येस बैंक को पुन:स्थापना करना सबसे चुनौतीपूर्ण काम

येस बैंक को पुन:स्थापना करना सबसे चुनौतीपूर्ण काम

तमाल बंद्योपाध्याय —-मार्च 2020 येस बैंक लिमिटेड का नेतृत्व करने वाले किसी भी बैंकर के लिए ऐसे अनुभव लाता कि उसके बाल खड़े हो जाते। परंतु प्रशांत कुमार के साथ ऐसा नहीं हुआ। इसकी मुख्य वजह थी-वह सौंपे गए काम के लिए पूरी तरह तैयार थे। इस समय भारतीय बैंकिंग जगत में येस बैंक को पुन:स्थापना करना सबसे चुनौतीपूर्ण काम है। हाल के दिनों में एक अन्य बैंक के सीईओ ने उसे संकट से उबारा है लेकिन उस बैंक का आकार बहुत छोटा है।

किसी बैंक को संकट से उबारने का काम नए बैंक की स्थापना करने से अधिक कठिन है। क्योंकि इसमें पहले से तैयार हो चुके एक कारोबार को दोबारा खड़ा करना होता है। ऐसे में यह अवसर भी नहीं होता कि नए कारोबारी मॉडल और लोगों का चयन किया जाए। यही कारण है कि भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी और उप प्रबंध निदेशक कुमार 6 मार्च के बाद हर रोज कार्यालय गए। कोविड-19 महामारी के दौरान भी। स्टेट बैंक के नेतृत्व में कर्जदाताओं ने येस बैंक को उबारने के लिए एक विशिष्ट योजना बनाई।

सितंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच छह महीने में येस बैंक के जमा पोर्टफोलियो से 50 फीसदी का बहिर्गमन हुआ। यह 2.09 लाख करोड़ रुपये से घटकर 1.05 लाख करोड़ रुपये रह गया। इससे पहले के छह महीनों में इसका जमा 8 फीसदी कम हुआ है। इस अवधि में बैंक की ऋण प्रविष्टि 24 फीसदी घटी। इससे पिछले छह महीनों में यह 7 फीसदी कम हुई थी। दिसंबर तक फंसा हुआ कर्ज बढ़कर 18.87 फीसदी हो गया। शुद्ध फंसा कर्ज 5.97 फीसदी था।

अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच जमा पोर्टफोलियो में 29 फीसदी की वृद्धि हुई और यह 1.36 लाख करोड़ रुपये रहा जो बताता है कि निवेशकों का भरोसा लौट रहा है। सितंबर तक सकल और शुद्ध फंसे कर्ज में गिरावट आई और ये क्रमश: 16.9 फीसदी और 4.71 फीसदी रह गए।

बैंक को 1,507 करोड़ रुपये का पहला नुकसान मार्च 2019 तिमाही में हुआ। अगली तिमाही में बैंक ने 114 करोड़ रुपये का लाभ कमाया लेकिन सितंबर में उसे फिर 600 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। दिसंबर तिमाही में पद संभालने के एक सप्ताह बाद ही कुमार को 18,560 करोड़ रुपये के घाटे की घोषणा करनी पड़ी।

इस घाटे में 24,760 करोड़ रुपये का वह प्रावधान अहम था जो फंसे हुए कर्ज के लिए किया गया। यह बैंक के अग्रिम पोर्टफोलियो का 12 फीसदी था। कुमार ने अगली तीन तिमाहियों तक आक्रामक प्रॉविजनिंग की।

फंसे कर्ज में अचानक इजाफा सितंबर 2017 और मार्च 2018 के बीच बैंक के कर्ज में इजाफे से संबंधित है। तत्कालीन सीईओ और एमडी तथा बैंक के प्रवर्तक राणा कपूर का कार्यकाल 1 सितंबर को समाप्त होना था। जून की सालाना आम बैठक में उनकी दोबारा नियुक्ति पर मोहर लगी लेकिन रिजर्व बैंक ने उन्हें केवल जनवरी 2019 तक पद पर रहने दिया।

