पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वेच्छा से आगे आएं — मुख्यमंत्री

पर्यावरण संरक्षण के लिए स्वेच्छा से आगे आएं — मुख्यमंत्री

शिमला— पारिस्थितिकीय में जैव विविधता तथा प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण व उनके संवर्धन सुरक्षा के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है तथा पर्यावरण संरक्षण एक वृहद व्याख्या है, जिसका मूल उद्देश्य जिसके लिए सभी तरह के प्रयासों को के साथ-साथ प्राकृतिक स्रोतों के संरक्षण पर भी बल देना है ताकि सभी प्राणी बेहतर जीवन जी सकेें।

मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह आज यहां हिमाचल प्रदेश पर्यावरण लीडरशिप अवार्ड-2017 के समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। यह समारोह ऐसे संस्थानों, संगठनों व व्यक्तियों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था जिन्होंने पर्यावरण व वनस्पति संरक्षण के लिए स्वेच्छा से, बिना किसी आर्थिक सहायता के उत्कृष्ट कार्य कर किये हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष पर्यावरण के संरक्षण के लिए उत्कृष्ट व सतत् उपायों को अपनाने वाले व्यक्तियों, संगठनों, संस्थानों, उद्योगों व पंचायतों को प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि लोगों को इस संदर्भ में सर्वांगीण सोच अपनानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को अपार प्राकृतिक सौंदर्य तथा अनुकूल जलवायु से नवाजा है, लेकिन बदलती परिस्थितियों में वैश्विक ऊष्मीकरण के प्रभावों को बड़े पैमाने पर पेड़ लगाने के कार्यक्रमों, विशेषकर लाहौल स्पीति जिला में पौधरोपण करके कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लाहौल स्पीति के हाल ही के दौरे के दौरान उन्होंने ‘ग्रीन स्पीति मिशन’ चलाने का संकल्प लिया है तथा वन विभाग को एक विशाल पौधरोपण अभियान व अन्य उपायों को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को पर्यावरण संरक्षण का प्रहरी बनना चाहिए तथा स्वेच्छा से पर्यावरण की सुरक्षा के लिए आगे आना चाहिए, क्योंकि जीवन के लिए प्रकृति व पर्यावरण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृष्य में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक विशाल अन्तर्राष्ट्रीय अभियान को आरम्भ करने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर ‘कम्पलाएलेशन आॅफ बेस्ट प्रेक्टिसिज’ नामक पुस्तक का विमोचन किया व 23 प्रतिभागियों को हि.प्र. पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार से सम्मानित किया।

वन मंत्री श्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण उपायों को योजना प्रक्रिया में शामिल जाएं, ताकि सतत् पर्यावरण प्रयासों को न केवल वर्तमान के लिए सुनिश्चित बनाया जा सके, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी उसे बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि पर्यावरण हमारे जीवन में अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की बहुमूल्य वन सम्पदा व वनस्पति राज्य के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है और यह प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ है।

पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, होटल मालिक, उद्योगपति, ग्राम पंचायतों के जन प्रतिनिधि व पर्यावरणविद् भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश में सतत् पर्यावरण प्रबन्धन व औद्योगिक कचरा प्रबन्धन की बेहतर उपायों पर एक प्रस्तुति दी गई। हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र संस्थान द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर आधारित वीडियो क्लिप भी दिखाई गई।

अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री तरूण कपूर ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया तथा पर्यावरण संक्षण के लिए उठाए जा रहे विभिन्न उपायों की बारे जानकारी दी।

पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक अर्चना शर्मा ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया।

मुख्य सचिव श्री वी.सी. फारका, हि. प्र. पर्यटन विकास निगम के उपाध्यक्ष श्री हरीश जनारथा व अन्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

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