• March 8, 2023

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 : जामुनी, हरा और सफ़ेद रंग

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1908 : जामुनी, हरा और सफ़ेद रंग

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई ?

1910 में क्लारा जेटकिन नाम की एक महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी सालाना जश्न के तौर पर मान्यता दी.

इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत आज से 115 बरस पहले यानी 1908 में तब हुई, जब क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली. उनकी मांग थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम हों. तनख़्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक़ भी मिले.

एक साल बाद अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एलान किया. इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन नाम की एक महिला के ज़हन में आया था.

क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं. वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था.

उस सम्मेलन में 17 देशों से आई 100 महिलाएं शामिल थीं और वो एकमत से क्लारा के इस सुझाव पर सहमत हो गईं. पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया. इसका शताब्दी समारोह 2011 में मनाया गया. तो, तकनीकी रूप से इस साल हम 112वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने जा रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को औपचारिक मान्यता 1975 में उस वक़्त मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने भी ये जश्न मनाना शुरू कर दिया. संयुक्त राष्ट्र ने इसके लिए पहली थीम 1996 में चुनी थी, जिसका नाम ‘गुज़रे हुए वक़्त का जश्न और भविष्य की योजना बनाना’ था.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, के पीछे की सियासत की जो जड़ें हैं, उनका मतलब ये है कि हड़तालें और विरोध प्रदर्शन आयोजित करके औरतों और मर्दों के बीच उस असमानता के प्रति जागरूकता फैलाना है, जो आज भी बनी हुई है.

8 मार्च ही क्यों ?

जब क्लारा जेटकिन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था, तो उनके ज़हन में कोई ख़ास तारीख़ नहीं थी.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस तो 1917 में जाकर तय हुआ था, जब रूस की महिलाओं ने ‘रोटी और अमन’ की मांग करते हुए, ज़ार की हुक़ूमत के ख़िलाफ़ हड़ताल की थी. इसके बाद ज़ार निकोलस द्वितीय को अपना तख़्त छोड़ना पड़ा था.

उसके बाद बनी अस्थायी सरकार ने महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया था.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पर्पल रंग पहना जाता है.

लोग इस दिन जामुनी रंग के कपड़े क्यों पहनते हैं?

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहचान अक्सर जामुनी रंग से होती है क्योंकि इसे ‘इंसाफ़ और सम्मान’ का प्रतीक माना जाता है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की वेबसाइट के मुताबिक़, जामुनी, हरा और सफ़ेद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रंग हैं.

वेबसाइट के मुताबिक़, ‘जामुनी रंग इंसाफ़ और सम्मान का प्रतीक है. हरा रंग उम्मीद जगाने वाला है, तो वहीं सफ़ेद रंग शुद्धता की नुमाइंदगी करता है.’

“महिला दिवस से ताल्लुक़ रखने वाले इन रंगों की शुरुआत 1908 में ब्रिटेन में महिलाओं के सामाजिक और राजनीतिक संघ से हुई थी.”

जब महिलाएं और बच्चे 2022 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर यूक्रेन से हंगरी पहुंचे तो उनका स्वागत फूल देकर किया गया.

महिला दिवस कैसे मनाया जाता है?

कई देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश रहता है. इन देशों में रूस भी शामिल है, जहां आठ मार्च के आस-पास के तीन चार दिनों में फूलों की बिक्री दोगुनी हो जाती है.

चीन में राष्ट्रीय परिषद के सुझाव पर बहुत सी महिलाओं को आठ मार्च को आधे दिन की छुट्टी दे दी जाती है.

इटली में महिलाओं को आठ मार्च को मिमोसा फूल देकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है.

अमरीका में मार्च का महीना महिलाओं की तारीख़ का महीना होता है. हर साल राष्ट्रपति की तरफ़ से एक घोषणा जारी की जाती है, जिसमें अमरीकी महिलाओं की उपलब्धियों का बखान किया जाता है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 की थीम 

2023 के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र की थीम ‘डिजिटऑल: लैंगिक समानता के लिए आविष्कार एवं तकनीक’ है. इस थीम का लक्ष्य तकनीक और ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों और महिलाओं द्वारा दिए जा रहे योगदान को स्वीकार करना और उसका जश्न मनाना है.

इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं और लड़कियों की असमानता पर डिजिटल लैंगिक फ़र्क़ के असर की पड़ताल भी की जाएगी. क्योंकि, संयुक्त राष्ट्र का आकलन है कि अगर ऑनलाइन दुनिया तक महिलाओं की पहुंच की कमी को दूर नहीं किया गया, तो इससे कम और मध्यम आमदनी वाले देशों के सकल घरेलू उत्पाद को 1.5 ख़रब डॉलर का नुक़सान होगा.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की वेबसाइट कहती है कि उसे ‘महिलाओं के लिए सकारात्मक बदलाव लाने के मंच’ के रूप मे बनाया गया है.

इस वेबसाइट ने अपनी थीम #EmbraceEquity (समानता को अपनाओ) को चुना है. इससे जुड़े संगठनों और कार्यक्रमों के ज़रिए महिलाओं की घिसी-पिटी लैंगिक भूमिका को चुनौती देने, भेदभाव के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने, पक्षपात के प्रति ध्यान खींचने और महिलाओं को हर क्षेत्र में शामिल किए जाने को लेकर आवाज़ उठाई जाएगी.

महिला दिवस की ज़रूरत क्यों है?

पिछले एक साल के दौरान अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, यूक्रेन और अमरीका जैसे कई देशों में महिलाएं अपने अपने देशों में युद्ध, हिंसा और नीतिगत बदलावों के बीच अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ती रही हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी ने मानव अधिकारों के मामले में तरक़्क़ी को बाधित कर दिया है. क्योंकि महिलाओं और लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने से रोक दिया गया गया है.

उनके घर से बाहर ज़्यादातर काम करने पर और किसी पुरुष संरक्षक के बग़ैर लंबी दूरी का सफ़र करने पर पाबंदी लगा दी गई है.

तालिबान ने महिलाओं को हुक्म जारी किया है कि वो घर से बाहर या दूसरे लोगों के सामने अपना पूरा चेहरा ढक कर रखें.

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