• June 19, 2015

बाल अधिकार संरक्षण : जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण

बाल अधिकार संरक्षण :  जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण

जयपुर – सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि बाल संरक्षण और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कानून की पालना के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता की जरूरत है। आमजन में जागरूकता पैदा करने में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। ग्रामीण जनप्रतिनिधि अपने दायित्वों को समझें और बाल अधिकारों की सुरक्षा में सहयोग करें।1

डॉ. चतुर्वेदी गुरुवार को बीकानेर के राजकीय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय सभागार में बाल अधिकारिता विभाग द्वारा ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति स्तरीय बाल संरक्षण समितियों के सुदृढ़ीकरण की दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पहली बार ग्राम पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों को बाल अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए जिला स्तरीय कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसकी शुरूआत बीकानेर से हुई है। उन्होंने आशा जताई कि बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता के लिए बीकानेर से हुई इस शुरूआत की गूंज पूरे राजस्थान में सुनाई देगी और बाल अधिकारों के संरक्षण में जनप्रतिनिधि भी प्रभावी भूमिका निभाएंगे। ,

डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि वर्तमान में राजस्थान की कुल जनसंख्या की लगभग 43 प्रतिशत आबादी  18 वर्ष से कम है तथा कुछ बच्चे आज भी अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं। इन बच्चों को मूल अधिकार मुहैया करवाने के लिए सरकार कृत संकल्प है, लेकिन इन बच्चों को मुख्य धारा जोडऩे की जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों और स्वयंसेवी संस्थाओं की भी हैं।

उन्होंने कहा कि हमें यह तय करना है कि हमें यह तय करना है कि हम हमारे भविष्य का निर्माण कैसा करना चाहते हैं? हमारा देश, राज्य, जिला और गांव का भविष्य सुनहरा हो, इसके लिए हमें मजबूत, स्वस्थ्य एवं शिक्षित बच्चों की परिकल्पना को साकार करना होगा। उन्होंने कहा कि बाल विवाह, बच्चों के सुनहरे भविष्य निर्माण की राह में सबसे बड़ी बाधा है। हमें इसके प्रति जागरूक होना पड़ेगा।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने कहा कि राजस्थान में पहली बार बाल अधिकारिता विभाग का गठन किया गया है तथा जिला, ब्लॉक एवं ग्राम पंचायत स्तर पर बाल संरक्षण इकाईयों का गठन किया जा रहा है। इन इकाईयों द्वारा जरूरतमंद बच्चों के अधिकारों के संरक्षण का कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा भीलवाड़ा में विभाग द्वारा आदर्श संप्रेषण गृह की स्थापना की गई है। इस संप्रेषण गृह में भारत के भविष्य को संवारने का काम होगा।

अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त इस संप्रेषण गृह को स्कील डेवलपमेंट से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा जैसा आदर्श संप्रेषण गृह बीकानेर में भी बनाया जाएगा। इसके लिए सांसद श्री अर्जुनराम मेघवाल द्वारा सांसद निधि से 15 लाख की राशि उपलब्ध करवाई जाएगी। शेष राशि पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों एवं सोशल कारपोरेट रिसपोंसबलिटी के तहत व्यय की जाएगी।

सांसद श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार द्वारा बच्चों के पुनर्वास और उन्हें मुख्यधारा से जोडऩे के लिए सुदृढ़ तंत्र विकसित किया हुआ है। जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी है कि समाज के उपेक्षित एवं जरूरतमंद बच्चों को विकास के पथ पर ले जाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि बच्चे हमारे देश की धरोहर हैं, इनका समुचित विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, लेकिन गांव-गांव में जनप्रतिनिधियों को इसकी अलख जगानी होगी। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने ग्राम पंचायत एवं ब्लॉक स्तरीय बाल संरक्षण इकाईयों को अधिक सक्रिय करने का आह्वान किया।

बाल अधिकारिता विभाग की निदेशक हंसा सिंह देव ने कहा कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य यह है कि जनप्रतिनिधि यह समझें कि बच्चें के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी है। नशाखोरी, बाल मजदूरी, शोषण सहित बुरी आदतों को दूर करने के लिए जनप्रतिनिधि क्या भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों का भविष्य निर्माण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी तत्पर रहकर कार्य करें। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा जिला स्तरीय बाल संरक्षण इकाईयां जिला कलक्टरों की अध्यक्षता में गठित की हुई हैं। ये समितियां बाल अधिकारों के लिए कार्य कर रही है, लेकिन ब्लॉक एवं ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण इकाईयों का गठन अब तक नहीं हुआ है। जिन स्थानों पर इन इकाईयों का गठन नहीं हुआ है, वहां यह कार्य प्राथमिकता से किया जाए।

बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायतों का अभिनंदन

डॉ. चतुर्वेदी ने उरमूल ट्रस्ट के दो वर्ष के सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर बाल विवाह मुक्त ग्राम पंचायतों के सरपंचों का अभिनंदन किया। सम्मानित होने वाली ग्राम पंचायतों में श्रीडूंगरगढ़ के धर्मास, आड़सर, सूरजनसर, जैसलसर और बेनीसर सम्मिलित हैं। इस अवसर पर उरमूल ट्रस्ट के श्री अरविंद ओझा ने बताया कि ट्रस्ट द्वारा लूनकरनसर की पांंच, चूरू के सरदारशहर की दो तथा जैसलमेर की छह पंचायतों का चयन भी बाल विवाह मुक्त पंचायत के रूप में किया गया है।

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