• July 15, 2017

जीएसटी में प्रदेश के 89 प्रतिशत व्यापारियों की माइग्रेशन

जीएसटी में प्रदेश के 89 प्रतिशत व्यापारियों की माइग्रेशन

जयपुर————प्रदेश के करीब 89 प्रतिशत व्यापारियों ने नवीन कर व्यवस्था जीएसटी (गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स) में माइग्रेशन कर लिया है। शेष बचे व्यापारियों में ज्यादातर वे हैं, जिनका वार्षिक टर्न ओवर 20 लाख से कम है और वे जीएसटी के दायरे में नहीं आ रहे हैं।

यह जानकारी वित्त विभाग के शासन सचिव (राजस्व) श्री प्रवीण गुप्ता ने शुक्रवार को दूरदर्शन के राजस्थान केंद्र पर जीएसटी को लेकर आयोजित चर्चा में दी। इस कार्यक्रम का सजीव प्रसारण किया गया। श्री गुप्ता ने कहा कि व्यापारियों को नवीन कर व्यवस्था में माइग्रेशन की सुविधा दी गई थी, जिसके तहत अधिकांश व्यापारियों ने माइग्रेशन कर लिया है। उन्होंने बताया कि अब तक जिन व्यापारियों ने रजिस्टे्रशन नहीं करवाया है, वे भी रजिस्टे्रशन करवा सकते हैं।

30 सितम्बर तक एमआरपी स्टीकर बदल सकेंगे
शासन सचिव, वित्त ने स्पष्ट किया कि नई कर व्यवस्था में 20 लाख से कम टर्न ओवर वाले व्यापारियों को रजिस्टे्रशन की आवश्यकता नहीं है, लेकिन अंतरराज्यीय तथा ई-कॉमर्स के जरिए व्यापार करने वाली फर्मों के लिए रजिस्टे्रशन आवश्यक है। उन्होेंने बताया कि व्यापारी जीएसटी के अनुरूप 30 सितम्बर तक एमआरपी स्टीकर बदल सकते हैं।

कर अदायगी आसान —श्री गुप्ता ने बताया कि जीएसटी (गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स) भारत के इतिहास में अब तक हुए आर्थिक सुधारों में सबसे बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि इस कर व्यवस्था में उपभोक्ता के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं के दाम कम होंगे, व्यापारियों के लिए कर अदायगी आसान होगी और केंद्र एवं राज्य सरकार का राजस्व बढे़गा।

शासन सचिव, वित्त ने बताया कि जीएसटी से आमतौर पर आमजन के उपभोग से जुड़ी वस्तुओं एवं सेवाओं के दाम कम हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पहले जब कोई वस्तु खरीदते थे, तो उस पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी या अन्य कर पहले से शामिल होते थे और उसके बाद वैट लगाया जाता था।

नई व्यवस्था में इन करों को जोड़कर केवल एक कर जीएसटी लगाया गया है, जो सामान्यतः या तो पुराने करों के योग के बराबर है या उससे कम है।

करीब 100 खाद्य पदार्थ जीएसटी से बाहर —श्री गुप्ता ने बताया कि आमजन के हितों का ध्यान रखते हुए जीएसटी में करीब 100 खाद्य पदार्थों को कर मुक्त रखा गया है। साथ ही कृषक उत्पादों, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और दैनिक उपभोग से जुड़ी वस्तुओं एवं सेवाओं को भी जीएसटी से बाहर रखा गया है।

उन्होंने बताया कि जीएसटी की ज्यादा दर विलासिता से संबंधित उत्पादों या मादक पदार्थों पर है, जिसने आमजन को कोई नुकसान नहीं है। आमजन को तो जीएसटी से फायदा होगा।

रिटर्न भरने की प्रक्रिया सरल शासन सचिव, वित्त ने स्पष्ट किया कि जीएसटी में रिटर्न भरने की प्रक्रिया को भी सरल किया गया है। व्यापारियों के बीच यह केवल भ्रांति है कि उन्हें साल भर में 37 रिटर्न भरने होंगे। उन्हें केवल मासिक रिटर्न ही भरना होगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए हमेशा इंटरनेट या ऑनलाइन सिस्टम की जरूरत नहीं। ऑफलाइन कार्य सम्पादित कर केवल एक दिन उसे वेबसाइट पर अपलोड करना होगा।

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