हर वर्ष आयोजित होंगे न्याय आपके द्वार कार्यक्रम – मुख्यमंत्री

हर वर्ष आयोजित होंगे न्याय आपके द्वार कार्यक्रम   – मुख्यमंत्री

जयपुर, 15 मई। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने कहा है कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम की सफलता के बाद राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों के निस्ताण के लिए प्रदेश में 18 मई से 15 जुलाई तक न्याय आपके द्वार कार्यक्रम आयोजित होंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब साढ़े तीन लाख ऐसे प्रकरण है जिनका निस्तरण ने होने से प्रदेश का किसान आहत है। न्याय आपके द्वार कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित किए जायेंगे ताकि आगामी तीन वर्षो में करीब-करीब ऐसे सभी मामलों का निस्तारण किया जा सके।

मुख्यमंत्री शुक्रवार को नई दिल्ली के जोधपुर हाउस में आयोजित एक सादे समारोह में राजस्व लोक अदालत वर्ष-2015 हैण्डबुक के लोकार्पण कार्यक्रम में न्याय आपके द्वार कार्यक्रम का शुभांरभ कर रही थी।

श्रीमती राजे ने इस कार्यक्रम में सम्बोधित करते हुए कहा कि समस्त जिलों के प्रभारी मंत्री अपने-अपने प्रभार वाले जिले में इस अभियान की लॉंचिंग करेंगे और इस पुस्तिका का विमोचन भी करेंगे। मुख्यमंत्री ने बताया कि लोक अदालतों के सफल आयोजन, राजस्व कर्मियों, जनप्रतिनिधियों और आमजन तक इसकी जानकारी पहुंचाने के लिए राजस्व विभाग ने इस हैण्डबुक का प्रकाशन किया है।

उन्होंने बताया कि राजस्व न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। राजस्व मुकदमों का समय पर निराकरण नहीं होने से राज्य का किसानों को काफी तकलीफ उठानी पड़ती है और वे इस समस्या से आहत हैं।

श्रीमती राजे ने बताया कि ‘सुराज संकल्प यात्राÓ के दौरान मैं किसानों की इस पीड़ा से रूबरू हुई थी। उसी वक्त मैने निश्चय कर लिया था कि यदि राजस्थान की जनता ने मुझे सेवा का अवसर दिया तो मैं किसानों को इस संकट से निजात दिलाउंगी और इसी उदेश्य से मैने बजट में राजस्व मुकदमों के त्वरित निस्तारण की घोषणा की थी। अब हर वर्ष गर्मियों में राजस्व लोक अदालत अभियान चलाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास रहेगा कि सभी राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारी इस दौरान कम से कम डेढ़ लाख विवादों का निपटारा कर पीडि़त काश्तकारों को राहत प्रदान करे।

Related post

ग्यारह पुलिसकर्मियों को निलंबित

ग्यारह पुलिसकर्मियों को निलंबित

महाराष्ट्र —  ठाणे जिले में एक अदालत में दो सुरक्षा उल्लंघनों के बाद कथित चूक के…
फोन-पे को ट्रेडमार्क विवाद में अंतरिम राहत

फोन-पे को ट्रेडमार्क विवाद में अंतरिम राहत

दिल्ली उच्च न्यायालय ने फोन-पे को उसके डिजिटल भुगतान ब्रांड और एजीएफ फिनलीज इंडिया द्वारा ‘फोन…
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर नोटिस

गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार, अहमदाबाद पुलिस आयुक्त और अन्य को एक व्यक्ति द्वारा दायर…

Leave a Reply