स्‍टील और खान क्षेत्र में ऊंची छलांग – नरेन्‍द्र सिंह तोमर

स्‍टील और खान क्षेत्र में ऊंची छलांग – नरेन्‍द्र सिंह तोमर
पेसूका ******************स्‍टील और खान मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने अपने नव वर्ष पर भेजे संदेश में कहा है- ‘भारत ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के योग्‍य और गतिशील नेतृत्‍व और मार्गदर्शन में 2015 के दौरान चहुंमुखी प्रगति की है। उनका भरोसा और देश के प्रति उनका जज्बा कई स्‍तरों पर बढ़ा है। प्रधानमंत्री देश को बहुत आगे ले जाने की इच्‍छा रखते हैं।’

श्री तोमर ने जानकारी दी कि स्‍टील और खान मंत्रालय ने देश की सेवा में अपना अनूठा योगदान दिया है। सरकार के दूसरे विभागों और संगठनों ने भी अपनी अनूठी सेवाएं कीं। दोनों मंत्रालयों ने खुद को आधुनिकता के प्रति समर्पि‍त किया। इस तरह प्रधानमंत्री द्वारा देश में स्‍टील संयंत्रों का विस्‍तार हुआ।

इसके तहत एसआरटीएमआई की स्‍थापना की गई और विशेष उद्देश्य और हरित क्षेत्र को प्रोत्‍साहित करने के लिए स्‍टील संयंत्रों को शुरू किया गया। इन संयंत्रों से विशेष वाहन बनाए जा रहे हैं। ऐसे आंदोलन को अपना सर्वोत्‍तम योगदान देने के लिए हमने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ हाथ मिलाया और इस कार्य मेंकुशल भारत और स्‍वच्‍छ भारत भी जुड़ गया।

डिजिटल इंडिया को लेकर हमारा संकल्‍प मजबूती के साथ खानों के आवंटन में पारदर्शिता लाने और भ्रष्‍टाचार मुक्‍त प्रक्रिया अपनाने के प्रति संकल्‍पबद्ध है। इसके लिए हमने एमएमडीआर कानून में संशोधन किया और ई-नीलामी को अपनाया। हमने खान क्षेत्र में प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्‍याण योजना लागू की जिससे सबका साथ, सबका विकास सहज हो सके।

हमने सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करने के लिए शक्तियों के विकेंद्रीकरण के लिए कई कदम उठाए और खान क्षेत्र में राज्‍यों के राजस्‍व का व्‍य‍वस्थित बंटवारा किया। चाहे देश में खोज को गति देने या अवैध खनन को रोकने के लिए उपग्रहों के इस्‍तेमाल की बात हो, हर तरह से प्रौद्योगिकी को अपनाया गया। श्री तोमर ने नए वर्ष पर अपने सहयोगियों सहित सभी भारतीयों को बधाई दी है।

स्‍टील मंत्रालय-2015 की प्रमुख उपलब्धियां

भारत विश्‍व में तीसरा सबसे बड़ा स्‍टील उत्‍पादक देश बन चुका है

भारत जनवरी 2015 में चौथे सबसे बड़े उत्‍पादक अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए विश्व में तीसरे सबसे बड़े स्‍टील उत्‍पादक के रूप में उभरा है।

भारत स्‍टील उत्‍पादन और उपभोग के मामले में दुनिया में नई पहचान रखता है

भारत एकमात्र देश है जो विश्‍व में बड़े स्‍टील उत्‍पादक देशों में शुमार है। 2015 में भारत ने स्‍टील उत्‍पादन और उपभोग में जबरदस्‍त वृद्धि दर्ज की है। 2015 के पहले 11 महीने में स्‍टील उत्‍पादन में हमारा रिकॉर्ड बेहतरीन रहा है। भारत ने 2.8 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की लेकिन 2014 में हमारा उत्‍पादन 2.8 प्रतिशत कम रहा। 2015 में भारत की स्‍टील उत्‍पादन क्षमता में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और उपभोग में करीब 5 प्रतिशत का इजाफा हुआ।

माननीय प्रधानमंत्री ने राष्‍ट्र को समर्पित किए दो आधुनिक संयंत्र

स्‍टील मंत्रालय के अंतर्गत सीपीएसई ने आधुनिकीकरण और विस्‍तारित परियोजनाओं का काम पूरा करते हुए अपनी कच्‍चे स्‍टील की क्षमता को बढ़ाया है। माननीय प्रधानमंत्री ने सेल के दो संयंत्रों – ओडिशा स्थित राउलकेला स्‍टील संयंत्र और पश्चिम बंगाल के बर्नपुर स्थित टिस्‍को स्‍टील संयंत्र राष्‍ट्र को समर्पित किया। इन दोनों संयंत्रों से देश की स्‍टील उत्‍पादन क्षमता में करीब 5 मिलियन टन का इजाफा हुआ है।

भारत का स्‍टील अनुसंधान और प्रौद्योगिकी मिशन (एसआरटीएमआई) स्‍थापित

दो सौ करोड़ रूपए की प्रारंभिक लागत से स्‍टील उद्योग में राष्‍ट्रीय महत्‍व का स्‍टील अनुसंधान और प्रौद्योगिकी मिशन स्‍थापित किया गया है। मिशन का कार्य इस क्षेत्र की गतिविधियों को रफ्तार देना है।

