• April 7, 2015

मेक इन राजस्थान’ : राजस्थान विशेष आर्थिक जोन विधेयक, 2015 पारित

मेक इन राजस्थान’ : राजस्थान विशेष आर्थिक जोन विधेयक, 2015 पारित

जयपुर-राजस्थान विधानसभा ने सोमवार को राजस्थान विशेष आर्थिक जोन विधेयक, 2015 ध्वनिमत से पारित कर दिया।

इससे पहले उद्योग मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने सदन में विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव रखा। विधेयक पर हुई बहस के बाद उद्योग मंत्री ने बताया कि पूर्व में राज्य सरकार प्रदेश में विशेष आर्थिक जोन की स्थापना एवं उनके संचालन के लिए राजस्थान विशेष आर्थिक परिक्षेत्र विकास अधिनियम, 2003 (राज्य अधिनियम) लेकर आई थी।

केन्द्र सरकार विशेष आर्थिक जोन अधिनियम, 2005 लेकर आई। इस केन्द्रीय अधिनियम के द्वारा राज्य सरकारों को यह शक्ति दी गई है कि वे राज्यों में विशेष आर्थिक क्षेत्रों और उनकी इकाइयों के लिए विभिन्न रियायतें और सुविधाएं मंजूर करने के लिए नियम बना सकेंगी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 में गुजरात एवं उसके बाद हरियाणा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और पंजाब नवीन अधिनियम लेकर आए। उन्होंने कहा कि राज्य में नया विधेयक लाने से पहले अन्य राज्यों के अधिनियमों का भी अध्ययन किया गया है।

श्री खींवसर ने कहा कि नए विधेयक को इसलिए लाया गया है जिससे केन्द्र एवं राज्य की ओर से बनाए गए अधिनियमों के बीच संगति बैठ सके। साथ ही इस विधेयक की मदद से एकल खिड़की प्रणाली के जरिए प्रदेश में विशेष आर्थिक क्षेत्रों के प्रकरण शीघ्रता से निपटाए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से प्रदेश के भिन्न-भिन्न विभागों और एजेन्सियों द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र परियोजनाओं की समन्वित तरीके से मॉनिटरिंग करने में भी मदद मिलेगी।

श्री खींवसर ने कहा उद्योग रोजगार की मांग को बेहतर तरीके से पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में ‘मेक इन इंडिया’ की तर्ज पर प्रदेश में ‘मेक इन राजस्थान’ पर काम हो रहा है जिससे राज्य में निवेश आए। आज राज्यों के बीच निवेश को लेकर प्रतिस्पर्धा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे भी निवेश को आकर्षित करने के लिए जापान की यात्रा पर हैं।

उद्योग मंत्री ने बताया कि प्रदेश में महिंद्रा सेज में कुछ कमियां थीं जिन्हें नए विधेयक में दूर किया गया है। उन्होंने कहा कि नए विधेयक में श्रम आयुक्त की शक्तियां विकास आयुक्त को दी गई हैं। विकास आयुक्त की भूमिका समन्वयक की रहेगी। साथ ही इसमें वैट, सीएसटी, नो कन्वर्जन चार्ज आदि सुविधाएं निवेश को आकर्षित करने के लिए दी गई हैं।

उन्होंने कहा कि नए विधेयक में मल्टीपरपज सेज की 1000 हैक्टेयर की सीमा को घटाकर 500 हैक्टेयर किया गया है। साथ ही आईटी के लिए 10 हैक्टेयर के स्थान पर 25 हजार से 1 लाख वर्गमीटर क्षेत्र का प्रावधान किया गया है।

उद्योग मंत्री ने बताया कि भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में भी संशोधन किया गया है। साथ ही विकासकर्ता को विकल्प दिया गया है कि वह चाहे तो सीधे निजी भूमि भी खरीद सकता है। यदि विकासकर्ता समय सीमा के  हिसाब से नहीं चलता तो उसकी अधिसूचना को समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सेज विकसित होने से सीएसआर फंड भी क्रिएट होगा, जिससे आस-पास के ग्रामीण क्षेत्र को फायदा होगा।

इससे पहले सदन ने सदस्यों द्वारा विधेयक को जनमत जानने के लिए  परिचारित करने एवं प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

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