• July 10, 2016

’फर्स्ट रीजनल कॉन्फ्रेंस फॉर सैन्सटाइजेशन-ऑन फेमली कोर्ट मैटर्स’’ एक दिवसीय कार्यक्रम

’फर्स्ट रीजनल कॉन्फ्रेंस फॉर सैन्सटाइजेशन-ऑन फेमली कोर्ट मैटर्स’’ एक दिवसीय कार्यक्रम

जयपुर ——- पारिवारिक मामलों में संवेदनशीलता हेतु गठित सर्वोच्च न्यायालय समिति के तत्वावधान में राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा आज प्रातः 9ः30 बजे झालाना स्थित अरण्य भवन में ’’फर्स्ट रीजनल कॉन्फ्रेंस फॉर सैन्सटाइजेशन ऑन फेमली  कोर्ट मैटर्स’’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम का सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री दीपक मिश्रा ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया।

शुभारंभ सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री दीपक मिश्रा के साथ राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति श्री नवीन सिन्हा, झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री डी.एन.पटेल, राजस्थान न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधिपति श्री अजय रस्तोगी एवं न्यायाधिपति कुमारी निर्मलजीत कौर मंच पर मंचासीन थे। कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र में राजस्थान उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधिपति श्री अजय रस्तोगी ने सभी का स्वागत किया और बताया कि पारिवारिक न्यायालय अन्य न्यायालय  से कई मायनाें में अलग है।

उन्होंने कहा कि हमें नैतिकता के साथ पारिवारिक मामलों को अतिशीघ्र व प्रभावशाली न्याय दिलाना चाहिए ये मामले समाज के लिए बेहद संवेदनशील है इसके लिए महत्वपूर्ण है कि समय रहते सकारात्मक न्याय दिया जाये। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री दीपक मिश्रा ने अपने सम्बोधन में कहा कि एक न्यायाधिपति के लिए पारिवारिक मुकदमों की सुनवाई के दौरान सतर्क रहना बहुत महत्वपूर्ण है। पारिवारिक मुकदमों के न्यायाधिपति को सामाजिक ज्ञान, मनोविज्ञान आदि विषयों का ज्ञान होना आवश्यक है।

हमारे समाज में शादी एक संस्था है जिसे बनाये रखने की बेहद आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पारिवारिक मामले बेहद महत्वपूर्ण होते हैं इसलिए इनकी सुनवाई के लिए बेहद समझदार व संवेदनशील न्यायाधीश की पारिवारिक न्यायालय में आवश्यकता है।कार्यक्रम में झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री डी.एन.पटेल ने पारिवारिक न्यायालयों में न्यायाधीश की नियुक्ति करने पर व न्यायालय परिसर में संसाधन उपलब्ध कराने पर जोर दिया।

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति श्री नवीन सिन्हा ने ’’फर्स्ट रीजनल कॉन्फ्रेंस फॉर सैन्सटाईजेशन ऑन फेमली कोर्ट मैटर्स’’ की एक दिवसीय कार्यशाला को राजस्थान में आयोजित करने हेतु सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री दीपक मिश्रा का आभार प्रकट किया। उन्होंने सम्बोधन में बताया कि पारिवारिक विवाद मामले बेहद संवेदनशील होते हैं और न्यायाधीश इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं इसमें न्यायाधीश को व्यक्तिगत रूप से भाग लेना होता है। इसलिए पारिवारिक न्यायालयों का माहौल दोस्ताना और थोडी गोपनीयता बनाये रखने वाला होना चाहिए।

सभी पक्ष को सुनना व समझना बेहद जरूरी है एक सही व सकारात्मक निष्कर्ष पर आने के लिए। इस अवसर पर उच्चतम न्यायालय के पारिवारिक मामलों से सम्बन्धित जो निर्णय मील के पत्थर साबित हुए उनके संकलन का विमोचन किया गया। प्रथम सत्र में बोम्बे उच्च न्यायालय की न्यायाधिपति श्रीमती शालिनी फांसलकर जोशी एवं मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति श्री राजेन्द्र मेनन द्वारा पारिवारिक न्यायालयों के सामने जो मुख्य चुनौतियां है एवं पारिवारिक न्यायालयों के न्यायाधिपतियों की भूमिका पर चर्चा की गई।

 द्वितीय सत्र में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री संजय करोल एवं पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्रीमती दया चौधरी ने ’’कस्टडी ऑफ चाईल्ड विजिटेशन एण्ड शेयर्ड पेरेन्टींग’’ विषय पर चर्चा की। उतराखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री वी.के.बीश्त द्वारा तृतीय सत्र में ’’मेंटेनेन्स एण्ड ग्रान्ट ऑफ एन्ट्रीम मेंटेनेन्स’’ विषय पर कार्यक्रम में चर्चा की गयी।

गुजरात, उच्च न्यचायालय के न्यायाधिपति कुमारी बेला एम. त्रिवेदी ने कानूनन बच्चा गोद लेने के विषय पर चर्चा करी। इसी प्रकार कार्यक्रम में पांचवे सत्र में राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायाधिपति कुमारी जयश्री ठाकुर द्वारा डाईवोर्स/ऎन्नलमेंट जैसे शादी के विभिन्न चिन्ता के विषयों पर चर्चा की गयी। सभी मुद्दों पर सभागार में सभी वक्ताओं द्वारा खुली चर्चा की गयी जिसमें कार्यक्रम में उपस्थित सभी न्यायाधिपतिओं व न्यायिक अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

इस कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के अतिरिक्त गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उतराखण्ड एवं झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधिपतिगण एवं पारिवारिक मुकदमों की सुनवाई करने वाले न्यायिक अधिकारी सम्मिलित हुए।

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