किसानों के मुद्दे पर सियासत : 68 % आबादी आज भी खेती-किसानी पर निर्भर 

किसानों के मुद्दे पर सियासत : 68 %  आबादी आज भी खेती-किसानी पर निर्भर 

लखनऊ — किसानों ने साबित कर दिया कि वे अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। यूपी की करीब 68 फीसदी आबादी की निर्भरता आज भी खेती-किसानी पर है। इसमें भी 93 प्रतिशत छोटे (लघु) व मझोले (सीमांत) किसान हैं।

सिंचाई परियोजनाओं सहित कई अधूरी परियोजनाएं पूरी हुई हैं।

किसानों की कर्ज
एनएसएस का सिचुएशन एसेसमेंट सर्वे बताता है कि 2013 से 2019 के बीच किसानों की आय में वृद्धि हुई तो उनके कर्ज में भी भी इजाफा हुआ है। छह वर्षों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर किसान परिवारों की सालाना आमदनी में औसतन 22,932 रुपये की बढ़ोतरी हुई, जबकि यूपी में यह वृद्धि 14,484 रुपये
तक सीमित रही। इसी अवधि में राष्ट्रीय स्तर पर किसानों के औसत कर्ज में 27,121 रुपये की वृद्धि हुई, हालांकि यूपी के किसानों पर कर्ज का बोझ 23,807 रुपये ही बढ़ा।

किसानों को समय से भुगतान एक स्थायी मुद्दा बन चुका है। नियम है कि 14 दिन के अंदर भुगतान हो जाना चाहिए, वरन ब्याज देना पड़ेगा। लेकिन यह प्रावधान आज तक लागू नहीं हो पाया। यदि यह व्यवस्था लागू हो जाए तो भुगतान नियमित हो जाएगा।

एफपीओ का सरकारीकरण चिंताजनक, व्यवस्था में हो सुधार : छोटे व मझोले किसानों की तरक्की के लिए कृषक उत्पादक समूहों (एफपीओ) के गठन की पहल हुई है।

नीति के बाद जारी ज्यादातर आदेश कागजी हैं।

समूह बनाने वालों को नहीं पता कि एफपीओ सेल में कौन-कौन है? सेल कहां है? सेल का संपर्क नंबर क्या है? वहीं, कागजी कार्यवाही इतनी बढ़ाई जा रही है कि किसान खेती करे या कागजों में सिर खपाए। कृषि निर्यात नीति आई, पर आधे से ज्यादा जिलों में इससे जुड़े अधिकारी नहीं हैं। कार्यालय तक नहीं हैं। ऐसे में समस्याओं के समाधान के लिए किसान कहां जाएं?

लघु व सीमांत किसानों का एक लाख रुपये तक का फसली कर्ज ।

वर्ष 2018 में पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में 6,000 रुपये प्रति वर्ष भुगतान की शुरुआत।
33 प्रतिशत फसल के नुकसान पर भी मुआवजे की व्यवस्था। पहले 50 प्रतिशत था मानक।
गन्ना मूल्य में पहले वर्ष 10 रुपये व पांचवें वर्ष 25 रुपये प्रति क्विंटल की दर से वृद्धि।

वर्षों से अधूरे ये काम हुए पूरे

सरयू नहर परियोजना : 6,623,44 किमी. लंबी यह नहर परियोजना 1978 में शुरू हुई थी। इसे दिसंबर 2021 में पूरा कर लोकार्पित कर दिया गया। नौ जिलों में 29 लाख किसानों को फायदा मिलेगा।

बाण सागर परियोजना : 39 वर्ष से अधूरी यह परियोजना 2018 में पूरी हुई। मिर्जापुर व प्रयागराज के 1.70 लाख किसानों को फायदा।

अर्जुन सहायक परियोजना : 2009-10 में शुरू परियोजना नवंबर, 2021 में पूरी हुई। इससे 1.50 लाख किसानों को सिंचाई सुविधा मिलेगी।

खाद कारखाना दोबारा शुरू कराया : गोरखपुर में बंद पड़े खाद कारखाने को फिर शुरू कराया। इससे यूपी सहित कई राज्यों को फायदा मिलेगा।

बंद गन्ना मिलों का संचालन : बस्ती की मुंडेरवा और गोरखपुर की पिपराइच चीनी मिलें शुरू हुईं।
स्वामीनाथन कमेटी की संस्तुतियां लागू हों तो किसानों का हो बड़ा भला 2004 में केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स का गठन किया था। इसने अपनी आखिरी रिपोर्ट अक्तूबर, 2006 में सौंपी। मोदी सरकार ने इस रिपोर्ट के कुछ प्रावधानों को लागू किया। विशेषज्ञों का कहना है कि पूरी रिपोर्ट लागू हो तो किसानों की स्थिति सुधर सकती हैै।

प्रमुख सिफारिशें:-

कृषि को राज्यों की सूची के बजाय समवर्ती सूची में शामिल किया जाना चाहिए, जिससे केंद्र व राज्य यानी दोनों किसानों की मदद के लिए आगे आएं और समन्वय बनाया जा सके।

फसल उत्पादन कीमत से 50% ज्यादा दाम किसानों को मिले।

किसानों को रियायती दाम में बेहतर बीज मिले।

गांवों में विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए।

किसानों को प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में मदद मिले।

खेतिहर जमीन और वनभूमि को गैर कृषि उद्देश्यों के लिए कॉरपोरेट को न दिया जाए।

खेती के लिए कर्ज की व्यवस्था हर किसान के लिए हो।

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही कहते हैं, योगी सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट बैठक में राज्य के 86 लाख किसानों की कर्ज माफी के लिए 36 हजार करोड़ रुपये देने का फैसला किया। सभी पात्र किसानों की कर्ज माफी की। 2.53 करोड़ किसानों के खाते में 35,747 करोड़ रुपये पीएम किसान सम्मान निधि के रूप में पहुंची। सरयू नहर, बाणगंगा व अर्जुन सहायक नहर परियोजनाओं को पूरा कर 20

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