• August 17, 2017

’नयी मेट्रो रेल नीति’-मेट्रो विस्तार पर संकट के बादल

’नयी मेट्रो रेल नीति’-मेट्रो विस्तार पर संकट के बादल

लखनऊ, 17 अगस्त 2017: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा कल शाम घोषित ’नयी मेट्रो रेल नीति’ को जनविरोधी बताकर इसकी तीखी आलोचना करते हुये कहा कि इससे उत्तर प्रदेश में ख़ासकर कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद आदि में मेट्रो रेल की स्थापना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव हो गयी है। साथ ही, लखनऊ मेट्रो के सम्पूर्ण विस्तार पर भी संकट के बादल छा गये हैं।

वास्तव में देश में बदतर जन परिवहन व्यवस्था में सुधार लाने की कोशिश के तहत ही मेट्रो रेल परियोजना दिल्ली में सन् 2002 से शुरू की गयी थी, जिसमें केन्द्र सरकार आर्थिक सहयोग करती थी। परन्तु मोदी सरकार ने जनहित के इस काम से मुँह मोड़कर अपने आपको इससे अलग करने का फैसला किया है।

मोदी सरकार की नई मेट्रो नीति इस क्षेत्र में भी सरकारी जिम्मेदारी से हाथ खींचकर जो नई नीति तैयार की है उसमें बडे़-बडे़ पूंजीपतियों व धन्नासेठों की भागीदारी को लाजिमी बना दिया गया है। इससे मेट्रो के विस्तार रूक जाने की आशंका है क्योंकि निजी क्षेत्र की कम्पनियाँ कम आमदनी वाली परियोजनाओं में निवेश नहीं करती हैं। इस प्रकार केन्द्र में बीजेपी सरकार हर जनोपयोगी योजना व परियोजना से हाथ खींचने के कारण देश में चलने वाली जनहित एवं जनकल्याण की विभिन्न योजनाओं की तरह मेट्रो का विस्तार भी आगे संकट में पड़ गया है।

सुश्री मायावती ने कहा कि मोदी सरकार का इस प्रकार का जनविरोधी रवैया अति-निन्दनीय है। इससे राज्यों का विकास खासकर शहरी परिवहन विकास बुरी तरह से प्रभावित होगा। केन्द्र सरकार धीरे-धीरे करके ’’कल्याणकारी सरकार’’ होने की तमाम जिम्मेदारियों से भागती चली जा रही है।

बीजेपी सरकार एक तरफ गाँवों में रोजगार के अवसर पैदा करने वाली ’मनरेगा योजना’ व शिक्षा के अधिकार के तहत केन्द्रीय अंशदान देने आदि के जनहित के कार्यों में जबर्दस्त कटौती करती जा रही है तो दूसरी तरफ हर मामले में केन्द्रीय उपकर आदि लगाकर राज्यों को कंगाल बनाने का काम करती जा रही है ताकि हर योजना में प्रधानमंत्री का नाम जुड़ा हो तथा हर तरफ विज्ञापनों में केवल उनकी ही वाहवाही होती रहे।

इसके अलावा सुश्री मायावती ने किसानों की कर्जमाफी व सभी लघु एवं सीमान्त किसानों का फसली ऋण माफ नहीं करके बल्कि सरकार बनने के इतने लम्बेे समय के बाद केवल एक लाख तक की ही फसल ़ऋण माफी की शुरूआत करने को ’’हर कदम किसानों के साथ विश्वासघात’’ की संज्ञा देते हुये कहा कि वास्तव में यह बीजेपी के शीर्ष नेताओं की चुनावी घोषणाओं व उस समय जारी ’लोक कल्याण संकल्प पत्र’ दोनों का ही उपहास है। यह वायदों से मुकरना है तथा अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था एवं स्वास्थ्य आदि के जनहित के मामलों के साथ-साथ बीजेपी सरकार की एक और जबर्दस्त चुनावी वादाखिलाफी है।

बी.एस.पी. उ.प्र. राज्य कार्यालय
12, माल एवेन्यू, लखनऊ

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