• March 4, 2015

रस – रंगों से सराबोर है माही धरा – कल्पना डिण्डोर

रस – रंगों से सराबोर है माही  धरा –  कल्पना डिण्डोर

राजस्थान में इस बार की होली बहुआयामी विकास के सुनहरे रंगों और रसों से सराबोर है। प्रदेश के दीर्घकालीन विकास की ही तरह माही धरा बांसवाड़ा के सर्वतोमुखी विकास की योजनाओं और bansकार्यक्रमों का जिस ढंग से सूत्रपात करने की अनथक कोशिशें जारी हैं उसे देख लगता है कि वागड़ के लिए अब तीव्रतर विकास का समय आ चुका है।

अपने विकास के लिए जरूरी संसाधनों से भरपूर पहाड़ों, नदी-नालों और जल संरचनाओं की धरा बांसवाड़ा पर प्रकृति पूरी तरह मेहरबान है। तरक्की के हर रंग यहां देखने को मिलते हैं वहीं विकास के रसों का दरिया बहता है। हर तरह से प्रचुर संसाधनों की उपलब्धता वाले वागड़ में विकास की अपार संभावनाओं को साकार करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार व्यापक प्रयासों में जुटी हुई है।

राजस्थान के दक्षिणी सिंहद्वार बांसवाड़ा के लिए इस बार की होली विकास के कई रंगों और रसों का संदेश लेकर आयी है। माही मैया के स्नेह-रस से आप्लावित बांसवाड़ा की धरा विकास के इन इन्द्रधनुषी रंगों से साक्षात कराने लगी है जिनकी वजह से यह पूरा आदिवासी अंचल आने वाले समय में देश और दुनिया में विकास के मानचित्र पर प्रमुखता से उभरा हुआ सरकारी प्रयासों और विकास योजनाओं के अनथक क्रियान्वयन का कीर्तिगान करने लगेगा।images

हरी-भरी वादियों  के बीच विकास का अवगाहन करने वाले लोक जीवन में अब नई बहार का संगीत और प्रगति की गंध बिखरने लगी है।  रंगों और रसों का दरिया बहाने वाले आदिवासी अंचलों में फागुन की मौज-मस्ती और पुरातन मनोहारी परम्पराओं का दिग्दर्शन हर किसी को भीतर तक आह्लादित कर देने वाला है।

होली के इन मादकता भरे दिनों में फागुनी रंग और श्रृंगार भरे रस अपने पूरे यौवन के साथ छलक रहे हैं।  लोक-संस्कृति की गंध के साथ वागड़ की वादियों में अब बहुआयामी विकास के कई-कई नए रंगों ने आम आदमी को सुकून का अहसास कराने के साथ ही आंचलिक तरक्की के नये आयामों को सुनहरा आकार दिया है।

वर्तमान राज्य सरकार आदिवासियों के उत्थान और आदिवासी क्षेत्रों के समग्र विकास के जिन स्वप्नों को मूत्र्त रूप देने में जुटी हुई है वे क्षेत्रीय प्रगति की दिशा में ऎतिहासिक कीर्तिमान स्थापित करने वाले सिद्ध होंगे।

विकास की बुनियाद मजबूत होने के साथ आदिवासी क्षेत्रों में शासन- प्रशासन और आम आदमी के बीच रिश्तों के रंग शौख चटख और गहरे हुए हैं तथा परिवेश में इन्द्रधनुषी रंगों के मनोरम बिम्ब मुखर हुए हैं।

फागुन की मौज-मस्ती के साथ तरक्की के सफर पर रफ्तार से बढ़ रहे लोक जीवन में ताजगी और निरंतर आगे से आगे बढ़ने की ऊर्जा व अदम्य आत्मविश्वास के जीवन-रस हिलोरें लेने लगे हैं। आदिवासी क्षेत्रों और जनजाति वर्ग की भलाई के मामले में काफी कुछ किया जाता रहा है जिसकी गंध अंचल में तैरने लगी है।

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के कुशलतम और सक्षम नेतृत्व तथा क्षेत्रीय विकास को समर्पित स्थानीय जन प्रतिनिधियों की आदिवासियों को विकास की प्रगतिशील मुख्य धारा में लाने की कोशिशें रंग ला रही हैं। इस मायने में आशातीत उपलब्धियों का ग्राफ दिली सुकून व संतोष  का स्पष्ट मंजर दिखाने की ओर अग्रसर है।raj

बात व्यक्तिगत लाभ की योजनाओं की हो या सामुदायिक उत्थान, या फिर शासन की योजनाओं ,परियोजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की, हर क्षेत्र में विकास के रंगों ने संतोष व लोक मंगल के अनथक सफर का परिचय दिया है।

जनजाति बहुल बांसवाड़ा जिले पर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की ख़ास निगाह रही है। यही वजह है कि माही और मैया का यह धाम बहुआयामी विकास कार्यो का साक्षी बन चला है। राज्य सरकार  विकास की नई घोषणा, नई सोच और कुछ नया करने का जज़्बा दिखाकर जन-मन को उल्लास के रंग-रसों  से साक्षात कराने अपने भरसक प्रयासों में जुटी हुई है। इनकी बदौलत ग्राम्य जनजीवन को नए आयाम प्राप्त हुए हैं। आम आदमी के उत्थान और आदिवासी अंचल के समग्र विकास की ढेरों योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन का दौर निरन्तर बना हुआ है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर देश भर में आरंभ हुए स्वच्छता अभियान के अन्तर्गत बांसवाड़ा जिला भी साफ-सफाई का पैगाम देने में अव्वल रहा है। जिले भर में सफाई अभियानों के माध्यम से हरेक को साफ-सफाई से जोड़ा गया। प्रधानमंत्री जन धन योजना, भामाशाह योजना आदि की पहुंच हरेक परिवार तक होने लगी है।

आम आदमी को समस्याओं से मुक्त कराकर विकास की रोशनी देने के प्रयासों के अन्तर्गत सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में गांव-ढाणियों तक पहुंच कर सरकार ने आम जन की सुध ली और समस्याओं को दूर करने की दिशा में भगीरथी प्रयास किए।

जनसमस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित किए जाने के साथ ही रात्रि विश्राम व जन सुनवाइयों तथा निरीक्षणों, वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जन समस्याओं के समाधान और विभिन्न बैठकों के जरिये पारस्परिक सीधे संवाद ने कई मुश्किलों का हल निकाल कर राज काज के संपादन को और अधिक आसान कर दिया है।

आधे आसमाँ को गौरवान्वित करने वाली गतिविधियों के साथ ही खेत-खलिहानों में खुशहाली का संगीत सुनाने वाली माही और इससे जुड़े नहरी क्षेत्रों, माही महोत्सव और पर्यटन विकास, लोकोत्थान में सभी की भागीदारी के प्रयासों और खेती-बाड़ी के क्षेत्र में हो रही तरक्कीकारी गतिविधियों ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान और खेतों में हरियाली के रंग बिखेर दिए हैं।  प्रकृति और विकास के जाने कितने रंग और रस यहाँ दिखाई देने लगे हैं।

माही धरा पर विकास की फुहारों ने होली के रंगों और रसों का आनंद और भी अधिक व्यापक कर दिया है। इन दिनों फागुनी लोक लहरियों के आनंद में रमा हुआ आदिवासी अंचल होली के गीत गाने में व्यस्त है।

संपर्क-   जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,
बाँसवाड़ा
          kalpana.banswara@gmail.com

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