जनसंख्या का 10 % सबसे अमीर , सबसे गरीब 10 % : ओईसीडी की रिपोर्ट

जनसंख्या का 10 % सबसे अमीर , सबसे गरीब 10 % : ओईसीडी की रिपोर्ट

ओईसीडी की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन, फिनलैंड और नॉर्वे में अगर अमीरों और गरीबों की आय में अंतर न बढ़ता तो विकास दर 0.2 गुना और ज्यादा हो सकती थी. ओईसीडी के 34 सदस्य देशों में से ज्यादातर में असमानता की खाई बढ़ती जा रही है. रिपोर्ट में कहा गया है, “ज्यादातर ओईसीडी सदस्य देशों में इस समय अमीर और गरीब वर्ग के बीच का अंतर पिछले 30 सालों में सबसे ज्यादा है. इस समय जनसंख्या का 10 फीसदी सबसे अमीर तबका सबसे गरीब 10 फीसदी तबके के मुकाबले 9.5 गुना ज्यादा कमा रहा है. जबकि 1980 के दशक में यह अनुपात 7:1 था, लेकिन तब से इसमें तेजी से वृद्धि होती चली जा रही है.”

ओईसीडी के सदस्यों में विकसित और विकासशील दोनों तरह 8के देश शामिल हैं. सदस्य देशों में यूरोपीय संघ और अमेरिकी देशों के अलावा, तुर्की, मेक्सिको और जापान भी हैं, जबकि चीन, ब्राजील और भारत इसके सदस्य नहीं हैं. पिछले कुछ दशकों में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंदी के बीच ओईसीडी देशों में औसत घरेलू आय में सालाना 1.6 फीसदी की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, “तीन चौथाई ओईसीडी देशों में 10 फीसदी अमीर आबादी की घरेलू आय 10 फीसदी गरीब आबादी के मुकाबले बहुत तेजी से बढ़ी है, नतीजे में असमानता की खाई बढ़ी है.” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ सदस्य देशों में हाल के आर्थिक संकट के बाद के कुछ सालों में औसत घरेलू आय या तो स्थिर रही या फिर उसमें कमी आई है.

वे सदस्य देश जिनमें आर्थिक अंतर की खाई गहरी है उनमें यूरोपीय और नॉर्डिक देश भी शामिल हैं. लेकिन इनके अलावा अन्य ओईसीडी सदस्य देशों में अमीरों और गरीबों की आय के बीच अंतर बहुत ज्यादा ही बढ़ गया है. इटली, जापान, कोरिया, पुर्तगाल और ब्रिटेन में यह अनुपात 10 के मुकाबले 1 है. जबकि ग्रीस, इस्राएल, तुर्की और अमेरिका में 13 से 16 के मुकाबले 1 और मेक्सिको और चिली में 27 से 30 के मुकाबले 1 है.

गरीब और अमीर तबकों के बीच आय में अंतर के कारण गरीब तबके के बच्चे शिक्षा से दूर होते जा रहे हैं. इससे देशों का आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है. वहीं दूसरी ओर स्पेन, फ्रांस और आयरलैंड में बेहतर समानता के अवसरों चलते प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में इजाफा हुआ है. ओईसीडी की रिपोर्ट में गरीबी मिटाने के लिए साथ आने और उच्च शिक्षा, ट्रेनिंग और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिक खर्च करने की मांग की गई है.

(ड्यू डी.  कॉम)

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