ग्रीनफील्ड स्टील संयंत्रों के लिए विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीयू) हेतु दो सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर

स्टील उत्पादन की घरेलू क्षमता को बढ़ाने के लिए विशेष उद्देश्य वाहन की संकल्पना शुरू की गई। इसके लिए छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में ग्रीनफील्ड स्टील प्लांट के लिए दो सहमति पत्रों पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। प्रत्येक संयंत्र में हर साल तीन मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जिसे बाद में छह मिलियन टन किया जाएगा। इन स्टील संयंत्रों की स्थापना के लिए 17,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया जाएगा।

कुशलता विकास पहल

स्टील मंत्रालय ने सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय के जरिए कुशलता विकास को सहज बनाने के लिए कुशलता विकास और उद्यमिता मंत्रालय के साथ एक सहमति पत्र के जरिए सामरिक भागीदारी की शुरूआत की है। एसएआईएल, आरआईएनएल और एमओआईएल, इनमें से प्रत्येक ने कुशलता विकास के लिए राष्ट्रीय कुशलता विकास निगम के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

स्वच्छ भारत अभियान

स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरुकता के लिए 2015 में स्वच्छ विद्यालय अभियान के अंतर्गत 3043 शौचालय बनाए गए।

खान मंत्रालय-2015 में प्रमुख उपलब्धियां

पारदर्शिता के लिए एमएमडीआर कानून में संशोधन

एमएमडीआर संशोधित कानून 2015 के जरिए पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा के लिए ई-नीलामी शुरू की गई। इससे खनिज संसाधनों की कीमत तय करने में मदद मिलेगी। पहले चरण में नीलामी के जरिए लगभग 35 खानों/ब्लॉकों को अधिसूचित किया गया।

प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) समावेशी विकास शुरू

सितम्बर, 2015 में शुरू किए गए पीएमकेकेकेवाई योजना का उद्देश्य खनन से जुड़े अभियानों से प्रभावित क्षेत्रों और लोगों का कल्याण है। इसे जिला खनिज फाउंडेशन से योगदान के जरिए धनराशि उपलब्ध होगी। लीज़धारकों द्वारा इस फाउंडेशन को हर साल करीब 6000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।

खनिजों की खोज को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय खनिज खोज न्यास (एनएमईटी) स्थापित

2015 में स्थापित एनएमईटी का उद्देश्य देश में खनिज खोज को बढ़ावा देना है। सरकार ने दूसरी एजेंसियों के लिए भी दरवाजे खोले हैं।

रॉयल्टी दरों की पुनर्समीक्षा के कारण राज्यों को रॉयल्टी राजस्व बढ़ा

केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों के लिए अपनी रॉयल्टी दरों की समीक्षा की है। अब इन राज्य सरकारों को 100 प्रतिशत रॉयल्टी मिलेगी, जिससे इन्हें लाभ मिलेगा।

सहकारी संघवाद के उपाय के रूप में राज्यों को और मिलेंगी शक्तियां

केन्द्र सरकार ने 21 खनिजों को अधिसूचित किया है। इस तरह राज्यों के लाभ के लिए इन खनिजों के समूचे विनियमन के जरिए ऐसा किया जा रहा है। इस तरह खनिजों की संख्या को अधिसूचित करके कम मात्रा में मौजूद खनिजों को 24 से बढ़ाकर 55 कर दिया गया है। इस तरह केन्द्र सरकार की पूर्व मंजूरी की जरूरत को दूर कर दिया गया है।

सरकार ने खनिज क्षेत्र में कई कदम उठाकर जान फूंकी

एमसीडीआर खनिजों के लिए खनिज उत्पादन का सूचकांक (अप्रैल-अक्तूबर 2015) बढ़कर 114.1 हो गया है जो पिछले साल इसी अवधि में 105.0 रहा। इस तरह इसमें 8.7 प्रतिशत की समेकित वृद्धि हुई।

फरवरी, 2009 में कच्चे लोहे का उत्पादन 23.36 मीट्रिक टन था जो घटकर सितम्बर, 2014 में 8.12 मीट्रिक टन रह गया। मार्च, 2015 में एमएमडीआर कानून में संशोधन के असर ने इस सेक्टर में जान फूंक दी। अब कच्चे लोहे का हर महीने उत्पादन बढ़ रहा है। सितम्बर, 2014 में उत्पादन 8.12 मीट्रिक टन था, मार्च 2015 में यह 12.44 मीट्रिक टन रहा, जुलाई 2015 में 11.86 मीट्रिक टन हुआ, सितम्बर 2015 यह 10.8 मीट्रिक टन और अक्तूबर 2015 में 12.9 मीट्रिक टन पहुंच गया। कच्चे लोहे के मामले में अब हम फिर से आत्मनिर्भर हो गये हैं।

अप्रैल-अक्तूबर, 2015 की अवधि में वृद्धि सकारात्मक रही और ज्यादातर दूसरे महत्वपूर्ण खनिजों का उत्पादन बढ़ा। बाक्साइट में 24 प्रतिशत, क्रोमाइट में 13.8 प्रतिशत, सीसे में 35.5 प्रतिशत, जिंक में 18.5 प्रतिशत, ऐपटाइट और फास्फोराइट में 104 प्रतिशत में वृद्धि दर्ज की गई।

 

 

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