पाठ्यक्रम में गौमाता सम्मिलित होंगी -शिक्षा राज्य मंत्री

पाठ्यक्रम में  गौमाता सम्मिलित होंगी   -शिक्षा राज्य मंत्री

जयपुर – कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री प्रभूलाल सैनी ने कहा है कि प्रदेश की कृषि मंडियो में जैविक उत्पादों के विक्रय के लिए पृथक से दुकानों का प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गौवंश के साथ पकड़े जाने वाले ड्राइवर और खलासी के साथ अब वाहन मालिकों के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही की जाएगी। प्रयास किया जाएगा कि वाहन मालिकों के खिलाफ कानून में सजा का प्रावधान हो।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने वाहनों में पकड़े जाने वाले गौवंश संरक्षण के लिए 5 करोड़ 88 लाख रुपये राशि स्वीकृत की है। इस राशि से गौवंश संरक्षण की पहल की जा रही है। बीकानेर के कोडमदेसर में गौवंश के प्राकृतिक गर्भाधान की जहां पहल की गई है वहीं चारागाह जमीन को अब किसी भी सूरत में अन्य प्रयोजन के लिए आवंटित नहीं किया जाएगा।

श्री सैनी आज यहां माधव गौ विज्ञान अनुसंधान समिति एवं राज्य कृषि प्रबंध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गौ विज्ञान अनुसंधान एवं सामान्य ज्ञान की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण एवं प्रबुद्घ नागरिक सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने गौवंश को सनातन संस्कृति का आधार बताते हुए कहा कि गाय के बिना किसान और कृषि अधूरी है।

उन्होंने कृषि में जैविक खेती को अपनाए जाने पर जोर देते हुए कहा कि राज्य सरकार राठी-थारपारकर, गिर व साहीवाल और देशी नस्लों के गौवंश के संरक्षण और संवद्र्घन के लिए विशेष कार्य कर रही है। श्री सैनी ने कहा कि अब हमें पुन: जैविक खेती की ओर लौटना होगा। आज खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीट नाशकों के अंधाधुंध उपयोग से खेत बंजर होते जा रहे हैं और उनके उत्पाद असाध्य बीमारियों का कारण बन रहे हैं।

पाठ्यक्रम में सम्मिलित होगी गौमाता

शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राजस्थान में विद्यालयी पाठ्यक्रम में गौमाता के बारे में पाठ सम्मिलित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गौवंश सरंक्षण की सोच को आधुनिक विज्ञान से जोड़ते हुए कार्य किए जाने की जरूरत है।

श्री देवनानी ने कहा कि गौ अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ ही नई पीढ़ी को गाय के वैज्ञानिक महत्व से अवगत कराने के लिए भी विद्यालयी स्तर पर प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विद्यालयी पाठ्यक्रमों में भारतीय संस्कृति पर बालकों को गर्व की अनुभूति कराने वाली सामग्री जोडऩे के के साथ ही वीर-वीरांगनाओं के गौरवमयी इतिहास के साथ श्रेष्ठ नागरिक बनाने की शिक्षा प्रदान करने की ओर अग्रसर है।

उन्होंने गाय संरक्षण के लिए समाज में जागृति लाए जाने पर जोर देते हुए आमजन से पॉलिथिन का उपयोग नहीं किए जाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गायों की मृत्यु का बड़ा कारण उनका अनजाने में पॉलिथिन की थैलियां खा लेना भी है। ये थैलियां गाय के पेट जाकर फंस जाती हैं और गायों की मौतों का कारण बनती है।

श्री देवनानी ने गौ संरक्षण को आधुनिक विज्ञान से जोडऩे पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि गौ के बारे में ज्ञान हमारे दैनिक जीवन का अंग बने। वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि गाय के मुंह से जो गैसें निकलती है, उनसे वायुमंडल शुद्घ होता है। इसी प्रकार गोबर के रोग प्रतिरोधक होने और गौमूत्र से कैंसर तक के उपचार की सफलता के बारे में उन्होंने बहुत सी बातें कार्यक्रम में साझा की।

रेवासा पीठ के डॉ. राघवाचार्य ने मानवता की रक्षा के लिए गौवंश संरक्षण को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि गाय की सेवा से गृह दोषों के साथ ही वास्तु दोषों तक का निवारण हो जाता है। उन्होंने गाय के उत्पादों के अनुसंधान के कार्य पर भी प्रभावी प्रयास किए जाने पर जोर दिया।

इससे पहले राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में विजेता रहे बालक-बालिकाओं को कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री सैनी, शिक्षा राज्यमंत्री प्रो. देवनानी और डॉ. राघवाचार्य ने प्रशस्तिपत्र, पुरस्कार राशि एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

प्रतियोगिता संयोजक श्री कृष्णगोपाल ने बताया कि प्रतियोगिता में राज्यभर से 2 लाख 27 हजार 774 का पंजीयन किया गया था। प्रतियोगिता में 2 लाख 2 हजार 988 प्रतिभागियों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि इस बार प्रतियोगिता में ओएमआर सीट का प्रयोग किया गया था। कार्यक्रम में श्री नवरंग लाल शर्मा ने अपने स्वागत उद्बोधन में गौवंश संरक्षण और इसके लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में जानकारी दी।

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