के प्रति अपना आभार व्यक्त किया है।

आल्हा नवांगांव निवासी दिव्यांग श्री विजय साहू बताते है कि वे अपने गांव से सात-साढ़े सात किलो मीटर दूर सहसपुर दल्ली के बाजार स्थित एक इलेक्ट्रिक दुकान में बिजली से चलने वाले खराब पंखे, कुलर आदि सुधारने का काम करते हैं। वे इस क्षेत्र में अच्छे मोटर बाइंडिंग करने वाले इलेक्ट्रिशियन के रूप में जाने जाते हैं।

पोलियो के कारण पैरों में आई दिव्यांगता को अपनी ताकत बनाकर स्वयं के पैरों पर खड़े होने के उनके संकल्प ने उन्हें आत्म निर्भर बनकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण सम्मानजनक तरीके से करने के लिए प्रेरित किया। शुरू में उनके पास जो ट्रायसायकिल थी, उसे हाथों से काफी परिश्रम कर चलाना पड़ता था।

अपने घर से दुकान तक जाने में उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। सायकिल चलाने के लिए हाथों से अत्यधिक बल लगाने से शारीरिक श्रम के कारण थकान होती थी जिससे स्वास्थ्य पर भी प्रतिकुल प्रभाव पड़ रहा था। श्री साहू बताते है कि इस कारण से वे सप्ताह में दो-तीन दिन ही दुकान जाकर काम कर पाते थे। जिससे उन्हें उस हिसाब से पारिश्रमिक भी बहुत कम मिलता था और उतने रूपयों में अपनी पत्नी और वृद्ध मां के साथ जीवन यापन करना बहुत कठीन हो गया था। कभी-कभी आस-पास के गांवों से पंखा, कुलर सुधारने के ऑर्डर मिलने पर भी वे चाहकर भी उस गांव तक नहीं पहुंच पाते थे।

श्री साहू बताते है कि 25 जून 2016 को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत की उपस्थिति में उन्हें और उनके जैसे लगभग 50 दिव्यांगजनों को बैटरी से चलने वाली मोटराईड ट्रायसायकिल प्रदान की। श्री साहू ने बताया इस ट्रायसायकिल के मिलने से उनका कही भी आने-जाने का सफर अब बिना थके आसानी से पूरा हो जाता है। अब वे अपने घर से सहसपुर दल्ली की इलेक्ट्रिक दुकान तक रोज नियमित रूप से यादा से यादा 15 मिनट में बिना किसी श्रम और ताकत खर्च किये आसानी से पहुंच जाते हैं। अब विजय पहले से यादा काम इस इलेक्ट्रिक दुकान में कर पाते हैं। जिससे उनकी आमदनी भी पहले की अपेक्षा प्रतिदिन 100-150 रूपए तक बढ़ गई है।

वे आस-पास के गांवों में भी पंखा, कुलर सुधारने और मोटर बाइंडिंग का काम करने के लिए आसानी से पहुंचते हैं। श्री विजय साहू बताते है कि एक बार बैटरी चलित ट्रायसायकिल में बैटरी चार्ज करने में परेशानी आई थी, जिसे जिला प्रशासन ने गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर कार्यालय में शिविर लगाकर सुधरवाया था।

इस शिविर में ट्रायसायकिल प्रदायता कंपनी एलिमको से विशेषज्ञ इंजीनियरों ने आकर बैटरियों की मरम्मत की थी और उन्हें आगे आसानी से सही रूप से चार्ज करने के बारे में भी तकनीकी जानकारी दी थी। विजय बताते है कि अब वे इंजीनियरों द्वारा बताये गये तरीके से अपनी ट्रायसायकिल की बैटरी को एक बार पूरा चार्ज कर 30-40 किलो मीटर का सफर कर लेते है।

विजय बताते है कि राज्य सरकार द्वारा दिव्यांगों को दी गई ऐसी मोटराईड ट्रायसायकिलो और राज्य सरकार की लाभकारी योजनाओं से दिव्यांगों का आत्म विश्वास तेजी से बढ़ रहा है। सरकार की योजनाएं दिव्यांगों के लिए वरदान साबित होकर उनके जीवन में कं्रातिकारी परिवर्तन ला रही है।

श्री साहू ने बताया कि राजनांदगांव जिले में चलाया गया दिव्यांगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर उन्हें मेडिकल सर्टिफिकेट देने का अभियान जिले के सभी दिव्यांगों को शासकीय योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलाने का रास्ता खोल रहा है।

अपनी दिव्यांगता के आधार पर पेंशन योजना हो या कृत्रिम अंग लेना हो, स्वरोजगार के लिए लोन लेना हो ऐसी कई योजनाएं अब दिव्यांग जानने लगे हैं और दिव्यांगता को कमजोरी न बनाकर सफलता की प्रेरक सीढ़ी के रूप में स्वीकार कर रहे हैं।

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