यह समझा पाना मुश्किल है कि मार्च 2018 तक छह महीनों में बैंक का कर्ज 37 फीसदी कैसे बढ़ गया। क्या कपूर को अनुमान था कि उन्हें पद पर नहीं रहने दिया जाएगा? अप्रैल से सितंबर 2018 के बीच ऋण 18 फीसदी और बढ़ा।

कपूर को पता था कि वह ज्यादा समय ऐसा नहीं कर पाएंगे इसलिए उन्होंने इस अवधि में मनमर्जी से पैसे बांटे। यदि बोर्ड जागरूक रहता तो ऐसा नहीं होता। कॉर्पोरेट बैंकिंग की निगरानी कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों ने हर लेनदेन पर जोखिम की चेतावनी दी लेकिन कपूर ने बोर्ड की हिमायत से ऐसे ऋण देने जारी रखे। बैंक ने सामान्य से काफी अधिक 10-15 फीसदी शुल्क लिया लेकिन बोर्ड और आरबीआई के निरीक्षकों को कुछ भी गलत नहीं लगा।

इतने भारी-भरकम शुल्क के बाद बैंक ने हर 100 रुपये के कर्ज में 90-85 रुपये ही वितरित किए वह भी बहुत भारी ब्याज दर पर। ऐसा कर्ज वही लेगा जिसे अंदाजा हो कि इसे चुकाना नहीं होगा।

कुमार के नेतृत्व में बैंक का सफर कैसा रहा? करीब 40,000 करोड़ रुपये यानी कुल कर्ज का पांचवां हिस्सा फंसा हुआ है। ऐसा भी नहीं है कि सारा पैसा डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों को दिया गया। इसका कुछ हिस्सा बॉन्ड के रूप में भी गया। फंसे कर्ज और निवेश के 75 फीसदी हिस्से की प्रॉविजनिंग की गई है। बैंक फंसे कर्ज को एक परिसंपत्ति पुनर्गठन कंपनी को बेचने की योजना बना रही है जहां उसकी बहुलांश हिस्सेदारी हो।

पूरी सफाई के लिए बैंक को 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की प्रॉविजनिंग करनी होगी। वर्ष के परिचालन मुनाफे और रिकवरी से इसमें से अधिकांश राशि हासिल हो जाएगी। जो कमी रहेगी उसके लिए पूंजी जुटाई जाएगी।

बैंक किसी बड़े डिफॉल्टर कर्जदार को रियायत देने के पक्ष में नहीं है। वह रिकवरी के लिए जी जान से लगा हुआ है। मुंबई में एडीजीए समूह की कॉर्पोरेट बिल्डिंग और एस्सेल समूह की संपत्तियों की नीलामी से संकेत मिल रहे हैं। जून में 300 करोड़ रुपये की रिकवरी सितंबर तिमाही में तीन गुना बढ़ गई।

बैंक अपने ऋण पोर्टफोलियो के मिश्रण में भी बदलाव कर रहा है और उसने खुदरा और एमएसएमई ऋण को 45 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी किया है। इस वर्ष इस क्षेत्र में 20 फीसदी की वृद्धि हो सकती है जबकि कॉर्पोरेट ऋण में एक अंक में वृद्धि होगी। वाहन ऋण, परिसंपत्ति के आधार पर दिए जाने वाले ऋण और शेयर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। अप्रैल-सितंबर तिमाही में जहां अग्रिम में कमी आई वहीं जमा 29 फीसदी बढ़ा।

बैंक का चौथाई जमा कम लागत वाले बचत खातों में है। महामारी के कारण फंसा कर्ज मौजूदा स्तर से 15 फीसदी तक बढ़ सकता है। खासतौर अचल संपत्ति, स्वागत उद्योग और विमानन क्षेत्र में ऐसा होगा जहां बैंक ने काफी ऋण दिया है। कुछ प्रयासों के साथ येस बैंक अप्रैल 2021 में शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष में दोबारा वृद्धि के पथ पर वापसी कर सकता है।

(बिजनेस स्टैंडर्ड)

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