किसान मितान केन्द्र-एक ही छत के नीचे समस्या समाधान

किसान मितान केन्द्र-एक ही छत के नीचे समस्या समाधान

रायपुर ————-किसानों को एक ही छत के नीचे खेती से संबंधित विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने और उनकी समस्याओं के समुचित निराकरण के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने किसान मितान केन्द्रों की स्थापना का निर्णय लिया है। इनकी स्थापना एक सप्ताह के भीतर कर दी जाएगी।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर किसानों की समस्याओं को जानने और समझकर उचित समाधान करने और उन्हें सलाह देने के लिए राज्य के सभी 27 जिलों में जिला मुख्यालयों के स्तर पर किसान मितान केन्द्र बनाए जाएंगे।

राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से सभी संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को इस आशय का परिपत्र जारी कर दिया। राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने विभागीय अधिकारियों से कहा है कि मुख्यमंत्री के आदेश पर तत्परता से अमल किया जाए। परिपत्र में इन अधिकारियों से कहा गया है कि एक सप्ताह के भीतर इन केन्द्रों की स्थापना कर ली जाए।

संभागीय आयुक्त अपने राजस्व संभाग के जिलों में इन केन्द्रों की स्थापना की कार्रवाई समय-सीमा में सुनिश्चित करेंगे। राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री श्री पाण्डेय ने कहा कि यह रमन सरकार का अत्यंत महत्वपूर्ण किसान हितैषी निर्णय है। विभाग द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है कि सभी जिला मुख्यालयों में किसान मितान केन्द्र बनाया जाए, जो एक कंट्रोल रूम के रूप में होगा। इसके लिए अलग से टोल-फ्री नम्बर लिया जाएगा। जब तक टोल-फ्री नम्बर प्राप्त नहीं हो जाता, तब तक जिला कार्यालय (कलेक्टोरेट) के ही एक टेलीफोन नम्बर को चिन्हांकित कर किसान मितान केन्द्र (कंट्रोल रूम) शुरू किया जाए।

परिपत्र के अनुसार किसान मितान केन्द्र के संचालन के लिए स्थल चयन जिला कलेक्टर द्वारा किया जाएगा। किसान मितान केन्द्रों में राजस्व, कृषि, सहकारिता, ग्रामीण विकास, ऊर्जा और जल संसाधन विभाग सहित सहकारी बैंक आदि के अधिकारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।

किसान मितान केन्द्रों में टेलीफोन के माध्यम से अथवा व्यक्तिगत रूप से आकर जानकारी चाहने वाले किसानों की काउंसलिंग की जाएगी। परिपत्र में अधिकारियों से कहा गया है कि वे इन केन्द्रों में किसानों की समस्याओं को धैर्य के साथ सुनें और उन्हें शासन द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी दें। इसके साथ ही किसानों को उपलब्ध योजनाओं के आधार पर उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए आश्वस्त करते हुए जल्द से जल्द आवश्यक कार्रवाई की जाए।

अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि वे इन केन्द्रों में संबंधित किसानों और उनकी समस्याओं का रिकॉर्ड भी रखें और उनकी समस्याओं की जानकारी संबंधित विभाग के जिला स्तर के प्रमुख अधिकारी को भेंजे। अगर यह पाया जाता है कि किसी समस्या का निराकरण उपलब्ध योजनाओं के माध्यम से संभव नहीं है, तो इस प्रकार की समस्याओं की जानकारी जिला कलेक्टर द्वारा शासन के संबंधित विभाग को तत्काल भेजी जाए।

शासन स्तर पर संबंधित विभाग के सचिव द्वारा ऐसी समस्याओं के निराकरण के लिए उचित निर्णय लिया जाएगा। परिपत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार विभिन्न विकास और कल्याण योजनाओं के माध्यम से प्रदेश के सभी वर्गों की समस्याओं के समाधान के लिए कृत संकल्पित है, लेकिन कभी-कभी जानकारी के अभाव में अकारण भटकाव, भ्रम अथवा संशय की स्थिति निर्मित होने पर विशेष रूप से किसान परेशानी का अनुभव करते हैं।

मानसून के आने के बाद किसान खेती से संबंधित कार्यों में संलग्न हो गए हैं। इसलिए उन्हें प्रासंगिक जानकारी एक ही छत के नीचे त्वरित प्राप्त हो सके। इसके लिए संबंधित विभागों के मैदानी अधिकारियों की सक्रिय भूमिका अपेक्षित है। इसी उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है।

परिपत्र में यह भी बताया गया है कि राज्य सरकार के कृषि विभाग द्वारा आत्मा योजना के तहत प्रत्येक दो गांवों के बीच एक किसान संगवारी (किसान मित्र) नामांकित किया गया है। किसान हितैषी सरकारी योजनाओं और सुविधाओं की जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए किसान संगवारियों का भी सहयोग लिया जा सकता है।

परिपत्र में संभागीय आयुक्तों और जिला कलेक्टरों को विकासखण्ड और जिला स्तर पर किसान संगवारियों का सम्मेलन अथवा उनकी बैठक आयोजित करने के भी निर्देश दिए गए हैं, ताकि उन्हें वहां दी जाने वाली जानकारी के आधार पर वे किसानों को उचित समझाइश देकर उनकी प्रभावी मदद कर सकें।

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