- October 21, 2023
युद्ध और वैश्वीकरण के बीच बंटती हुई दुनिया में खाद्य तथाआपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह बिगड़ गई : वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि युद्ध और वैश्वीकरण के बीच बंटती हुई दुनिया में खाद्य तथाआपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह बिगड़ गई है। मगर युद्ध और उथलपुथल के बीच खाद् को हथियार नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपना कुल कर्ज कम करने के तरीके देख रहा है ताकि अने वाली पीढ़ियों पर बोझ नहीं पड़े।
सीतारमण ने कहा, ‘कर्ज घटाने के हमारे प्रयास भारत की आकांक्षाएं पूरी करने के लिए तो हैं ही, हम इन्हें अपनी जिम्मेदारी भी मानते हैं ताकि आने वाली पीढियों को इसका बोझ नहीं उठाना पड़े। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जो खर्च हो, उसकी सही कीमत मिले।’ भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत का बाह्य ऋण और जीडीपी अनुपात जून 2023 के अंत में घटकर 18.6 फीसदी रह गया, जो मार्च 2023 के अंत में 18.8 फीसदी रहा था।
वित्त मंत्री ने कौटिल्य इकनॉमिक समिट 2023 में कहा कि दुनिया भर के देशों को सोचना चाहिए कि वे अपना भोजन कहां से लाएंगे। उन्हें अनाज एवं आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए तो क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने पर विचार करना ही होगा। सीतारमण ने कहा, ‘अगर आप भोजन के लिए बाकी दुनिया पर निर्भर हैं तो आपको वैश्विक जोखिमों का भी ध्यान रखना होगा। इस बात पर भी गौर करना होगा कि क्या कोई देश या क्षेत्र भोजन पाने के लिए इतना जोखिम उठा सकता है।’
जानेमाने अर्थशास्त्रियों को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) या विश्व बैंक ही नहीं बल्कि विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी बहुपक्षीय संस्थाएं भी आज उतनी असरदार नहीं दिख रही हैं, जितनी अपनी स्थापना के समय थीं।
उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार के लिए जी20 के स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि हर कोई मानता है कि इन संस्थाओं में सुधार की जरूरत है।
आतंकवाद के असर पर बोलते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसे सब मानते हैं मगर इस पर बात कोई नहीं करना चाहता। उन्होंने कहा कि निर्णय लेते समय कंपनियों को जिस खतरे का सबसे ज्यादा ध्यान रखना होगा, उस पर वैश्विक आतंकवाद का सबसे ज्यादा असर होगा।
उन्होंने कहा, ‘कंपनियां अब केवल नीतियों अथवा खुलेपन या खुली अर्थव्यवस्था से ही आकर्षित नहीं हो सकतीं। उन्हें यह भी देखना होगा कि आतंकवाद किन बातों से आकर्षित होता है।’
सीतारमण ने कहा कि शीत युद्ध के दिनों के सामरिक खेमे अब नए आकार ले रहे हैं और लग रहा है कि वैश्वीकरण निश्चित तौर पर अपने अंत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘नई विश्व व्यवस्था तैयार हो रही है। निश्चित तौर पर उसका असर अर्थव्यवस्था पर दिखेगा क्योंकि वह आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर रही है।’
सीतारमण ने कहा कि तीन युद्ध एक साथ चल रहे हैं। ऐसे में दुनिया का यह कर्तव्य है कि वह वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के लिए सही रास्ता चुनकर उस पर आगे बढ़े।
राजकोषीय प्रबंधन एवं जिम्मेदारी के बारे में सीतारमण ने कहा कि सरकार कुछ उभरते बाजारों के ऋण संबंधी आंकड़ों पर सक्रियता से गौर कर रही है और यह समझने की कोशिश कर रही है कि वे कर्ज कैसे संभाल रहे हैं।
इस अवसर पर वित्त मंत्री सीतारण ने यह भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए वैश्विक स्तर पर आम राय बन चुकी है।