जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है: श्री राधा मोहन सिंह

जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है: श्री राधा मोहन सिंह

पेसूका —–केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि जैविक कृषि की महत्व को ध्यान में रखते हुए, सरकार सतत उत्पा्दकता, खाद्य सुरक्षा एवं मृदा स्वास्थ्य पर जोर देने के साथ जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह बात आज गाजियाबाद में जैविक खेती पर आयोजित कृषि मेले में कही।

कृषि मंत्री ने कृषि मेले में जैविक खेती पर आयोजित वर्कशॉप में कहा कि भारत सरकार ने जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के अंतर्गत परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्रों के लिए जैविक मूल्यर श्रंखला विकास (ओवीसीडीएनईआर) योजनाओं का प्रारंभ किया है।

श्री सिंह ने कहा कि परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) पहली व्यापक योजना है जिसका कार्यान्वयन प्रति 20 हैक्टेयर के कलस्टर आधार पर राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। कलस्टर के अंतर्गत किसानों को अधिकतम 1 हैक्टेयर तक की वित्तीय सहायता दी जाती है और सहायता की सीमा 3 वर्षों के रूपांतरण की अवधि के दौरान प्रति हेक्टेयर 50,000 रूपये है। 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर करते हुए 10,000 कलस्टरों को बढ़ावा देने का लक्ष्य है।

कृषि मंत्री ने कहा कि पीकेवीआई स्कीम के अधीन 29 राज्यों और 1 संघ राज्य क्षेत्र की वार्षिक कार्य योजना 7186 कलस्टर विकसित करने के लिए कुल 511.76 करोड़ रू. के कुल परिव्यय के साथ अनुमोदित किया गया है जिसमें से वर्ष 2015-16 के दौरान राज्यो को 226.00 करोड़ रू. निर्मुक्त किए गए।

2016-17 के दौरान उपयोग में लाये जाने के लिए 2814 कलस्टरों के निर्माण के लिए 10,000 कलस्टरों के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केंद्रीय प्रोयोजित स्कीम के रूप में परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) हेतु वर्ष 2016-17 के लिए 297 रू. की राशि आवंटित की गई।

श्री सिंह ने कहा कि पीकेवीवाई के तहत व्रर्ष 2015-16 में केन्द्र ने उत्तर प्रदेश को रु 2052.20 करोड़ की राशि दी लेकिन इसमें से खर्च सिर्फ रु 1075.692 करोड़ ही हुआ। वर्ष 2016-17 में केन्द्र अब तक इस मद में उत्तर प्रदेश को रु. 1270.64 करोड़ दे चुका है।

कृषि मंत्री ने कहा कि पंडित दीन दयाल उन्नत कृषि शिक्षा योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 23 प्रशिक्षण केन्द्रों की स्थापना की जानी है। प्रशिक्षण केन्द्रों के लिए उन किसानो का चयन किया जायेगा, जिन्होंने वर्ष 2015-16 या उससे पूर्व उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत या उससे पूर्व आयोजित प्राकृतिक खेती संबंधित प्रशिक्षण पाठयक्रम में भाग लिया हो, अथवा जिसे जैविक खेती/प्राकृतिक खेती /टिकाऊ खेती का ज्ञान हो अथवा जो किसान अपने ही खेत में खेती की इन पद्धतियों का अभ्यास कर रहा हो एवं जैविक खेती की मूल बातें एवं मौलिक सिद्धांतो से अवगत हो

श्री सिंह ने बताया कि जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के बीच हाल में एक समझौता हुआ है जिसके तहत उत्तराखंड में गंगा की धारा से लेकर पश्चिम बंगाल तक 1657 ग्राम पंचायतों में नमामि गंगे परियोजना के तहत परंपरागत कृषि विकास योजना के अंतर्गत 1657 कलस्टर में जैविक खेती विकसित की जाएगी।

इस परियोजना के अंतर्गत कृषि मंत्रालय कलस्टर निर्माण के साथ एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन और माइक्रो सिचाई तकनीक पर प्रशिक्षण भी उपलब्ध करायेगा । कृषि मंत्री ने किसानों से जैविक खेती अपनाने की अपील की।

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