• March 28, 2015

चिंता: राजस्थान ऊंट विधेयक- 2015 पारित : देश में घटकर 4 लाख ऊंट

चिंता: राजस्थान ऊंट  विधेयक- 2015  पारित : देश में घटकर 4 लाख ऊंट

जयपुर -राज्य विधानसभा ने शुक्रवार को राजस्थान ऊंट (वध का प्रतिषेध और अस्थायी प्रव्रजन या निर्यात का विनियमन) विधेयक 2015  ध्वनिमत से पारित कर दिया।

कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी ने सदन में विधेयक को प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई बहस के बाद उत्तर देते हुए श्री सैनी ने कहा कि इस विधेयक से प्रदेश के राजकीय पशु ऊंट के संरक्षण, संवद्र्घन, उन्नयन और प्रजनन करने में मदद मिलेगी। indexउन्होंने ऊंट संरक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि ऊंट बहुद्देश्यीय पशु है, यह हमारे यहां परिवहन और पर्यटन के साथ कृषि में भी काम आता है। उन्होंने कहा कि जिन दुर्गम स्थानों पर परिवहन का कोई साधन नहीं है, वहां ऊंट को काम लिया जाता है। साथ ही सीमा सुरक्षा बल द्वारा दुर्गम स्थानों पर गश्त के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।

श्री सैनी ने कहा कि देश के 81 प्रतिशत ऊंट राजस्थान में हैं। उन्होंने ऊंटों की घटती संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि वर्ष 2003 की पशुगणना के मुताबिक देश में 6 लाख 35 हजार, राजस्थान में 4 लाख 98 हजार, गुजरात में 53 हजार, हरियाणा में 50 हजार ऊंट थे।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2007 की पशुगणना में ऊंटों की संख्या में गिरावट आई और इनकी संख्या घटकर देश में 5 लाख 17 हजार, राजस्थान में 4 लाख 21 हजार, गुजरात में 38 हजार और हरियाणा में 39 हजार रह गई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में ऊंटों की संख्या देश में घटकर 4 लाख, राजस्थान में 3 लाख 26 हजार, गुजरात में 30 हजार और हरियाणा में 19 हजार रह गई। ऊंटों की घटती संख्या को देखते हुए राजस्थान सरकार ने इनको बचाने के लिए एक अलग से कानून लाने का विचार किया।

कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने कहा कि विधेयक की धारा 2 में ऊंट के निर्यात को परिभाषित किया गया है। साथ ही विधेयक की धारा 5 में निर्यात के प्रतिषेध का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि धारा 5 (2) में चराई के लिए अन्यत्र अस्थाई रूप से जाने के लिए परमिट लेने का प्रावधान है, इससे संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से ऊंटों के कार्य और सामाजिक प्रथाओं पर कोई विपरीत असर नहीं हो, इसका ध्यान रखा जाएगा। परमिट के लिए अगस्त माह के महत्व के बारे में श्री सैनी ने बताया कि मई-जून में बारिश नहीं होने पर ऊंटों को दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है। इसके बाद अगस्त माह तक उनके लौटने के आधार को देखते हुए यह प्रावधान रखा गया है।

श्री सैनी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में यह विधेयक अब लाया गया है लेकिन इससे पूर्व राज्य सरकार द्वारा ऊंट को राज्य पशु घोषित करने के बाद टोंक के नवाब ने ईदुलजुहा पर लंबे समय से हो रहे ऊंट के सार्वजनिक वध को रोक दिया है, उनका यह प्रयास सराहनीय है। विधेयक के बाद प्रदेश में ऊंट के संरक्षण को और बल मिलेगा।

इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचारित करने के प्रस्ताव को सदन  ने ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

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