- July 10, 2017
तीन दिवसीय राष्टीय सेमिनार–खनन एवं पर्यावरण पर टिप्स
जयपुर————सेमिनार के मुख्य अतिथि केंद्रीय खान सचिव श्री अरूण कुमार ने कहा कि प्रकृति से मिनरल का दोहन करना जरूरी है क्योंकि यह राजस्व प्राप्त करने का बड़ा स्त्रोत है। उन्होंने कहा कि हमें खनन एवं पर्यावरण के बीच सामन्जस्य बिठाते हुए कार्य करना होगा ताकि प्रकृति को विनाश से बचाया जा सके। इसके लिये खनन से प्राप्त होने वाली आय का कुछ हिस्सा सामाजिक उत्थान के कार्यो में खर्च करना चाहिये।
केन्द्रीय खान सचिव रविवार को उदयपुर में माईनिंग इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया राजस्थान चेप्टर उदयपुर, जोधपुर एवं जयपुर व सीटीएई के संयुक्त तत्वाधान में वर्तमान में भारत में खनन व पर्यावरण मुद्दे पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के अंतिम सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होेंने कहा कि राजस्थान में मार्बल,ग्रेनाईट व अन्य मिनरल के अकूत भण्डार है।
उन्होंने कहा कि हमें पर्यावरण संरक्षण के सामाजिक दायित्वों को निभाते हुए खनन को आगे बढ़ाना होगा। आमजन व सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद खनन में ई-ऑक्शन प्रक्रिया प्रारम्भ की है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने एमईएआई को समय-समय पर अपने सुझावों को सरकार को भेजने एवं खनन के वैज्ञानिक शोध की जरूरत बताई।
खान सचिव ने सत्र प्रारंभ होने से पूर्व सेमिनार में लगी खान एवं भूविज्ञान की प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। खान निदेशालय, उदयपुर के निदेशक डॉ. डीएस मारू व अतिरिक्त निदेशक खान श्री एम एस पालीवाल द्वारा राजस्थान में पाए जाने वाले खनिजों तथा उससे प्राप्त राजस्व के बारे में जानकारी भी दी। उन्होंने भविष्य में अप्रधान खनिज के प्लॉट्स के ऑक्शन के बारे में भी जानकारी दी।
कोटा खुला वि.वि. के कुलपति श्री पी.के.दशेारा ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने, खनन के दौरान ईको-फ्रेन्डली तकनीक अपनाकर पर्यावरण संरक्षण पर फोकस करने, सरकारी मशीनरी, विभिन्न विभागों व निजी संस्थाओं को खनन से होने वाली गंभीर बीमारियों से बचाव करने व पर्यावरण संरक्षण के साथ शोध व विकास पर जोर दिया। खान एवं भू विज्ञान विभाग के निदेशक डी.एस.मारू ने कहा कि विकास के लिये रॉ मेटेरियल के तौर पर मिनरल बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के नियमों पर फोकस करते हुए इसके विकास की जरूरत है।
मांईनिग इंजीनियर्स एसोसएिशन ऑफ इण्डिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अरूण कोठारी ने एमआईए की 60 वर्ष की उपलब्धियों के साथ पीएम के कौशल विकास की तर्ज पर विभिन्न कॉलेजों एवं वि.वि. से समन्वय कर खनन का विकास करने व तीन दिवसीय सेमिनार की उपलब्धियां व प्रोडक्टिविटी बतायी। उन्होंने कहा कि सरकार को खनन स्वीकृति के लिये जीएसटी की भांति सिंगल विंडो की जरूरत है।
कार्यक्रम समन्वयक डॉ. एस.एस.राठौड़ ने कहा कि बेहतर तकनीक अपनाकर कम लागत में उत्पादन करने व ईको-फ्रेन्डली खनन के साथ पर्यावरण संरक्षण के साथ प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना चाहिये। एमपीयूटी के कुलपति प्रो. उमाशकर शर्मा ने सीआरएस गतिविधियों के साथ पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए खनन करने पर जोर दिया। एसोसिएशन के उदयपुर के चेप्टर के अध्यक्ष श्री एल.एस.शेखावत ने सेमिनार की तीन दिन की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
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