• April 17, 2015

कृषि वैज्ञानिक खेती की नई तकनीक इजाद करें

कृषि वैज्ञानिक खेती की नई तकनीक इजाद करें

जयपुर – केन्द्रीय जल संसाधन प्रबंधन एवं नदी विकास राज्यमंत्री श्री सावरलाल जाट ने कहा है कि कृषि वैज्ञानिक खेती की नई तकनीक इ$जाद करें, जिससे कि कृषि उत्पादन में वृद्धि हो और किसानों को भरपूर आर्थिक लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि किसानों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों के उपयोग के लिए भी प्रेरित किया जाए।

श्री जाट गुरुवार को बीकानेर के स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय प्रांगण में युवा महोत्सव ‘गोरबंध-2015’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। यहां की अर्थ व्यवस्था कृषि पर निर्भर करती है। जब देश का सकल उत्पादन बढ़ता है तो अर्थ व्यवस्था मजबूत होती है।

उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ आज खेती की परम्परागत तकनीक में अंतर आया है। बूंद-बूंद पानी का अधिकतम उपयोग हो रहा है। फव्वारा और स्प्रिंकलर सिस्टम से किसान लाभ ले रहे हैं, फिर भी कृषि वैज्ञानिकों को चाहिए कि वे इस क्षेत्र में नियमित शोध करें और यह सुनिश्चित करें कि इनका पर्याप्त लाभ किसानों को मिले। उन्होंने कहा कि युवा शोधार्थी, इस बात का अध्ययन करें कि किसानों के लिए खेती पूर्णतया लाभदायक किस प्रकार बन सकती है।

उन्होंने कहा कि पानी की उपलब्धता के आधार पर आज भी राजस्थान देश के पिछड़े राज्यों में सम्मिलित है। इस कारण किसानों तक ऐसी तकनीक पहुंचाने की जरूरत है, जो कम से कम पानी का अधिकतम उपयोग करते हुए ज्यादा उत्पादन दें। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक ऐसी व्यवस्था इजाद करें, जिससे किसान आय, व्यय और लाभ का आकलन कर सकें। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव लगातार आमंत्रित किए जाते हैं तथा किसान हित के सुझावों को मूर्त रूप देने के प्रयास किए जाते हैं।

किसानों के प्रति संवेदनशील है केन्द्र सरकार

जल संसाधन प्रबंधन राज्यमंत्री ने कहा कि ओलावृष्टि से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है। इसके प्रति केन्द्र सरकार पूर्ण संवदेनशील है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर प्रभावित किसानों की सहायता राशि बढ़ाई गई है। उन्होंने कहा कि भारत मौसम के दृष्टिकोण से विषमताओं वाला देश है।

कहीं अधिक बरसात के कारण नुकसान होता है तो कहीं बरसात की कमी के चलते पर्याप्त उत्पादन नहीं हो पाता। इस दृष्टिकोण से केन्द्र सरकार का प्रस्तावित ‘नदी जोड़ो कार्यक्रम’ बेहद फायदेमंद रहेगा। इसके लिए सभी राज्यों की सरकारों से सहमति के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे कि इस दिशा में सकारात्मक कार्य हो सके।

इससे पहले सभी अतिथियों ने सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर ‘गोरबंध-2015’ का विधिवत आगाज किया। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. आई. जे. गुलाटी ने दो दिवसीय महोत्सव के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी। केन्द्रीय छात्रसंघ अध्यक्ष श्री मुकेश महला ने स्वागत उद्बोधन दिया।

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