• September 19, 2016

बनेगी जब बेटी विद्धान बढ़ेगा नारी का सम्मान

बनेगी जब बेटी विद्धान बढ़ेगा नारी का सम्मान

बहादूरगढ —— इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती के तत्वावधान में एवं पी.एस.एम.पब्लिक स्कूल प्रताप विहार के सौजन्य से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को लेकर “जागृति कवि सम्मेलन” का आयोजन किया गया।

देश के जाने माने कवि व इस भव्य समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. देवेन्द्र मांझी तथा हरियाणा साहित्य अकादमी के प्रतिनिधि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी के सानिध्य में हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध शिक्षाविद्

डा. धनराज सिंह ने की जबकि मंच संचालन गीतकार डा. जयसिंह आर्य ‘जय’ ने किया।
लखनऊ से आई डा. कुसुम चौधरी की सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ।

गुरूग्राम हरियाणा से पधारे व्यंग्यकार सुन्दर कटारिया की कविता को ख़ूब सराहा गया

“मेरे देश की भोली जनता बात समझ कद पावैगी,
पढ़ ज्या बेटी बढ़ ज्या बेटी दौर नया ले आवैगी।”
ग़ज़लकार रामश्याम हसीन के इस शेर को ख़ूब दाद मिली
“बन्द है मुठ्ठी तो है ये ज़िन्दगी,
रेत सी वरना फिसलती जायेगी।”

मुख्य अतिथि प्रख्यात कवि देवेन्द्र मांझी ने व्यवस्था पर तीक्ष्ण प्रहार करते हुए कहा

“राम तो लौट भी आए कुछ वर्षो में मगर,
मेरी ख़ुशियों का कभी ख़त्म न बनवास हुआ।
पेट की आग बुझाने का सलीक़ा ही तो है,
नाम पर उसके सही,आज भी उपवास हुआ।”
डा. कुसुम ने भ्रूण की व्यथा कुछ इस प्रकार बयां की

“मत मिटाओ मुझे मैं तुम्हारा सृजन,
हास्य देना मुझे चाहे देना रुदन।”

गीतकार डा. जयसिंह आर्य ‘जय’ द्वारा बेटी पर सुनाये गीत से पूरा वातावरण भावविभोर हो गया

“ओढ़कर जब मैं धानी चुनर जाऊंगी
सूना-सूना सा घर मां का कर जाऊंगी
बस चिरैया समझ लेना बाबुल मुझे
मैं इधर की नहीं हूं उधर जाऊंगी”

भिवानी से पधारे गीतकार विकास यशकीर्ति ने बेटी की महिमा का गान करते हुए कहा

“तपिश जब ज़िन्दगी की दर्द के शोलों धधकती है
तो बिटिया बन के चंदन सी यहाँ हर दम महकती है
मेरी मुंडेर पर मत बैठना ए ग़म के पंछी तुम
मेरे आँगन,मेरी ख़ुशियों की एक चिड़िया चहकती है”

बहादुरगढ़ के गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने बच्चियों की शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा
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“बालिका शिक्षा का अभियान,
काम छोटा पर लक्ष्य महान।
बनेगी जब बेटी विद्धान,
बढ़ेगा नारी का सम्मान।”

युवा कवि संजय गिरी ने बेटियों पर कुछ यूँ कहा-
” देशहित के लिए खेलती बेटियां,
दाव पर दाव अब जीतती बेटियां।
देखिये देश में अब पदक ला रहीं,
बढ़ धरा से गगन चूमती बेटियां। ”

इस अवसर पर डा. धनराज सिंह ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कवियों का आह्वान किया कि वे अपनी कविताओं के माध्यम से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आन्दोलन को तेज कर समाज मे नई जागृति लाने में सहयोग करें।

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