वन स्टॉप सेंटर ’सखी’ की स्थापना

वन  स्टॉप सेंटर ’सखी’ की स्थापना

दुर्ग (छत्तीसगढ)— किसी भी वर्ग की हिंसा या संकटग्रस्त महिलाओं अथवा किशोरी या बालिकाओं की सहायता, सहयोग और बचाव के लिए दुर्ग जिले में वन स्टॉप सेंटर ’सखी’ की स्थापना की जाएगी।

कलेक्टर श्रीमती आर. शंगीता ने गत दिनों समय-सीमा की बैठक में बताया कि दुर्ग जिले के लिए वन स्टॉप सेंटर की स्वीकृति मिल गई है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इस सेंटर की स्थापना की जाएगी और संचालन किया जाएगा।

यह भी उल्लेखनीय है कि राज्य की राजधानी रायपुर में राज्य के पहले वन स्टॉप सेंटर की स्थापना की गई है और इसके माध्यम से महिलाओं के लिए सलाह, सहायता, मार्गदर्शन और संरक्षण संबंधी उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे हैं।

जिला कार्यालय के सभाकक्ष में गत दिनों वन स्टॉप सेंटर स्थापना किए जाने हेतु जिला स्तरीय प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में अपर कलेक्टर श्री के. के. अग्रवाल सहित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, जिला बार काउंसिल के अध्यक्ष, संरक्षण अधिकारी(घरेलू हिंसा), महिला पुलिस हेल्प लाईन 1091 की प्रभारी अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग, राजस्व अधिकारी, पुलिस अधिकारी सहित राज्य शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

समिति की इस पहली बैठक में वन स्टॉप सेंटर(सखी) योजना के अवधारणा और इसके संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियों से सदस्यों को अवगत कराया गया। बैठक में जानकारी दी गई की इस केन्द्र के माध्यम से हिंसा से पीड़ित महिला को एक छत के नीचे एकीकृत सहायता प्रदाय की जाती है। जिसमें चिकित्सा, विधिक सेवा, मनोचिकित्सा, काउंसिलिंग आदि की सुविधा शामिल है।

यह केन्द्र दुर्ग के पांच बिल्डिंग स्थित महिला एवं बाल विकास कार्यालय परिसर बनाया जाएगा। केन्द्र में आवेदिका और अनावेदक पक्ष को समझाईश (काउंसिलिंग) देकर प्रकरण को सुलझाने का प्रयास भी किया जाता है।

केन्द्र के माध्यम से दैहिक शोषण, दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा, सम्पत्ति विवाद, व्यक्तिगत विवाद, बलात्कार, टोनही प्रताड़ना, विक्षिप्तता, रांग नम्बर से परेशानी, धोखाधड़ी और छेड़छाड़ जैसे विविध प्रकरणों मे भी इसके माध्यम से कार्रवाई की जाती है और जरूरत के अनुसार आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है।

केन्द्र के माध्यम से जरूरतमंद महिलाओं को एफ.आई.आर. और डी.आई.आर. दर्ज करने में भी सहायता दी जाती है। जरूरत के हिसाब से दक्ष परामर्शदाताओं, नामित अधिवक्ताओं और जिला विधिक सहायता प्राधिकरण की सेवाएं भी वन स्टॉप सेंटर में उपलब्ध करायी जाती है।

आश्रय की आवश्यकता वाली संकटग्रस्त महिलाओं और बालिकाओं को जरूरत के अनुसार सुधार गृह, अल्पकालीन आवास गृह, नारी निकेतन एवं बालिका गृह आदि की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाती है। केन्द्र में पुनर्वास की अन्य व्यवस्था होने तक महिला आवेदिका को अधिकतम पांच दिन तक रहने और भोजन की व्यवस्था भी की जाती है।

बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि महिलाओं की सहायता के लिए मोबाईल एप ‘आईवॉच अमन‘ भी संचालित है। महिलाएं अपने मोबाईल में यह एप डाउनलोड कर सकती हैं और इस सुविधा का लाभ उठा सकती हैं।

छेड़छाड़, बलात्कार, घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, एसिड अटैक, टोनही प्रताड़ना, मानव तस्करी, साइबर अपराध तथा महिलाओं से संबंधित कोई भी समस्या तथा दुर्घटना और महिलाओं के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं के लिए कभी भी किसी भी समय 181 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।

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