- April 13, 2015
सर्वधर्म समभाव: ”सिंधु दर्शन यात्रा’: ::विकास में योगदान अतुलनीय
सर्वधर्म समभाव की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज यहाँ मुख्यमंत्री निवास में भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव समारोह पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आमंत्रित सिंधी समाज के सदस्यों को चैटी-चंड की शुभकामनाएँ दी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह भी मौजूद थीं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य शासन विस्थापन की समस्या से जूझ रहे सिंधी परिवारों की हरसंभव सहायता की पहल करेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना के अंतर्गत ”सिंधु दर्शन यात्रा” आगामी जून माह में जायेगी। उन्होंने कहा कि वे स्वयं भी ऐसी किसी यात्रा में शामिल होंगे।
श्री चौहान ने कहा कि सिंधी समाज पराक्रमी मेहनती समाज है। मध्यप्रदेश के विकास में उनका अतुलनीय योगदान है। उन्होंने सिंधी समाज के धर्मगुरूओं और शहीदों का पुण्य-स्मरण करते हुए कहा कि संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखने से ही देश गतिमान बना रहेगा। सिंधी सिंधियत को नहीं भूलें। मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंधी परिवार घर में सिंधी में ही बात-चीत करें। उन्होंने भगवान झूलेलाल के अवतरण की घटना का स्मरण किया। उनके चरणों में नमन करते हुए भक्तों पर आनंद की वर्षा करने की प्रार्थना भी की।
स्वागत उदबोधन विधायक श्री अशोक रोहाणी ने दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान का सिंधु दर्शन यात्रा आयोजन के लिए समाज की ओर से आभार ज्ञापित किया।
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन कर किया। उन्होंने धर्मगुरूओं, संत-महात्माओं का शॉल-श्रीफल भेंट कर अभिनंदन किया। कार्यक्रम में स्वामी स्वरूपानंद, स्वामी श्यामानंद और स्वामी हंसानंद ने भक्ति गीत प्रस्तुत किये। मुम्बई के कलाकारों ने सिंधी संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए। सुश्री मंजूश्री ने सिंधी गीतों का गायन किया। सिंधु सोशल द्वारा बेटी बचाओ अभियान पर आधारित प्रस्तुति दी गई।
इस अवसर पर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री कुँवर विजय शाह, राजस्व मंत्री श्री रामपाल सिंह, महापौर श्री आलोक शर्मा, विधायक श्री विश्वास सारंग, विधायक श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह, उपाध्यक्ष वृद्धजन आयोग श्री नानकराम वाधवानी, मध्यप्रदेश सिंधु सभा के प्रदेश अध्यक्ष श्री भगवानदास सबनानी, श्री शंकर लालवानी विभिन्न धर्मगुरू, संत महात्मा और बड़ी संख्या में सिंधी समाज के स्त्री-पुरूष उपस्थित थे।