• April 17, 2015

”राजीविका“ से टूट रही अभावों की बेडियां, आर्थिक सबलीकरण की राह

”राजीविका“ से टूट रही अभावों की बेडियां,  आर्थिक सबलीकरण की राह

कोटा (रचना शर्मा, स०ज०अ०) –      कोटा के सांगोद उपखण्ड के छोटे से गांव हिंगोनिया की श्रीमती मंजु सेन, उम्र करीब 22 साल, आठवीं के बाद आगे नहीं पढ पाई। बंजारा बस्ती की आशा बाई, परिवार को चलाने के लिए अब तक मजदूरी करती आई। डाबरी कलां की हेमन्त बाई भी आठवीं पढ कर गृहस्थी चलाने में रम गईं।3

रामवती मनरेगा में काम करके परिवार चलाने में मदद करती आईं। ये अलग-अलग गांवों की महिलाएं, उम्र, जाति, रंग-रूप भिन्न लेकिन तंगहाली से जूझने के सभी के कमोबेश एक से हालात। सभी में गरीबी और अभावों की जकडन से बाहर निकलने की गहरी इच्छाशक्ति। इसी इच्छाशक्ति को जब बल मिला, सम्बल मिला और मिली सही राह तो तंगी से अंधेरे साए से बाहर आकर ये कदम निकल पडे उजास की ओर…आर्थिक सबलीकरण की ओर।

सांगोद उपखण्ड के 42 गांवों में बदलाव की यह बयार चली है राजीविका मिशन की बदौलत। राज्य के चुनिंदा जिलों के चुने हुए ब्लाॅक में संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण विकास आजीविका मिशन यानी राजीविका ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन की एक अत्यंत महत्वाकांक्षी योजना है। केन्द्र सरकार द्वारा प्रवर्तित यह परियोजना स्वर्ण जयन्ती ग्रामीण स्वरोजगार योजना का नवीन एवं परिष्कृत रूप है।

यह मिशन इस विश्वास पर आधारित है कि गरीब व्यक्ति में स्वयं को गरीबी से बाहर निकालने की अद्भुत क्षमता एवं प्रबल इच्छाशक्ति होती है। और इसी विश्वास को सच साबित कर गरीबी के खोल से बाहर निकल चल पडे हैं सैैकडों कदम स्वावलम्बन और आर्थिक मजबूती की राह पर। इतना ही नहीं, स्वावलम्बन और आर्थिक सबलता के साथ अब ये महिलाएं अपनी जैसी अन्य महिलाओं को गरीबी के अभिशाप से मुक्ति प्रशिक्षण से निखारा जा रहा है और परियोजना के नए क्षेत्रों में विस्तार के लिए प्रेरक के तौर पर उन्हें तैयार किया जा रहा है।

विश्व बैंक एवं राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित इस परियोजना के अन्तर्गत ग्रामीण निर्धन परिवारों, निशक्तों, वंचित एवं उपेक्षित वर्ग की महिलाओं को सामाजिक व आर्थिक रूप से सशक्त बनाए जाने का लक्ष्य है। इसके अन्तर्गत एक समुदाय के अनुभवों द्वारा दूसरे समुदाय को सीख की संकल्पना से उक्त वर्गों की महिलाओं के बीच जाकर परियोजना की मूल भावना समझाते हुए उन्हें आर्थिक सशक्तीकरण की प्रेरणा देकर स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाता है।

अब सुल्तानपुर की ओर बढेंगे कदम
जिला कलक्टर जोगाराम के निर्देशन में जिले के सांगोद ब्लाॅक में बतौर पायलट प्रोजेक्ट परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। परियोजना के जिला प्रबंधक चन्द्रकान्त शर्मा बताते हैं कि आरंभ में कमजोर वर्गोंं को चिह्नित कर जब उन परिवार के पुरुष और महिलाओं को परियोजना के बारे में बताया गया और इससे जुडने का आह्वान किया गया तो एक बारगी सभी झिझके।

आंध्रप्रदेश की महिला काउंसलरों ने महिलाओं के साथ समझाइश की तो प्रायः परिवार के मुखिया पुरुषों ने उन्हें रोका, कहीं पुरुष समझे और महिलाओं को आगे भी किया तो कहीं महिलाएं परिवार की सहमति ना होने पर अपने बूते ही परियोजना से जुड गई। लेकिन, जब परियोजना के तहत समूहों का गठन हुआ, समूहों ने ऋण लेकर परिवारों को आर्थिक सम्बल देना शुरू किया तो परिवार भी खुल कर इन महिलाओं के सम्बलन और हौसला आफजाई के लिए साथ आ खडे हुए। अब तक सांगोद में परियोजना के माध्यम से दो सौ से अधिक समूहों का गठन कर दो हजार से अधिक महिलाओं को जोडा जा चुका है।

ये महिलाएं प्रशिक्षण के लिए आंध्रप्रदेश और जयपुर भी गईं और अब आत्मविश्वास के साथ अपनी गृहस्थी के साथ व्यवसाय चलाने की क्षमता भी हासिल कर रही हैं। समूहों को निजी आवश्यकताओं की पूर्ति, व्यवसाय शुरू करने या परिवार की विविध जरूरतों के लिए फैडरेशन के जरिये ऋण देने, ऋण को आसान किश्तों में चुका कर पुनः ऋण लेने की भी व्यवस्था  की गई है। इस सुविधा से ये महिलाएं अपने पूर्व के व्यवसायों को अधिक मजबूत बनाने में, नए व्यवसाय शुरू करनेेे और समूह की अन्य महिलाओं को छोट-छोटे कार्य शुरू करने के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभा रही हैं।

सांगोद के बाद सुल्तानपुर के चुने हुए ब्लाॅॅक में अब परियोजना का कार्य शुरू किया जाएगा। सुल्तानपुर में सांगोद क्षेेत्रा में एक्टिव मेम्बर और टीम लीडर के तौर पर भूमिका निभान वाली ये महिलाएं ही गरीबी और तंगहाली से जूझ रही महिलाओं के बीच जाकर अपने जीवन में आए बदलाव की कहानी से उन्हें प्रेरित करेंगी और उनके लिए आर्थिक सशक्तीकरण की राह दिखाएंगी। ऐसी महिलालों  को एकजुट कर समूहों का गठन करेंगी और परियोजना का हिस्सा बनाएंगी। इसके बाद अन्य जिलों में भी इस परियोजना के पदार्पण के साथ ये महिलाएं वहां वातावरण निर्माण और प्रेरक के तौर पर महती भूमिका निभाएंगी।

आंध्रप्रदेश माॅडल पर हो रहा काम
राजीविका परियोजना के तहत आंध्रप्रदेश में परियोजना के क्रियान्वयन को आदर्श के रूप में अपनाया गया है। आंध्रप्रदेश की कमजोर तबके की वे महिलाएं जो कभी अभावों तले, बदहाली में जीती थी और अब परियोजना के माध्यम से आर्थिक सशक्त  वातावरण निर्माण और प्रेरक के तौर पर आंध्रप्रदेश की टीम रोल माॅडल बनी है। आंध्रप्रदेश की एक्टिव मेम्बर और कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन्स की टीम समय-समय पर भ्रमण कर वातावरण निर्माण और प्रेरक का काम कर समूह गठन करती है। चुनिंदा रिसोर्स पर्सन सांगोद क्षेत्रा में स्थाई तौर पर रह कर भी कार्य कर रहे हैं।

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